जन्म-राशि और व्यक्तित्व (धनु-राशि)..
राजनीति, क़ानून, गणित या ज्योतिष विषयों में भी रूचि रखते है.ये धैर्ययुक्त प्रवृति से कार्य क्षेत्र में उन्नति करते है.ये लोग भाषण देते समय पूरी ताकत लगा देते है. यदि यह लोग सैनिक बने तो युद्ध में पीठ नहीं दिखा सकते है. पुलिस, सेना और अच्छे जासूस भी धनु राशि वाले बन सकते है.
यौवनकाल व वैवाहिक जीवन में इस राशि वाले व्यक्ति अधिक संघर्ष करते है.
इनको स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए. इस राशि वालों को फेफड़ों तथा वायु संबंधी रोगों से सावधानी रखनी चाहिए.
यदि इस राशि पर पापी ग्रह, शनि, मंगल, राहू, केतु का प्रभाव हो तो यह धोखेबाज और विश्वासघाती होते है. अपने गुणों का बखान बढ़ चढ कर करते है. अपने आपको महापुरुष होने का ढोंग भी करने लगते है. वचन देकर कभी भी पूरा नहीं करते है.
आपका भाग्य उदय:- 32 वर्ष के बाद सम्भव होता है. 36, 42, 45, 54, 63, 72, एवं 81वां वर्ष प्रभावशाली व भाग्यवर्धक वर्ष होते है.
मित्र राशि:- मेष व सिंह,
शत्रु राशि:- कर्क, वृश्चिक और मीन,
अनुकूल रत्न:- पुखराज,
शुभ दिन:- वृहस्पतिवार,
अनुकूल देवता:- भगवान विष्णु जी,
अनुकूल अंक:- 3,
अनुकूल तारीखें:- 3, 12, 30,
व्यक्तित्व:- गुणग्राही प्रवृति, अध्ययनप्रियता,
सकारात्मक तथ्य:- बुद्धिवादी, तर्क, लक्ष्य प्राप्ति की और सचेष्ट,
नकारात्मक तथ्य:- अतिधूर्तता, अव्यव्हारिता,
नाम अक्षर:- ये, यो, भा, भी, भू, ध, फ, ढ, भे,
धनु राशि वालों का सौभाग्यशाली रत्न “पुखराज” है. जिसे पहन कर ये अपने जीवन को तथा अपने वैवाहिक जीवन को सुख समृद्धि वाला बना सकने में सक्षम हो सकते है.
शुभमस्तु !!
जन्म-राशि और व्यक्तित्व (वृश्चिक-राशि)..
यह अपने मित्र सहयोगियों से अपने महत्वपूर्ण कार्य करवाना अच्छी तरह से जानते है. मित्रों का दायरा अत्यधिक होता है. समय समय पर वह लोग इनको मदद भी करते है. नाम और शौहरत का और दिखावे का इन्हें अत्यधिक लालच होता है. मित्रों पर जी जान से लुटाते है. अपने जीवन के महत्वपूर्ण कार्य करके सफलता अर्जित करते है.इन्हें विभिन्न विषयों का ज्ञान भी रहता है.
धर्म के प्रति मन में श्रद्धा रहती है. धार्मिक क्रिया कलापों में हिस्सा लेते है. कभी कभी ढोंग का भी प्रदर्शन करते है.
यह अपने परिश्रम के द्वारा सफलता अर्जित करते है.
विद्वान के रूप में इनकी छवि बनी रहती है. कुल या परिवार में श्रेष्ठ रहते है. अपने बंधू वर्गीय में सम्मानीय होते है.
यह व्यक्ति संग्रह करने में होशियार होते है. यह व्यक्ति डिक्टेटर, जासूस, केमिष्ट, रसायन, के कार्य सर्जन दन्त विशेषज्ञ, पुलिस अधिकारी, इंजीनियर, खनिज विशेषज्ञ, ठग, आलोचक होते है. राजनीति में यह बड चड कर हिस्सा लेते है. तथा सफलता भी पा जाते है. जान पहचान का क्षेत्र काफी बड़ा होता है. वृश्चिक राशि में चन्द्रमा नीच का होता है. इनमे कोमलता होने का प्रश्न ही नहीं उठता है.
आप स्वयं अपने भाग्य के निर्माता होते है. धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति की तीव्र इच्छा होती है. वह आप प्राप्त कर वैभवशाली जीवन व्यतीत भी कर सकते है.
प्रेम पात्र के लिए सर्वस्व न्योछावर कर सकते है. स्त्रियाँ चाहे तो प्रेम का प्रदर्शन करके आपको उल्लू भी बना सकती है. यदि आप महिला है तो, आप औरो की अपेक्षा अधिक चतुर चालाक स्वार्थी जबरदस्त भौतिकवादी है और परम में सफल होती है.
इनको प्रायः गले, छाती, गर्मी, वायु तथा बवासीर जैसे रोगों की संभावना रहती है.
भाग्य उदय वर्ष:- 28वां वर्ष, सफलता का वर्ष होता है. वैसे इनके जीवन में 35, 44, 52, 53, 71, एवं 80वां वर्ष विशेष प्रभावशाली होता है.
मित्र राशियां:- कर्क एवं मीन,
शत्रु राशियां:- मेष, मिथुन, सिंह, धनु,
अनुकूल रत्न:- मूंगा, मोती,
अनुकूल रंग:- लाल, पीला,
शुभ दिन:- मंगलवार, गुरूवार,
अनुकूल देवता:- शिवजी, भैरव जी, श्री हनुमान जी,
व्रत उपवास:- मंगलवार,
अनुकूल तारीखें:- 9, 18, 27,
नाम अक्षर:- तो, ना, नी, नु, ने, नो, या, यी, यु,
व्यक्तित्व:- कानूनबाज, गणक, समीक्षक,
सकारात्मक तथ्य:- बुद्धिमान, निडर, प्रकृति प्रेमी,
नकारात्मक तथ्य:- स्वार्थी, ढोंगी, क्रोधी,
आप अपने जीवन में शुभ फलों को प्राप्त करने में मन की स्थिति को पूर्णरूपेण रखने में धन, ऐश्वर्य सुख में बढोत्तरी चाहते है तो, मूंगा रत्न धारण करके लाभ उठा सकते है.
शुभमस्तु !!
जन्म-राशि और व्यक्तित्व (तुला-राशि)..
ऐसे लोगों का रुझान न्याय एवं अनुशासन के प्रति अधिक होता है. इस राशि वाले कुशल व्यापारी, लोक व्यवहार में चतुर, कला तथा सौंदर्य प्रसाधन, सुन्दर वस्त्र, कलात्मक सजावट, राजनीति इन सबमें यह माहिर व अच्छे सुलझे व्यापारी होते है.
वकील, जज, आर्किटेक्ट, संपादन, लेखन, साहित्य इनके मनपसंद व्यवसाय होते है. तथा इनके लिए उपयुक्त भी रहते है.
इन्हें अनैतिकता, फूहड़पन, अव्यवस्था, अन्याय, अविचार, दिखावा बिलकुल भी पसंद नहीं होता है. यह संतुलित जीवन के प्रेमी होते है. यह चतुर नीतिज्ञ तथा यश-अपयश, हानि-लाभ, जय-पराजय के बारे में खुद सोच विचार करते है व समझते है. मन में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं रखते है.
