क्या खोया क्या पाया मैंने,मिलते और बिछुड़ते जग में.मुझे किसी से नहीं शिकायत,यद्यपि छला गया पग पग में …कइयो ने बनाया/ समझा मुझे बेवकूफ…लेकिन मेने भी नहीं हरी हे हिम्मत..चलता जा रहा हु अकेला ही अपनी मंजिल/लक्ष्य की तरफ..बिना किसी साथी/ हमसफ़र/ चिंता या सहयोग के….ईश्वर की कृपा..अपनों का प्यार…बड़ो का मार्गदर्शन और आशीर्वाद मेरे साथ हे…अभी  तक तो मुझे सभी मांगने वाले (लेने वाले )ही मिले हे….देने वाले कब मिलेंगे ..?? पता नहीं ..हे इश्वर रहम कर…?????

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