पीडित चन्द्र/चतुर्थेश देता है मानसिक अवसाद—by पं.डी.के.शर्मा”वत्स”—-
डिप्रेशन जैसे मानसिक रोगों का केन्द्रबिन्दु मन है। मन जो कि शरीर का बहुत ही सूक्ष्म अव्यव होता है,लेकिन आन्तरिक एवं बाह्य सभी प्रकार की क्रियायों को यही प्रभावित करता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार अवसाद(डिप्रेशन)मूल रूप से मस्तिष्क में रसायनिक स्त्राव के असंतुलन के कारण होता है,किन्तु वैदिक ज्योतिष अनुसार इस रोग का दाता, मन को संचालित करने वाला ग्रह चन्द्रमा तथा व्यक्ति की जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव के स्वामी को माना जाता है। चंद्र के प्रत्यक्ष प्रभावों से तो आप सभी भलीभान्ती परिचित हैं। पृथ्वी के सबसे नजदीक होने से व्यक्ति के मन को सर्वाधिक प्रभावित यही ग्रह करता है,क्योंकि ज्योतिष में चंद्रमा का पूर्ण सम्बंध हमारे मानसिक क्रियाकलापों से है। अगर चंद्रमा या चतुर्थेश(Lord of 4th house) नीच राशी में स्थित हो, अथवा षष्ठेश(Lord of 6th house)के साथ युति हो,या फिर राहू या केतु के साथ युति होकर कुंडली में ग्रहण योग निर्मित हो रहा हो तो इस रोग की उत्पति होती है। इसके अतिरिक्त द्वादशेश(Lord of ..th house) का चतुर्थ भाव में स्थित होना भी व्यक्ति के मानसिक असंतुलन का द्योतक है।
1. रोगी को चांदी के पात्र (गिलास आदि) में जल,शर्बत इत्यादि शीतल पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
2. सोमवार तथा पूर्णिमा की रात्री को चावल,दूध,मिश्री,चंदन लकडी,चीनी,खीर,सफेद वस्त्र,चांदी इत्यादि वस्तुओं
का दान करना चाहिए।
.. आशावादी बनें। प्रत्येक स्थिति में आशावादी दृ्ष्टिकोण अपनाऎं। अपनी असफलताओं को नहीं वरन सफलताओं को याद करें।
4. हरे रंग का परित्याग करें।
5.चाँदी में मंडवाकर गले में द्विमुखी रूद्राक्ष धारण करें, साथ ही नित्य प्रात: कच्चे दूध में सफेद चन्दन घिसकर मस्तक पर उसका तिलक करें।
6. कभी भी खाली न बैठे क्यों कि अगर आप खाली बैठेंगे तो मन को अपनी उडान भरने का समय मिलेगा,जिससे भांती भांती के कुविचार उत्पन होने लगेंगे।
7. हो सके तो बेहतर मनोंरंजक साहित्य पढें,सिद्ध पुरूषों के प्रवचन सुनें,व्यायाम-योग-ध्यान साधना इत्यादि विधियों को अपनाऎं।