इनका विवाह के बाद भाग्य उदय होने लगता है. वैवाहिक जीवन सुखमय व शांतिपूर्वक व्यतीत करने में सक्षम होते है. इनका शांतिप्रिय व्यवहार व हास्य प्रवृति सबको मोह लेती है. इन्हें अपना घर संपत्ति प्यारी होती है. तुला लग्न की लड़कियां बुद्धिमान सुन्दर और चतुर होती है. जीवन साथी से बहुत प्यार करती है.
प्रेम के मामले में वव्यव्हारिक, स्थिर, तथा गंभीर होते है. जिससे प्रेम करते है, उस पर सब कुछ न्यौछावर करने को तत्पर रहते है.
विदेश और समुंद्री यात्रा इनके लिए विशेष लाभप्रद होती है, इनकी सफलता का रहस्य सौम्य चेहरा सुडोल, विनम्र व गंभीर वाणी व सम्मोहक व्यक्तित्व होता है.
तुला राशि वालों का भाग्योदय:- 25वें वर्ष होता देखा गया है. इनके जीवन का 34, 43, 52, 61, 70 एवं 79वां वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.
मित्र राशियां:- मिथुन, कुम्भ, मकर, धनु, कर्क,
शत्रु राशि:- सिंह,
राशि रत्न:- हीरा,
अनुकूल रंग:- क्रीम, सफेद, नीला,
नाम अक्षर:- रा, री, रु, रे, रो, ता, ती, तू, ते,
व्यक्तित्व:- खोजी, अन्वेषक, मास्टर माइन्ड,
सकारात्मक तथ्य:- आत्मविश्वासी, आकर्षक वाणी,
नकारात्मक तथ्य:- घमण्ड, ईर्ष्या,
व्रत उपवास:- शुक्रवार,
इस राशि के लोग अपनी राशि का रत्न “हीरा” यदि पन्ना या नीलम के साथ धारण करे तो, जीवन में सुख ऐश्वर्य प्राप्त कर सकते है.
शुभमस्तु !!
जन्म-राशि और व्यक्तित्व (कन्या-राशि)..
इस राशि वालों की धर्म के प्रति सामान्य श्रद्धा रहती है. धार्मिक क्रिया कलापों को श्रद्धापूर्वक संपन्न करने में विश्वास रखते है. मित्र वर्ग से आप सहयोग या सम्मान प्राप्त करते है. सांसारिक महत्व के कार्य सफलता प्राप्त करते है. तथा तीक्ष्ण बुद्धि से समस्या का समाधान भी निकाल लेते है.इनमे तेजस्विता का भाव भी विद्यमान रहता है. अवसर के अनुकूल उग्रता के भाव यत्नपूर्वक त्याग देते है. उदारता के भाव उत्पन्न कर लेने में सक्षम होते है.
परिवार में पिता के प्रति मन में पूर्ण श्रद्धा का भाव रहता है. सेवा करने में तत्पर रहते है. बाल्यावस्था में कुछ संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत होता है. परन्तु मध्यमावस्था में इस राशि के लोग पूर्ण सुखी, पुत्र संतति से परिपूर्ण होते है. गृहस्थ जीवन में पूर्ण इईमानदार व कर्तव्य सदैव याद रहता है. सौन्दर्यप्रेमी होने के नाते एक से एक अधिक स्त्रियों से भी संपर्क बनने की स्थिति रहती है. कई बार गृह कलह की स्थिति का सामना करना पड़ जाता है.कई बार दुष्चरित्र स्त्रियों के फंदे में भी फंस सकने की स्थिति बन जाती है. जिससे इन्हें मानसिक कष्ट का घोर सामना करना पड़ता है. एकाकी जीवन यह लोग जी नहीं सकते, इस राशि वालों के कई मित्र ढोंगी व चालबाज होते है, जिनके जाल में यह लोग फंस कर अपना नुक्सान करा लेते है.
पैसा हाथ की मैल है, ऐसा यह सोचते है, पर सत्यता पर ये आदत से विवश होते है. पर्याप्त धन होने पर भी इनको अभाव रहता है. मनोरंजन, सैर सपाटा, मौज मस्ती, भोग व श्रृंगार प्रियता, दुष्ट मित्रों पर अधिक खर्च करते है. दया-ममता-आवेग भी इनको मजबूर करती है, खर्च करने के लिए..
इस राशि वाले लोग एक अच्छे वैद्य भी साबित हो सकते है. प्रशासनिक क्षेत्र के महत्वपूर्ण पदों पर भी अपना योगदान प्रदान करते है. यह एक अच्छे गणितज्ञ, साहित्य प्रेमी, वकील, जज, कलाकार, तार्किक परामर्शदाता भी हो सकते है. राजनीति के क्षेत्र में प्रसिद्धि अर्जित कर लेते है.
वृद्धावस्था में मानसिक परेशानियां व अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है.
इस राशि वालों का भाग्य उदय:- 24वें वर्ष के बाद भाग्य उदय के सुंदर अवसर प्राप्त होते है. 33, 42, 51, 60, 69 एवं 78वां वर्ष अत्याधिक उन्नतिदायक होता है.
मित्र राशियां:- मेष, मिथुन, सिंह, तुला,
शत्रु राशि:- कर्क,
राशि रत्न:- पन्ना,
अनुकूल रंग:- हरा,
शुभ दिन:- बुधवार, रविवार, शुक्रवार,
अनुकूल देवता:- गणपति जी, सरस्वती देवी, मां दुर्गा देवी,
व्रत उपवास:- बुधवार,
अनुकूल अंक:- 5,
अनुकूल तारीखें:- 5, 14, 23,
व्यक्तित्व:- दोहरा व्यक्तित्व, विद्वान, आलोचक लेख,
सकारात्मक तथ्य:- निरन्तर क्रियाशीलता, व्यावहारिक ज्ञान,
नकारात्मक तथ्य:- बुराई ढूंढना, कलह प्रियता, अशुभ चिंतन,
राशि नाम अक्षर:- टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो,
पन्ना रत्न धारण करने से सुख शान्ति धन लाभ प्रदायक मौके पर हो जाते है. जीवन में सभी बाधाए दूर होने लगती है.
शुभमस्तु !!
जन्म-राशि और व्यक्तित्व (सिंह-राशि)..
आपको भ्रमण या पर्वतीय क्षेत्रों में घूमना अधिक रुचिकर लगता है. ये लोग देव गुरु भक्त पूजक, दानी व सत्पुरुषों के प्रेमी होते है.
इस राशि के व्यक्ति उन भाग्यशाली लोगों में से होते है, जिनका अनुसरण दूसरे लोग करते है. इनमे शासन करने की प्रवृति अधिक होती है. ये व्यक्ति सरकारी क्षेत्रो में कार्यरत होकर अपना अच्छा प्रभुत्व प्राप्त करते है. किसी के भी अधीन यह व्यक्ति कार्य करना पसंद नहीं करते है. राजनीति में विशेषकर रुचि रहती है. ये उच्च नेता, राज्यमंत्री, मूल्यवान वस्तुओं, धातुओं का क्रय-विक्रय, जौहरी का कार्य इनके लिए शुभ और धन वैभव से सम्पूर्ण होते है. इन कार्यों के द्वारा आपका प्रभुत्व, नाम, शौहरत सभी कुछ प्राप्त कर सकते है.
