मंगल चंडिका प्रयोग—–
प्रथम :- मंत्र और स्त्रोत्र प्रयोग—
यह प्रयोग मंगली लोगो को मंगल की वजह से उनके विवाह, काम-धंधे में आ रही रूकावटो को दूर कर देता है
मंत्र:- ॐ ह्रीं श्रीं कलीम सर्व पुज्ये देवी मंगल चण्डिके ऐं क्रू फट् स्वाहा
( देवी भगवत के अनुसार अन्य मंत्र :- ॐ ह्रीं श्रीं कलीम सर्व पुज्ये देवी मंगल चण्डिके हूँ हूँ फट् स्वाहा )
दोनों में से कोई भी मन्त्र जप सकते है
ध्यान :-
देवी षोडश वर्षीया शास्वत्सुस्थिर योवनाम| सर्वरूप गुणाढ्यं च कोमलांगी मनोहराम|
स्वेत चम्पक वऱॅणाभाम चन्द्र कोटि सम्प्रभाम| वन्हिशुद्धाशुका धानां रत्न भूषण भूषिताम|
बिभ्रतीं कवरीभारं मल्लिका माल्य भूषितं| बिम्बोष्ठिं सुदतीं शुद्धां शरत पद्म निभाननाम|
ईशदहास्य प्रसन्नास्यां सुनिलोत्पल लोचनाम| जगद धात्रीं च दात्रीं च सर्वेभ्य सम्पत्प्रदाम|
संसार सागरेघोरे पोत रूपां वरां भजे|
स्त्रोत्र:—-
यह प्रयोग मंगली लोगो को मंगल की वजह से उनके विवाह, काम-धंधे में आ रही रूकावटो को दूर कर देता है
मंत्र:- ॐ ह्रीं श्रीं कलीम सर्व पुज्ये देवी मंगल चण्डिके ऐं क्रू फट् स्वाहा
( देवी भगवत के अनुसार अन्य मंत्र :- ॐ ह्रीं श्रीं कलीम सर्व पुज्ये देवी मंगल चण्डिके हूँ हूँ फट् स्वाहा )
दोनों में से कोई भी मन्त्र जप सकते है
ध्यान :-
देवी षोडश वर्षीया शास्वत्सुस्थिर योवनाम| सर्वरूप गुणाढ्यं च कोमलांगी मनोहराम|
स्वेत चम्पक वऱॅणाभाम चन्द्र कोटि सम्प्रभाम| वन्हिशुद्धाशुका धानां रत्न भूषण भूषिताम|
बिभ्रतीं कवरीभारं मल्लिका माल्य भूषितं| बिम्बोष्ठिं सुदतीं शुद्धां शरत पद्म निभाननाम|
ईशदहास्य प्रसन्नास्यां सुनिलोत्पल लोचनाम| जगद धात्रीं च दात्रीं च सर्वेभ्य सम्पत्प्रदाम|
संसार सागरेघोरे पोत रूपां वरां भजे|
स्त्रोत्र:—-
||शंकर उवाच||
रक्ष रक्ष जगन मातर देवी मंगल चण्डिके | हारिके विपदां राशे: हर्ष मंगल कारिके ||
हर्ष मंगल दक्षे च हर्ष मंगल चण्डिके | शुभ मंगल दक्षे च शुभ मंगल चण्डिके ||
मंगले मंगलार्हे च सर्व मंगल मंगले | सतां मंगलदे देवी सर्वेषां मंग्लालये ||
पूज्या मंगलवारे च मंगलाभीष्ट दैवते | पूज्य मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम ||
मंगलाधिष्ठात्रिदेवी मंगलानां च मंगले | संसार मंगलाधारे मोक्ष मंगलदायिनी ||
सारे च मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम | प्रति मंगलवारे च पूज्य च मंगलप्रदे ||
स्त्रोत्रेणानेन शम्भुश्च स्तुत्वा मंगल चंडीकाम | प्रति मंगलवारे च पूजां कृत्वा गत: शिव: ||
देव्याश्च मंगल स्त्रोत्रम यं श्रुणोति समाहित: | तन्मंगलं भवेत्श्चान्न भवेत् तद मंगलं ||
विधि विधान :—-
मंगलवार को संध्या समय पर स्नान करके पवित्र होकर एक पंचमुखी दीपक जलाकर माँ मंगल चंडिका की पूजा श्रधा भक्ति पूर्वक करे/ माँ को एक नारियल और खीर का भोग लगाये | उपरोक्त दोनों में से किसी एक मंत्र का मन ही मन १०८ बार जप करे तथा स्त्रोत्र का ११ बार उच्च स्वर से श्रद्धा पूर्वक प्रेम सहित पाठ करे | ऐसा आठ मंगलवार को करे | आठवे मंगलवार को किसी भी सुहागिन स्त्री को लाल ब्लाउज, लाल रिब्बन, लाल चूड़ी, कुमकुम, लाल सिंदूर, पान-सुपारी, हल्दी, स्वादिष्ट फल, फूल आदि देकर संतुष्ट करे | अगर कुंवारी कन्या या पुरुष इस प्रयोग को कर रहे है तो वो अंजुली भर कर चने भी सुहागिन स्त्री को दे , ऐसा करने से उनका मंगल दोष शांत हो जायेगा | इस प्रयोग में व्रत रहने की आवश्यकता नहीं है अगर आप शाम को न कर सके तो सुबह कर सकते है |
यह अनुभूत प्रयोग है और आठ सप्ताह में ही चमत्कारिक रूप से शादी-विवाह की समस्या, धन की समस्या, व्यापार की समस्या, गृह-कलेश, विद्या प्राप्ति आदि में चमत्कारिक रूप से लाभ होता है