कुंडली बताती हे दुर्घटना योग (एक्सीडेंट  के कारण) —

युवावस्था यानी जोश-खरोश, एडवेंचर और ढेर-सी रिस्क लेना- नया पहनने-ओढ़ने के साथ तेज रफ्तार से वाहन चलाना यह सभी प्रमुख शौक होते हैं। नए से नया वाहन लेना यह हरेक का सपना होता है मगर क्या चाहने भर से या केवल सपना देखने से वाहन सुख मिलता है। 

नहीं! वाहन सुख के लिए भी ग्रह योगों का प्रबल होना जरूरी है। यदि चतुर्थ भाव प्रबल हो, वीनस की राशि हो या शुक्र की दृष्‍टि में हो तो नया व मनचाहा वाहन प्राप्त होता है। 

यदि चतुर्थ भाव में शनि की राशि हो और शनि यदि नीचस्थ या पाप प्रभाव में हो तो सेकंडहैंड वाहन मिलता है। 

यदि चतुर्थ का स्वामी लग्न, दशम या चतुर्थ में हो तो माता-पिता के सहयोग से, उनके नाम का वाहन चलाने को मिलता है। 

चतुर्थेश यदि कमजोर हो तो वाहन सुख या तो नहीं मिलता या फिर दूसरे का वाहन चलाने को मिलता है। 

चतुर्थेश युवावस्था में हो (डिग्री के अनुसार) तो वाहन सुख जल्दी मिलता है, वृद्ध हो तो देर से वाहन सुख मिलता है। 

वाहन की खराबी :— चतुर्थेश यदि पाप ग्रह हो, कमजोर हो, पाप प्रभाव में हो तो वाहन प्राप्त होने पर भी बार-बार खराब हो जाता हैं। मंगल खराब हो तो (चतुर्थेश होकर) इंजन में गड़बड़ी, शनि के कारण कल-पुर्जों में खराबी, राहु की खराबी से टायर पंचर होना व अन्य ग्रहों की कमजोरी से वाहन की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी आना दृष्‍टिगत होता है। 

दुर्घटना योग :— वाहन है तो दुर्घटना, चोट-खरोंच का भय बना ही रहता है। यदि सेंटर हाउस का स्वामी, लग्न, अष्‍टम भाव मजबूत है मगर तीसरा भाव या उसका स्वामी कमजोर हो तो वाहन के साथ छोट‍ी-मोटी टूट-फूट हो सकती है, व्यक्ति को भी छोट‍ी-मोटी चोट लग सक‍ती है। 

यदि लग्न व सेंटर हाउस का स्वामी दोनों पाप प्रभाव में हो, तीसरा भाव खराब हो मगर अष्‍टम भाव मजबूत हो तो दुर्घटना तो होती है, मगर जान को खतरा नहीं रहता। 

यदि अष्‍टम भाव व तीसरा भाव कमजोर हो तो भयंकर दुर्घटना के योग बनते हैं जिससे जान पर भी बन सकती है। 

शनि के कारण दुर्घटना में पैरों पर चोट लग सकती है, जब कि मंगल सिर पर चोट करता है। 

उपाय :—- यदि कुंडली में एक्सीडेंट योग दिखें तो उस प्लेनेट को मजबूत करें, वाहन जीवन भर सावधानी‍ से चलाएँ और वाहन के रख-रखाव का विशेष ध्यान रखें। इंश्योरेंस अवश्‍य कराएँ। 

विशेष : —वाहन सुख प्राय: चतुर्थेश की दशा-महादशा-अंतरदशा में प्राप्त होता है। उसी तरह दुर्घटना योग भी तृतीयेश-अष्टमेश की दशा-महादशा में बनते है अत: पूर्वानुमान कर सावधानी बरती जा सक‍ती है।


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