इस राशि वालों को वसीयत के द्वारा धन जायदाद भी मिलने की संभावना रहती है, परन्तु जायदाद बटवारे के कारण संबंधियों से मन मुटाव रहने लगता है. उत्साही होने के कारण इन झंझटों से मुक्त हो जाते है.
इन राशि वालो का वैवाहिक जीवन प्रायः अशांत सा रहता है.क्योंकि घर में शासन करते है. शान्ति तभी स्थापित होती है. जब और प्राणियों का अधिकार माना जायगा.पिता पुत्र में कम ही बन पाती है.
इस राशि वालों को जुआ, सट्टा, लॉटरी का शौक रहता है.शत्रु भी परेशान करते है.परन्तु शत्रु सामने आकार इन लोगो की प्रशंसा करने लगते है. ऐसे लोगो से बचना चाहिए.कई बार इस राशि वाले लोग विरोधियों को भी अपना बना लेते है.
नाम अक्षर:- मा, मी, मु, में, मो, टा, टी, टू, टे,
इस राशि के लोगो का भाग्य उदय:- 23वें वर्ष में होते देखा गया है. आपके जीवन के 32, 41, 50, 68 व 77वां वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण व उन्नतिदायक होता है.
मित्र राशियां:- मिथुन, कन्या, मेष व धनु,
शत्रु राशियां:- बृषभ, तुला, मकर, कुम्भ,
राशि रत्न:- माणिक्य, मूंगा,
अनुकूल रंग:- चमकीला, श्वेत, पीला, भगवा,
अनुकूल देवता:- भगवान सूर्य,
शुभ दिन:- रविवार, बुधवार,
अनुकूल अंक:- 1,
व्रत उपवास:- रविवार,
अनुकूल तारीखें:- 1, 10, 19, 28,
दिशा:- पूर्व,
व्यक्तित्व:- प्रबल पराक्रमी, महत्वाकांक्षी, अधिकारप्रियता,
सकारात्मक तथ्य:- खुले दिलो दिमाग वाला, उदार मन, गर्मजोशी,
नकारात्मक तथ्य:- घमण्डी, अति आत्मविश्वासी, अति महत्व का प्रदर्शन,
आपके लिए अपनी राशि का रत्न पहन कर तथा मित्र राशियों से अनुकूलता रखकर सर्वदा सुख कर रहेगा..
शुभमस्तु !!
जन्म-राशि और व्यक्तित्व (कर्क-राशि)..
आप एक अच्छे लेखक, सुन्दर कवि, महान दार्शनिक, व साहित्यकार व भविष्यवक्ता भी हो सकते है. आप सीमेंट कारखाने, भवन निर्माण के कार्य, बड़े बड़े ठेके के कार्य, आयात-निर्यात, कपड़ा संबंधी व्यापार, खेती के कार्य व यांत्रिक मशीनरी, सरकारी अधिष्ठानो में जल संबंधी कार्यों में दक्ष पाए जाते है. इस तरह के व्यापार में आप सुख समृद्धि, धन तथा प्रतिष्ठा अर्जित कर सकते है.
इस राशि के कई लोग उच्च श्रेणी के डॉक्टर, वैद्य अनुसंधानकर्ता भी होते है.आप प्रायः घर से भी दूर रह सकते है. आपका वैवाहिक जीवन भी अधिक सुखमय नहीं रहता है. आपके गृहस्थ जीवन में नई नई समस्या नित आती रहती है. शंकालु स्वभाव भी आपकी प्रवृति है. शीतजन्य रोगों का प्रभाव आप पर अधिक रहता है. सर्दी, जुकाम, नजला, गठिया, कफ आदि कई बार ऐसे व्यक्ति उदार के रोगों से भी पीड़ित होते है.
प्रिय आपके बहुत है. परन्तु खुदगर्ज, स्वार्थी लोगो से सावधान रहें. आपको अपना भाग्य वहां आजमाना चाहिए जहां जलतटीय शहर हों, समुन्द्र किनारे तटीय शहर, खूब लाभ दे सकते है.
इस व्यक्ति का भाग्य उदय:- 22वें वर्ष में होता है. वैसे इनके जीवन में 22, 31, 40, 49, 58, 67, एवं 86वें वर्ष लाभदायक रहते है.
मित्र राशियां:- वृश्चिक, मीन, तुला,
शत्रु राशियां:- मेष, सिंह, धनु, मिथुन, मकर, व कुम्भ,
अनुकूल रत्न:- मोती, मूंगा,
अनुकूल रंग:- सफेद, क्रीम,
शुभ दिन:- सोमवार, मंगलवार, वृहस्पतिवार,
अनुकूल देवता:- शिवजी, गौरी,
अनुकूल अंक:- 2,
अनुकूल तारीखें:- 2, 11, 20, 29,
व्रत-उपवास:- सोमवार, वृहस्पतिवार,
व्यक्तित्व:- अध्ययनप्रिय, जलप्रिय, भावुक, कुशल प्रबंधक,
सकारात्मक तथ्य:- कल्पनाशील, योजनाएं बनाने वाला, वफादार,
नकारात्मक तथ्य:- सदा कोई न कोई रोग, आलस्य, अक्षमशील द्वेषी,
राशि प्रकृति स्वभाव:- सौम्य स्वभाव, कफ प्रकृति,
दिशा:- उत्तर,
नाम अक्षर:- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो,
इस राशि के लोग अपनी मित्र राशियों से सामंजस्य करके तथा अपनी राशि का शुभ रत्न पहन कर जीवन को सुखमय व शान्तिपूर्वक बिता सकते है.
शुभमस्तु !!
जन्म-राशि और व्यक्तित्व (मिथुन-राशि)..
इस राशि के व्यक्ति विनम्र, उदार एवं परिलक्षित हास्य प्रवृति के भी होते है. बुद्धिमता का भाव चेहरे पर परिलक्षित होता है. इनमे स्वाभिमान का भाव विद्यमान रहता है. तथा भौतिक सुख, साधनों एवं धनेश्वर्य से संपन्न रहते है. सरकार या उच्च अधिकारी लोगो से संपर्क बना रहता है.
यह लोग नई नई बाते जानने के इच्छुक होते है. यह कुशल जासूस, अध्यापक, रिसर्च स्कालर भी बन जाते है. इस राशि वाले व्यक्ति स्वतंत्र व्यवसाय भी सफलतापूर्वक चला सकने में सक्षम होते है.
इनका शारीरिक स्वास्थ उत्तम रहता है. परान्तु कभी कभी इन्हें कमर संबंधी रोग, गुर्दा, मूत्रस्थली संबंधी रोग की संभावना रहती है.
मित्रों के प्रति मन में निष्ठा रहती है. सरकारी कार्यों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में सहयोग प्रदान करते है.
धर्म के प्रति मन में श्रद्धा का भाव रहता है. तथा निष्ठापूर्वक धार्मिक क्रिया-कलाप पूर्ण करते है. साथ ही अवसर के अनुकूल आप सामाजिक जनों के मध्य उदारता तथा दानशीलता का भाव भी प्रदर्शित करते है.
