**************दुर्गा चालीसा***********************
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ॥
निराकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी ॥
निराकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी ॥
शशि ललाट मुख महा विशाला । नेत्र लाल भृकुटी विकराला ॥
शशि ललाट मुख महा विशाला । नेत्र लाल भृकुटी विकराला ॥
रुपमातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे ॥
रुपमातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे ॥
तुम संसार शक्ति लय कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
तुम संसार शक्ति लय कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥
रुप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्घि ऋषि मुनिन उबारा ॥
रुप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्घि ऋषि मुनिन उबारा ॥
धरा रुप नरसिंह को अम्बा। प्रगट भई फाड़कर खम्बा ॥
धरा रुप नरसिंह को अम्बा। प्रगट भई फाड़कर खम्बा ॥
रक्षा कर प्रहलाद बचायो। हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ॥
रक्षा कर प्रहलाद बचायो। हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ॥
लक्ष्मी रुप धरो जग माही। श्री नारायण अंग समाही ॥
लक्ष्मी रुप धरो जग माही। श्री नारायण अंग समाही ॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी ॥
मातंगी धूमावति माता। भुवनेश्वरि बगला सुखदाता ॥
मातंगी धूमावति माता। भुवनेश्वरि बगला सुखदाता ॥
श्री भैरव तारा जग तारिणि। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥
श्री भैरव तारा जग तारिणि। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
कर में खप्पर खड्ग विराजे। जाको देख काल डर भाजे ॥
कर में खप्पर खड्ग विराजे। जाको देख काल डर भाजे ॥
सोहे अस्त्र और तिरशूला । जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
सोहे अस्त्र और तिरशूला । जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
नगर कोटि में तुम्ही विराजत । तिहूं लोक में डंका बाजत ॥
नगर कोटि में तुम्ही विराजत । तिहूं लोक में डंका बाजत ॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे । रक्तबीज शंखन संहारे ॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे । रक्तबीज शंखन संहारे ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी । जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी । जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥
रुप कराल कालिका धारा । सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
रुप कराल कालिका धारा । सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब । भई सहाय मातु तुम तब तब ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब । भई सहाय मातु तुम तब तब ॥
अमरपुरी अरु बासव लोका । तब महिमा सब रहें अशोका ॥
अमरपुरी अरु बासव लोका । तब महिमा सब रहें अशोका ॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजें सदा नर नारी ॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजें सदा नर नारी ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावै । दुःख दारिद्र निकट नहिं आवे ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावै । दुःख दारिद्र निकट नहिं आवे ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई । जन्म-मरण ताको छुटि जाई ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई । जन्म-मरण ताको छुटि जाई ॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी । योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी । योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
शंकर आचारज तप अति कीनो । काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥
शंकर आचारज तप अति कीनो । काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को । काहू काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को । काहू काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
शक्ति रुप को मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछतायो ॥
शक्ति रुप को मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछतायो ॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी । जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी । जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा । दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा । दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो । तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो । तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥
आशा तृष्णा निपट सतवे । मोह मदादिक सब विनशावै ॥
आशा तृष्णा निपट सतवे । मोह मदादिक सब विनशावै ॥
शत्रु नाश कीजै महारानी । सुमिरों इकचित तुम्हें भवानी ॥
शत्रु नाश कीजै महारानी । सुमिरों इकचित तुम्हें भवानी ॥
करौ कृपा हे मातु दयाला । ऋद्घि सिद्घि दे करहु निहाला ॥
करौ कृपा हे मातु दयाला । ऋद्घि सिद्घि दे करहु निहाला ॥
जब लगि जियौं दया फल पाऊँ । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
जब लगि जियौं दया फल पाऊँ । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
दुर्गा चालीसा जो नित गावै । सब सुख भोग परम पद पावै ॥
दुर्गा चालीसा जो नित गावै । सब सुख भोग परम पद पावै ॥
मोको मात शरण निज जानी । करहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
मोको मात शरण निज जानी । करहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
॥ जय माता दी ॥
॥ जय माता दी ॥