आप एक विद्वान पुरुष है. अपनी विद्वता प्रदर्शन से सम्मान व प्रतिष्ठा अर्जित करते है. जीवन में समस्त सुखो का उपभोग करेंगे.
आप सबसे प्रेम करते है. परन्तु कम लोग आपके स्नेहपूर्ण व्यवहार को समझ पाते है. इनकी संतान, माता पिता के प्रति विद्वेषणपूर्ण भावना रखती है.इनके सहयोगी, पड़ोसी, ससुराल पक्ष, ऐसे व्यक्ति इनके प्रति षड्यंत्रकारी वातावरण बना कर रखते है. निकटतम संबंधी तथा मित्रों से विश्वासघात की आशंका रहती है. इन्हें उनसे सतर्क रहना चाहिए.
प्रकृति:- क्रूर स्वभाव, धातु प्रकृति,
अनुकूल रंग:- हरा,
शुभ दिन:- बुधवार,
अनुकूल देवता:- गणपति, मां सरस्वती, मां दुर्गा जी,
व्रत-उपवास:- बुधवार,
अनुकूल अंक:- 5,
अनुकूल तारीखें:- 5, 14, 23,
अनुकूल वर्ष:- 21, 30, 39, 48, 57, 66, व 75वां वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण.
मित्र राशियां:- तुला, सिंह, कन्या, कुम्भ,
शत्रु राशियां:- कर्क, वृष, मेष,
नाम अक्षर:- का, की, कू, घ, ङ, के, छ, को, हा,
व्यक्तित्व:- चतुर, निडर, बुद्धिमान,
सकारात्मक तथ्य:- कुशल व्यापारी, वाक् पटु,
नकारात्मक तथ्य:- निर्मोही, आत्मकेंद्रित, निष्ठुर,
राशि रत्न:- पन्ना,
दिशा:- पश्चिम,
यदि आप अपनी मित्र राशियों से सम्बन्धित लोगों से मेल जोल व सामंजस्य रखते है और अपना भाग्य रत्न पन्ना धारण करते है तो जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव से आप मुक्त होंगे. और सफलता से आगे बढ़ेंगे.
शुभमस्तु !!
जन्म-राशि और व्यक्तित्व (वृष-राशि)..
आपकी व्यापार में ज्यादा रूचि रहती है. वृष राशि के अधिकतर कुशल व्यापारी देखे गए है. यदि आप श्रृंगार, कपड़ो, इत्र, आभूषण, कला इनसे सम्बन्धित कार्यों से व्यापार करे तो जीवन में आर्थिक उन्नति सम्भव है. एश्वर्य प्रधान वस्तुओं का व्यापार आपके अनुकूल कहा जा सकता है.
इनमे धन जमा करने की प्रवृति होती है. खर्च बहुत ही सोच समझ कर करने वाले होते है. कभी कभी कंजूसी भी दिखाने वाले बन जाते है. यह धन कमाने में ख़तरा मोल नहीं लेते है.इनके जीवन में एक लक्ष्य होता है और यह उसी लक्ष्य पर हो कार्य करते है. अपने जन्म स्थान से लगाव रखने वाले होते है.
वृष राशि का भाग्य उदय:- 20 से 22 वर्ष के मध्य अक्सर हो जाता है. इनके जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष 29, 30, 47, 56, 65, 74 व 83वां वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.
राशि प्रकृति व स्वभाव:- सौम्य स्वभाव वाले अक्सर होते है.
अनुकूल रत्न:- हीरा,
शुभ दिवस:- शुक्रवार, शनिवार तथा बुधवार,
अनुकूल देवता:- श्री लक्ष्मी जी और श्री सरस्वती देवी जी,
व्रत उपवास:- शुक्रवार,
नाम अक्षर:- ई, उ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो,
अनुकूल अंक:- 6,
अनुकूल तारीखें:- 6, 15, 24,
व्यक्तित्व:- गुरु-भक्त, कृतग्य, दयालु,
नकारात्मक तथ्य:- दुराग्रही, कानो का कच्चा, आलसी,
मित्र राशियां:- कुम्भ तथा मकर,
शत्रु राशियां:- सिंह, धनु और मीन,
दिशा:- दक्षिण,
अनुकूल रंग:- श्वेत और नीला,
अपनी मित्र राशियों से सदभावना व प्रेम का तालमेल रख कर अपना शुभ रत्न हीरा धारण करके अपने जीवन में उन्नति का मार्ग अपना सकते है…
शुभमस्तु !!
जन्म-राशि और व्यक्तित्व (मेष-राशि)..
मेष राशि वाले व्यक्तियों के स्वभाव में तेजस्विता का भाव विद्यमान रहता है. दूसरों की हकूमत इन्हें बिलकुल भी पसंद नहीं होती है. इस राशि वाले दूसरों के अधीन रह कर विकास के कार्य नहीं कर सकते, स्वतंत्र कार्य करने में ही इनको सफलता प्राप्त होती है. अपने भावों पर नियंत्रण करना इस राशि वालों के लिए अत्यंत आवश्यक होता है. मेष राशि वाले अपने गुणों से इच्छित उन्नति प्राप्त करने में सक्षम हो सकते है.
इस राशि वाले जो भी कार्य हाथ में लेते है, उसे शीघ्र ही समाप्त करने के इच्छुक रहते है. कई बार जीवन में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, परन्तु दृढ़ता व अपनी इच्छा शक्ति से समाधान कर लेते है. अपनी प्रवृत्ति में उदारता व सहिष्णुता भी विद्यमान होती है. धर्म और समाजिक रुढियों के प्रति इस राशि वालो के मन में विद्रोह भर जाता है.इसी कारण से यह मध्य मार्ग अपना लेते है. समाज व राजनितिक क्षेत्र में अलग छवि बनाए रखते है. एक क्षण क्षण में प्रसन्न और दूसरे क्षण में अप्रसन्न हो उठना इन राशि वालो की एक विशेषता होती है.
मेष लग्न के व्यक्ति पुलिस, फ़ौज, सर्जन, रसायनशास्त्री, मैकेनिक, इंजीनियर, भूमि व कोर्ट कचहरी, संबंधी कार्य करने में सक्षम होते है और इन्हीं कार्यों में सफलता प्राप्त करते है.
प्रेम के संबंध में मेष राशि वाले सफल रहते है. स्त्रियाँ या पुरुष इनकी ओर स्वयं आकर्षित होने लगते है. कभी कभी प्रेम के विषय में ईर्ष्यालु भी होने लगते है.
मेष राशि के व्यक्तियों का भाग्य उदय 16, 22, 28, 32, एवं 36वें वर्ष में होता है.
मित्र-राशियाँ:- सिंह, तुला और धनु राशियाँ इनकी मित्र होती है.
शत्रु-राशियाँ:- मिथुन, कन्या राशि, यदि इस राशि वाले व्यक्ति इन राशियों के व्यक्तियों में प्रेम व सदभावना रखे तो, शुभ होगा, जो कि उनकी मित्र राशियाँ है. जीवन में सफलता पा सकते है.,
राशि-रत्न:- मूंगा रत्न,
अनुकूल-रंग:- लाल, पीला, गेरुआ,
शुभ-दिन:- मंगलवार, रविवार, वृहस्पतिवार,
अनुकूल-देवता:- शिवजी, भैरव जी, श्री हनुमान जी,
अनुकूल-ग्रह:- सूर्य, वृहस्पति, चन्द्र, व्रत उपवास:- मंगलवार : अनुकूल अंक : 9, अनुकूल तारीखें:- 9, 18, 27,
सकारात्मक तथ्य:- कुटुम्ब को पालने वाले, चुनौती को स्वीकार करने वाले, सदैव क्रियाशील,
नकारात्मक तथ्य:- दम्भी, अधेर्य्शाली, दिशा:- पूर्व, नाम-अक्षर:- चु, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ, प्रायः शनि ग्रह और बुध ग्रह मारकेश होते है, मंगल और वृहस्पति ग्रह शुभ तथा धन प्रदायक होते है.
मेष राशि वालों का अनुकूल रत्न “मूंगा” है. ताम्बे की या सोने की अंगूठी में यह सवा पांच या सवा सात रत्ती का मूंगा अभिमंत्रित कर पहनने से चमत्कारिक लाभ का अनुभव कर सकते है. यह विशेष ध्यान रखे कि रत्न धारण करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी से सलाह अवश्य प्राप्त करें.
शुभमस्तु !!
सिंगिंग बाउल द्वारा घर की शान्ति बनाएं..
इसको बजाने के लिए पहले मुंगरी द्वारा कटोरे पर एक प्रहार करना चाहिए फिर इस मुंगरी को कटोरे के किनारे पर बांये से दांये घुमाना चाहिए. इस प्रकार एक विचित्र सी ध्वनि उत्पन्न होती है.
इसके नियमित प्रयोग से यह लय से बोलने लगेगा. तथा यह ध्वनि आपको कर्णप्रिय लगेगी. इसको दिन भर में कई बार बजा सकते है.
यदि आपको लगता है या महसूस हो रहा है कि घर-परिवार में कुछ अशांति हो रही है, तो इसका नियमित प्रयोग करने से घर की ऊर्जा शुद्ध हो जायेगी. चीन या फेंगशुई में इस ऊर्जा को ची कहा जाता है.
यह “ची” ही चीनी चिंतन का मुख्य आधार है.
शुभमस्तु !!
बाँसुरी की वास्तु व जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका..
जापान, चीन, हांगकांग, मलेशिया और मध्य एशिया में इसका प्रयोग बहुतायत में किया जाता है. यदि किसी के विकास में अनेक प्रयास करने के बाद भी बाधाए उत्पन्न हो रही हो तो इस बाँसुरी का प्रयोग अवश्य ही करना चाहिए.वैसे तो ”बाँसुरी एक फायदे अनेक है”. लेकिन यहां मै इस लेख में बाँसुरी के आसान और अचूक रामबाण उपाय दे रहा हूं जो कि पग पग पर हमारे लिए सहायक बनते है, और हमारी समस्याओं का पूर्ण रूप से समाधान करते है.
१:- बाँसुरी बाँस के पौधे से निर्मित होने के कारण शीघ्र उन्नतिदायक प्रभाव रखती है अतः जिन व्यक्तियों को जीवन में पर्याप्त सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही हो, अथवा शिक्षा, व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो, तो उसे अपने बैडरूम के दरवाजे पर दो बाँसुरियों को लगाना चाहिए.
२:- यदि घर में बहुत ही अधिक वास्तु दोष है, या दो या तीन दरवाजे एक सीध में है, तो घर के मुख्यद्वार के ऊपर दो बाँसुरी लगाने से लाभ मिलता है तथा वास्तु दोष धीरे धीरे समाप्त होने लगता है.
३:- यदि आप आध्यात्मिक रूप से उन्नति चाहते है, या फिर किसी प्रकार की साधना में सफलता चाहते है तो, अपने पूजा घर के दरवाजे पर भी बाँसुरिया लगाए. शीघ्र ही सफलता प्राप्त होगी.
४:- बैडरूम में पलंग के ऊपर अथवा डाइनिंग टेबल के ऊपर बीम हो तो, इसका अत्यंत खराब प्रभाव पड़ता है. इस दोष को दूर करने के लिए बीम के दोनों ओर एक एक बाँसुरी लाल फीते में बाँध कर लगानी चाहिए. साथ ही यह भी ध्यान रखे कि बाँसुरी को लगाते समय बाँसुरी का मुंह नीचे की ओर होना चाहिए.
५:- यदि बाँसुरी को घर के मुख हाल में या प्रवेश द्वार पर तलवार की तरह “क्रास” के रूप में लगाया जाए, तो आकस्मिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
६:- घर के सदस्य यदि बीमार अधिक हों अथवा अकाल मृत्यु का भय या अन्य कोई स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्या हो, तो प्रत्येक कमरें के बाहर और बीमार व्यक्ति के सिरहाने बाँसुरी का प्रयोग करना चाहिए इससे अति शीघ्र लाभ प्राप्त होने लगेगा.
७:- यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुण्डली में शनि सातवें भाव में अशुभ स्थिति में होकर विवाह में देर करवा रहे हो, अथवा शनि की साढ़ेसती या ढैया चल रही हो, तो एक बाँसुरी में चीनी या बूरा भरकर किसी निर्जन स्थान में दबा देना लाभदायक होता है इससे इस दोष से मुक्ति मिलती है.
८:- यदि मानसिक चिंता अधिक तेहती हो अथवा पति-पत्नी दोनों के बीच झगड़ा रहता हो, तो सोते समय सिरहाने के नीचे बाँसुरी रखनी चाहिए.
९:- यदि आप एक बाँसुरी को गुरु-पुष्य योग में शुभ मुहूर्त में पूजन कर के अपने गल्ले में स्थापित करते है तो इसके कारण आपके कार्य-व्यवसाय में बढोत्तरी होगी, और धन आगमन के अवसर प्राप्त होंगे.
१०:- पाश्चात्य देशो में इसे घरों में तलवार की तरह से भी लटकाया जाता है.इसके प्रभाव स्वरुप अनिष्ट एवं अशुभ आत्माओं एवं बुरे व्यक्तियों से घर की रक्षा होती है.
११:- घर और अपने परिवार की सुख समृधि और सुरक्षा के लिए एक बाँसुरी लेकर श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात बारह बजे के बाद भगवान श्री कृष्ण के हाथों में सुसज्जित कर दे तो इसके प्रभाव से पूरे वर्ष आपकी और आपके परिवार की रक्षा तो होगी ही तथा सभी कष्ट व बाधाए भी दूर होती जायेगी.
बाँसुरी के संबंध में एक धार्मिक मान्यता है कि जब बाँसुरी को हाथ में लेकर हिलाया जाता है, तो बुरी आत्माएं दूर हो जाति है. और जब इसे बजाया जाता है, तो ऐसी मान्यता है कि घरों में शुभ चुम्बकीय प्रवाह का प्रवेश होता है.
इस प्रकार बाँसुरी प्रकृति का एक अनुपम वरदान है. यदि सोच समझ कर इसका उपयोग किया जाए तो वास्तु दोषों का बिना किसी तोड़ फोड के निवारण कर अशुभ फलो से बचा जा सकता है. जहां रत्न धारण, रुद्राक्ष, यंत्र, हवन, आदि श्रमसाध्य और खर्चीले उपाय है, वहीं बाँसुरी का प्रयोग सस्ता, सुगम और प्रभावी होता है. अपनी आवश्यकता के अनुसार इसका प्रयोग करके लाभ उठाया जा सकता है.
शुभमस्तु !!
वास्तु द्वारा धन संपदा को आमंत्रित करें..
भवन के उत्तरी वायव्य, पश्चिमी, नैऋत्य, दक्षिणी नैऋत्य, और पूर्वी आग्नेय में यदि द्वार होता है तो, धन के लिए यह शुभ नहीं होता है. इस दिशाओं में खिड़कियाँ, दरवाजे, रोशनदान, बंद करा दें और हवा एवं प्रकाश तक भी इन दिशाओं में न आने दें. अन्यथा प्राप्त धन या अपनी जमा पूँजी भी खत्म हो जाती है. भवन का उत्तरी भाग ऊँचा न रखे इससे दुर्भाग्य पूर्ण हवाए उत्पन्न होती है. और घर का दक्षिण-पश्चिम भाग नीचा ना रखे, और यहां कुआं, अंडरग्राउण्ड टैंक, बौरवेल, आदि भी ना लगाए. इससे जानलेवा ऊर्जा पैदा होती है. और इस बात का भी हमेशा ध्यान रखे कि भवन के बीचो बीच में कुआं, टैंक, बोरवेल, बेसमेंट, आदि नहीं होना चाहिए. इनसे घर के लोगो का दुर्भाग्य शुरू हो जाता है.
शुभमस्तु !!
दूकान/ऑफिस में वास्तु से अधिक लाभ कमायें..
दूकान में तोलने वाला यंत्र, तराजू आदि को पश्चिमी या दक्षिणी दीवार के साथ किसी स्टैंड पर रखें तो, इससे नुक्सान नहीं होगा.
अपनी दूकान या ऑफिस में उत्तर-पूर्व (ईशान कोण), उत्तर और पूर्व दिशा का भाग ग्राहकों के आने जाने के लिए हमेशा खाली रखे. और यदि किसी कारण से मेला या गन्दगी से खराब हो जाए तो तुरंत सफाई करवा लें. इससे कोई भी विवाद ग्राहक से नहीं होता है. और ग्राहक प्रसन्न रहेगा.
दूकान में माल का भंडारण दक्षिण, पश्चिम अथवा नैऋत्य कोण में करें तो, शुभ फलदायक रहेगा.
दूकान या अपने ऑफिस में बिजली का मीटर, स्विच बोर्ड, इन्वर्टर आदि सामान आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व दिशा के कोने में उचित रहता है. इसके परिणाम स्वरुप दूकान आदि में कभी भी कोई चोरी या अग्नि का भय नहीं रहेगा.
दूकान में सीडियां ईशान कोण के अतिरिक्त किसी भी दिशा में रख कर उपयोग कर सकते है.
दूकान, दफ्तर, फैक्ट्री के सामने कोई भी वेध नहीं होना चाहिए. अर्थात खम्भा, सीढी, पेड़ या बिजली, टेलीफोन आदि का खम्भा हानि का योग बनाते है.
पूर्व मुखी दूकान या ऑफिस में सड़क दूकान पर चढ़ने के लिए सीढियां ईशान कोण में बनवा सकते है.
दूकान का मालिक या मुख्य व्यवस्थापक को अपने बैठने का स्थान यथा संभव नैऋत्य कोण में बनवाना चाहिए. और अपना मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर करके बैठना चाहिए. दूकान में पीने का पानी का पात्र ईशान कोण में रखें तथा प्रतिदिन दूकान खोलते समय भर कर रखें व पांच तुलसी के पत्ते उसमे डाल दिया करे. ऐसा करने पर ग्राहक जब भी दूकान में आएगा कोई न कोई वस्तु जरूर खरीदेगा, अर्थात वह दूकान से खाली वापस नहीं जाएगा.
शुभमस्तु !!
गृह निर्माण में वास्तु के महत्वपूर्ण भूमिका…
रसोईघर
रसोई के लिए आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) सबसे अच्छी स्थिति मानी जाती है. अतः रसोई मकान के दक्षिण-पूर्व कोण में ही होनी चाहिए. रसोई में भी जो दक्षिण-पूर्व का कोना है, वहां गैस सिलिंडर या चूल्हा या स्टोव रखा जाना चाहिए.
भोजन कक्ष
भोजन यदि रसोई घर में न किया जाए तो इसकी व्यवस्था ड्राइंगरूम में की जा सकती है. अतः डायनिंग टेबल ड्राइंगरूम के दक्षिण-पूर्व में रखनी चाहिए.
बैठक
वर्तमान समय में ड्राइंगरूम का विशेष महत्व है. इसमें फर्नीचर दक्षिण और पश्चिम दिशाओं में ही रखना चाहिए. ड्राइंगरूम में हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि उत्तर-पूर्व अर्थात ईशान कोण को हमेशा खाली रखना चाहिए.
अतिथि कक्ष
घर/ भवन में अतिथि कक्ष की सर्व श्रेष्ठ स्थिति उत्तर-पश्चिम का कोना है. इस जगह पर यदि अतिथि निवास करता है तो, वह आपके पक्ष में ही हमेशा रहेगा.
अन्न भण्डार गृह
पहले समय में लोग अपने घर में पूरे वर्ष भर का अनाज भंडारण किया करते थे. अतः अन्न भण्डार के लिए अलग से एक कमरा हुआ करता था. लेकिन वर्तमान समय में एक मास या इससे भी कम अवधि के लिए अन्न रखा जाता है इसे रसोईघर में ही रख लेना वास्तु शास्त्र द्वारा सम्मत है.
गैराज
गैराज का निर्माण दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में अनुकूल होता है.
नगदी व भण्डार
रोकड़ एवं घरेलू सामान उत्तर में रखना चाहिए एवं कीमती सामान आभूषण आदि दक्षिण की सेफ में रखना चाहिए. इससे सम्पन्नता में वृद्धि होने लगती है.
पोर्टिको
इसे उत्तर पूर्व में बनवाना चाहिए एवं इसकी छत मुख्य छत से नीची होनी चाहिए.
नौकरों के घर
नौकरों के घरों का रुख हमेशा उत्तर में या उत्तर-पूर्व में करना चाहिए.
तहखाना
यदि तहखाने का निर्माण कराना हो तो, उत्तर में या उत्तर-पूर्व में करना चाहिए. तहखाने में प्रवेश द्वार भी उत्तर या पूर्व दिशा की ओर से करना चाहिए.
बालकनी
सवा और भवन की सुंदरता के लिए बालकनी का निर्माण किया जाता है. इसे उत्तर-पूर्व में बनाना चाहिए यदि पूर्व निर्मित मकानों में दक्षिण-पश्चिम दिशा में बालकनी बनी हो तो, इन्हें फिर उत्तर-पूर्व में बनाना श्रेष्ठ रहता है.
योग एवं ध्यान
अपने जीवन में शारीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए योग और ध्यान की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है. अतः इसके लिए घर में उत्तर-पूर्व का कोना जिसे ईशान कोण भी कहते है वहा पर योग और ध्यान करने से एकाग्रता में वृद्धि होती है.
सीड़ी
सीडीयां उत्तर-पूर्व को छोड़ कर अन्य दिशाओं में सुविधानुसार बनाई जा सकती है. लेकिन पश्चिम या उत्तर दिशा इसके लिए अभीष्ट है. सीडियों का निर्माण विषम संख्या में होना चाहिए एवं चढ़ते समय दांयी ओर मुड़नी चाहिए.
शेष अगले भाग में………..
शुभमस्तु..
भाग्य का द्वार खोलनें वाले स्वप्न…
आप स्वप्न में कुम्हार को घड़ा बनाते देखते है तो इसका मतलब यह हुआ कि जल्दी ही आपके शरीर से शोक का दमन होने वाला है. और इसके साथ ही आपको बहुत धन की प्राप्ति होने वाली है.
आप स्वप्न में चावल देखते है, या खाते है तो समझ लीजिए कि भविष्य में आपको अचानक धन मिलने वाला है.
आप स्वप्न में फव्वारें चलते हुए देखते है तो भविष्य में आपका डूबा हुआ धन मिलने लगेगा.
आप यदि स्वप्न में मूसलाधार वर्षा देखते है तो समझ लीजिए कि आपके अच्छे दिन आने वाले है. अर्थात भविष्य में आपके घर लक्ष्मी का आगमन होने वाला है.
आप स्वप्न में किसी अपाहिज व्यक्ति की तन-मन से सेवा करते है तो आपके अच्छे दिन लोटने वाले है. आपको शीघ्र ही उच्च पद की प्राप्ति होने वाली है.
आप स्वप्न में मशीन द्वारा घास काटते है तो भविष्य में सुख सौभाग्य की वृद्धि होने वाली है.
आप स्वप्न में घर का आय-व्यय का ब्यौरा बनाते है तो समझ लीजिए कि आपके व्यापार में शीघ्र ही लाभ होने वाला है. और यदि यही स्वप्न कोई स्त्री देखती है तो उसकी लोकप्रियता में वृद्धि होती है.
आप एक अविवाहित युवती है और आप स्वप्न में स्वयं को किसी स्कूल की कक्षा की छात्रा के रूप में देख रही है तो इसका अर्थ यह है कि आपका विवाह वास्तविक प्रेमी के साथ होने वाला है.
इस प्रकार यह स्वप्न शुभ फलदायक होकर आपके जीवन में भाग्य का द्वार खोलने का संकेत आपको देते है.
शुभमस्तु…
सुखी जीवन हेतु लाल किताब के उपाय..
लड़ाई झगड़ें वाले चित्र जीवन को कष्टमयी बनाते है आप युद्ध या क्रूरतापूर्ण दर्शाने वाले चित्र लगाना चाहते है तो उन्हें कक्ष की दक्षिणी दीवार पर लगा सकते है इस एना ही लगाए तो उचित रहेगा.
जब भी हो सके तो बन्दर, कुत्ते, गाय या पक्षियों को भोजन दाना डालते रहें. इससे घर में बरकत बढ़ती है.
कभी कभी नहाने वाले पानी में एक चम्मच कच्चा दूध डाल कर नहाया करे तो आकस्मिक रोग नहीं होता है.
किसी से भी कोई वस्तु मुफ्त ना ले. हर वस्तु पर किसी न किसी ग्रह का प्रभाव होता है. वस्तु मुफ्त लेने से उस ग्रह के प्रभाव अवांछित हो सकते है.
प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह संयुक्त परिवार में रहे तो जीवन में कभी मानसिक कष्ट नहीं आता है.
बुधवार को गरीब लड़कियों को भोजन व हरा कपड़ा दें. पशुओं को हरा चारा दें. धन का हानि कभी न होगी.
अपनी बेटी और बहन को उपहार के रूप में मिठाईयां देनी चाहिए इससे उनका परिवार खुशहाल रहता है और अपने आप को भी सुख की प्राप्ति होने लगती है.
लाल किताब अनुसार सूर्य ग्रह का सम्बन्ध वाहय व्यक्ति से, चंद्रमा का मां व दादी से, मंगल का भाई व मित्र से, बुध का पुत्री/कन्या, बहन व चाची से, वृहस्पति का गुरु, पिता व दादा से, शुक्र का पत्नी से, शनि का चाचा से, राहू का ससुराल से तथा केतु का पुत्र से सम्बन्ध होता है. इसलिए इन्हें नाराज करना उस से सम्बंधित ग्रह को नाराज करना होता है.
अतः परिवार में सभी सदस्यों के साथ मिलकर ही रहना चाहिए इससे समाज में प्रतिष्ठा की वृद्धि होकर जीवन सुखमय व्यतीत होता है.
शुभमस्तु…..
सावधान रहें,इन अशुभ संकेतों से..
६:- यदि घर में काले रंग के चूहे बहुत अधिक तादाद में दिन और रात भर घूमते रहते हो तो, समझ लीजिए कि किसी रोग या शत्रु का आक्रमण होने वाला है.
७:- यदि घर की छत पर, दीवार पर या घर के किसी भी कोने में लाल रंग की चींटिया घुमती या रेंगती हुई दिखाई दे, तो समझ लीजिए कि संपत्ति का क्षय होता है. या संपत्ति का कोई नुक्सान हो जाता है. और यदि पंख वाली चींटियां हो तो घर में बिना किसी कारण के क्लेश की स्थिति उत्पन्न होने लगती है.
८:- यदि पालतू गाय अपना दूध पीती हो या अत्यधिक सिर हिलाती हो, तो घर के गृहस्वामी के ऊपर कर्ज बढ़ता है और भाग्य खराब होने लगता है.
९:- यदि किसी खुशी के कार्य पर घर में आग लग जाय तो धन हानि की संभावना बन जाति है.
१०:- यदि घर में बने मंदिर की कोई मूर्ति या चित्र अपने आप खंडित या जल जाए, या जमीन पर हाथ से छूट कर टूट जाए तो, यह संकेत पूरे परिवार के लिए शुभ नहीं होता तथा इसके कारण समाज में मां हानि और कलंक लगता है. घर में विवाह आदि शुभ कार्यों में अनावश्यक बाधाओं का सामना करना पडता है.
११:- यदि घर में रसोई का प्लेटफार्म का चटकना या टूटना, चाकले का टूटना या तड़क जाना दरिद्रता की निशानी होती है.
१२:- यदि घर में दूध बार बार जमीन पर गिरता हो, किसी भी कारण से तो घर में क्लेश और विवाद की स्थिति बनती है.
१३:- यदि सुबह के समय या शाम के समय कौवा मांस या हड्डी लाकर गिराता है तो, समझ लीजिए कि अमंगल होने वाला है और बिमारी, चोट आदि पर धन खर्च होगा.
१४:- यदि कोई भी पक्षी घर में किसी भी समय कोई लोहे का टुकड़ा गिराता है तो, यह अशुभ संकेत होता है जिसके कारण अचानक छापा या कारावास होने की पूरी पूरी संभावना बनने लगती है.
१५:- यदि जिस दिन नए घर में प्रवेश करना हो तो, उसी दिन सूर्योदय के समय कोई भी पशु रोता है तो उस दिन गृह प्रवेश टाल दें यह संकेत शुभ नहीं होता है घर में प्रवेश करते ही दुःख आरम्भ हो जायेंगे.
इस प्रकार के अशुभ संकेत यदि सामने आटे है तो इनका उपचार भी शास्त्रों में दिया गया है कि संकेत देखने के बाद उसी समय मंदिर में जाकर सरसों के तेल का मिट्टी का दिया भगवान एक सामने अर्पण कर शुभ फल की प्रार्थना करें और किसी गाय को रोटी के अंदर गुड़ रख कर खिलाए. तथा श्री हनुमान चालीसा के पांच पाठ करे तो यह अशुभ संकेतों का दोष समाप्त हो जाता है.
शुभमस्तु !!
भविष्य की सूचना देने वाले शुभ संकेत..
६:- यदि आपके घर की मुंडेर या चाहरदीवारी पर कोयल या सोन चिड़िया बैठ कर मधुर स्वर करती है तो घर के स्वामी का भाग्योदय होता है तथा सुखी जीवन का प्रतीक संकेत है.
७:- घर की छत या दीवार पर काली चींटियों का घूमना या रेंगना घर की उन्नति के लिए शुभ संकेत माना जाता है.
८:- यदि हाथी आ कर आपके घर के मुख्य द्वार के सामने अचानक अपनी सूंड उठा कर जोर से स्वर करता है तो विवाद में आपकी जीत होती है और मुकद्दमा आपके पक्ष में होता चला जायगा.
९:- सफेद कमेड़ी यदि आपके घर की किसी भी दीवार पर बैठ कर आवाज करती है तो यह संकेत आपकी व्यापार वृद्धि में अत्यंत सहायक सिद्ध होगा.
१०:- घर में बिल्ली यदि छत या किसी कमरें में अपना प्रसव करती है तो समझ लीजिए कि धन संपदा की वृद्धि होने वाली है.
ऐसे कई संकेत है जो कि हमारें सामने कई बार होते है, पर हम समझ नहीं पाते. इसी प्रकार से अगले भाग में मै अशुभ संकेतों का वर्णन करने जा रहा हूं.
क्रमशः …………
शुभमस्तु !!
वास्तु द्वारा दूर करें अपनी समस्याएं..
पति-पत्नी को किसी भी टकराव से बचने के लिए एक ही पलंग, एक ही गददा, एक ही चादर तथा एक ही तकिया प्रयोग में लाये तो शुख की वृद्धि होगी.
मकान का फर्श बनाने में काले रंग के पत्थरों का प्रयोग करने से राहू ग्रह की वृद्धि होती है.
अपने पूर्वजों के चित्र पूजा स्थल पर नहीं रखने चाहिए. इन्हें घर की दक्षिण दिशा या पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए.
मकान का कोई कमरा किराए पर देने के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा में बना हिस्सा ज्यादा ठीक रहेगा.
घर में शान्ति, आर्थिक उन्नति के लिए गुगुल की धूप सुबह शाम जलानी चाहिए.
किसी भी पेड़ के पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर नहीं सोना चाहिए. इससे दुर्घटना, झगड़ा, बिमारी आदि उत्पन्न हो सकती है.
भोजन करने के लिए पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए.
अनेक मंजिलों वाले भवन में दरवाजे के ऊपर दरवाजा न बनवायें. घर में एक सीध में तीन दरवाजे नहीं बनवाए.
घर में किसी व्यक्ति को बार बार रोग पीड़ा का सामना करना पड़ रहा हो और ठीक न हो रहा हो, तो उस व्यक्ति को मकान के दक्षिण-पश्चिम कोने वाले कमरें में सुलाये या उसी कमरें में उपर्युक्त दिशा में बिस्तर लगा डे तो शीघ्रता से रोग निवृति होती है.
घर के मुख्य द्वार के सामने पेड़, बिजली या टेलीफोन का खम्भा, दूसरे के मकान का कोना आदि अवरोध एवं वेध हो तो, मुख्य द्वार के ऊपर पा कुआ दर्पण लगाना चाहिए.
इनके करने से वास्तु जनित दोषों से अवश्य छुटकारा मिलता है, तथा जीवन सुखी हो जाता है.
शुभमस्तु !!
यात्रा में दिशाशूल का महत्व..
पूर्व
|
सोमवार, शनिवार,
|
ईशान (उत्तर-पूर्व)
|
बुधवार, शुक्रवार,
|
उत्तर
|
बुधवार, मंगलवार,
|
वायव्य (उत्तर-पश्चिम)
|
मंगलवार,
|
पश्चिम
|
रविवार, शुक्रवार,
|
नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम)
|
रविवार,
शुक्रवार,
|
दक्षिण
|
वृहस्पतिवार,
|
आग्नेय (दक्षिण-पूर्व)
|
सोमवार, वृहस्पतिवार,
|
दिशा शूल ले जाओ बामे
राहू योगिनी पूठ,!
सन्मुख लेवें चंद्रमा
लावे लक्ष्मी लूट !!
यदि यात्रा करनी अति आवश्यक हो, और उस दिन दिशा शूल हो तो उन वस्तुओं को खा कर यात्रा करने से दिशा शूल का दोष का फल न्यून हो जाता है. और कार्य सिद्धि होने लगती है, जिस कार्य के लिए हम यात्रा पर निकले है वह कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण हो जाता है. इसके लिए प्रत्येक वार की वस्तुएं निम्न है..
रविवार को पान खाकर यात्रा पर जाना चाहिए.
सोमवार को यात्रा पर जाने से पहले दर्पण देख कर ही घर से निकलना चाहिए.
मंगलवार को यात्रा से पूर्व धनिया खाए, तो यात्रा सुखपूर्वक होगी.
बुधवार को गुड़ खाएं.
वृहस्पतिवार को दही खा कर यात्रा पर निकलना चाहिए.
शुक्रवार को राई खा कर जाए.
शनिवार को बायविडिंग खा कर यात्रा करने से लाभ प्राप्त होता है.
यह तो मुख्य दिशाओं के दिशा शूल का परिहार था लेकिन उपदिशाओं में यात्रा करने के लिए भी शास्त्र में उपाय दिए है कि रविवार को चन्दन का तिलक, सोमवार को दही का तिलक, मंगलवार को मिट्टी का तिलक, बुधवार को घी का तिलक, वृहस्पतिवार को आटे का तिलक, शुक्रवार को तिल खा कर और शनिवार को खल खा कर यात्रा करने से उपदिशा का दिशा शूल नहीं लगता है.
दिशा शूल के निवारन के लिए लोकाचार के नियमों का पालन अवश्य करें. जो व्यक्ति प्रतिदिन अपनी नौकरी या व्यवसाय के लिए यात्रा करते है. वह भी इस बात का ध्यान रखे कि घर से निकलते समय नासिका (नाक) का जो स्वर चलता हो, उसी तरफ का पैर आगे रख कर यात्रा में निकलने से सभी दिशा शूल का दोष समाप्त हो जाता है. तथा प्रत्येक व्यक्ति जब भी यात्रा करनी हो उसू समय का नासिका का जो स्वर चल रहा हो और उसी तरफ का पैर आगे बढ़ा कर यात्रा में निकलता है तो दिशा शूल का प्रभाव मिट जाता है.