7 का महत्व–by Vikas Nagpal—
* सात फेरे : ►
वैदिक रीति के अनुसार आदर्श विवाह में परिजनों के सामने अग्नि को अपना साक्षी मानते हुए सात फेरे लिए जाते हैं। प्रारंभ में कन्या आगे और वर पीछे चलता है। भले ही माता-पिता कन्या दान कर दें, भाई लाजा होम कर दे किंतु विवाह की पूर्णता सप्तपदी के पश्चात तभी मानी जाती है जब वर के साथ सात कदम चलकर कन्या अपनी स्वीकृति दे देती है। शास्त्रों ने अंतिम अधिकार कन्या को ही दिया है।

*सात वचन :►
वामा बनने से पूर्व कन्या वर से यज्ञ, दान में उसकी सहमति, आजीवन भरण-पोषण, धन की सुरक्षा, संपत्ति ख़रीदने में सम्मति, समयानुकूल व्यवस्था तथा सखी-सहेलियों में अपमानित न करने के सात वचन कन्या द्वारा वर से भराए जाते हैं। इसी प्रकार कन्या भी पत्नी के रूप में अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए सात वचन भरती है। सप्तपदी में पहला पग भोजन व्यवस्था के लिए, दूसरा शक्ति संचय, आहार तथा संयम के लिए, तीसरा धन की प्रबंध व्यवस्था हेतु, चौथा आत्मिक सुख के लिए, पाँचवाँ पशुधन संपदा हेतु, छटा सभी ऋतुओं में उचित रहन-सहन के लिए तथा अंतिम सातवें पग में कन्या अपने पति का अनुगमन करते हुए सदैव साथ चलने का वचन लेती है तथा सहर्ष जीवन पर्यंत पति के प्रत्येक कार्य में सहयोग देने की प्रतिज्ञा करती है।

*सात दिन :►
वर्ष एवं महीनों के काल खंडों को सात दिनों के सप्ताह में विभाजित किया गया है।

*सात घोड़े :►
सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं जो सूर्य के प्रकाश से मिलनेवाले सात रंगों में प्रकट होते हैं।

*सात रंग :►
आकाश में इंद्र धनुष के समय वे सातों रंग स्पष्ट दिखाई देते हैं। दांपत्य जीवन में इंद्रधनुषी रंगों की सतरंगी छटा बिखरती रहे इस कामना से ‘सप्तपदी’ की प्रक्रिया पूरी की जाती है।

*सात स्वर :►
सर्वविदित है कि भारतीय संगीत में सा, रे, गा, मा, पा, धा, नि अर्थात – षड़ज, ऋषभ, गांधोर, मध्यम, पंचम, धैवत तथा निषाद ये सात स्वर होते हैं।

*सात तल :►
इसी प्रकार अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल ये सात तल कहे गए हैं।

*सात ऋषि :►
मन, वचन और कर्म के प्रत्येक तल पर पति-पत्नी के रूप में हमारा हर कदम एक साथ उठे इसलिए आज अग्निदेव के समक्ष हम साथ-साथ सात कदम रखते हैं। हमारे जीवन में कदम-कदम पर मरीचि, अंगिरा, अत्रि, पुलह, केतु, पौलस्त्य और वैशिष्ठ ये सात ऋषि हम दोनों को अपना आशीर्वाद प्रदान करें तथा सदैव हमारी रक्षा करें।

*सात लोक :►
भू, भुवः स्वः, महः, जन, तप और सत्य नाम के सातों लोकों में हमारी कीर्ति हो। हम अपने गृहस्थ धर्म का जीवन पर्यंत पालन करते हुए एक-दूसरे के प्रति सदैव एकनिष्ठ रहें और पति-पत्नी के रूप में जीवन पर्यंत हमारा यह बंधन सात समंदर पार तक अटूट बना रहे तथा हमारा प्यार सात समुद्रों की भांति विशाल और गहरा हो। हमारे प्राचीन मनीषियों ने बहुत सोच-समझकर विवाह में इन परंपराओं की नींव रखी थी। विवाह संस्कार की संपूर्ण प्रक्रिया के पीछे वैज्ञानिक कारण हैं। दांपत्य के भावी जीवन रूपी भवन का भविष्य ‘विवाह संस्कार’ निर्भर करता है।

*सात शुभ पदार्थ :►
प्रातःकाल मंगल दर्शन के लिए सात पदार्थ शुभ माने गए हैं। गोरोचन, चंदन, स्वर्ण, शंख, मृदंग, दर्पण और मणि इन सातों या इनमें से किसी एक का दर्शन अवश्य करना चाहिए।

*सात क्रियाएँ : ►
शौच, दंतधावन, स्नान, ध्यान, भोजन, भजन और शयन सात क्रियाएँ मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। अतः नित्य कर्म के रूप में इन्हें अवश्य करना चाहिए।

*सात स्नान :►
वेद स्मृति में स्नान भी सात प्रकार के बताए गए हैं। मंत्र स्नान, भौम स्नान, अग्नि स्नान, वायव्य स्नान, दिव्य स्नान, करुण स्नान तथा मानसिक स्नान जो क्रमशः मंत्र, मिट्टी, भस्म, गौखुर की धूल, सूर्य किरणों में, वर्षाजल, गंगाजल तथा आत्मचिंतन द्वारा किए जाते हैं।

*सात अभिवादन योग्य :►
शास्त्रों में माता, पिता, गुरु, ईश्वर, सूर्य, अग्नि और अतिथि इन सातों को अभिवादन करना अनिवार्य बताया गया है

*सात आंतरिक अशुद्धियाँ :►
ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, लोभ, मोह, घृणा और कुविचार ये सात आंतरिक अशुद्धियाँ बताई गई हैं। अतः इनसे बचने के लिए सदैव सचेष्ट रहना चाहिए,

*सात सदाचार :►
बाह्यशुद्धि, पूजा-पाठ, मंत्र-जप, दान-पुण्य, तीर्थयात्रा, ध्यान-योग तथा विद्या और ज्ञान !

*सात विशिष्ट लाभ :►
जीवन में सुख, शांति, भय का नाश, विष से रक्षा, ज्ञान, बल और विवेक की वृद्धि

*सात दांत साफ़ करने के वृक्ष :►
आयुर्वेद के अनुसार दाँतों की सफ़ाई करने के लिए आम, नीम, बेल, बबूल, गूलर, करंज तथा खैर – इन सात हरे वृक्षों की टहनी से बनी दातौन अच्छी मानी जाती है। लसौढ़ा, पलाश, कपास, नील, धव, कुश और काश – इन सातों से बनी दातौन से दाँत साफ़ करना वर्जित कहा गया है।

*आयु में सात माह / सात दिन की कटोती :►
शनिवार के दिन बाल या नाखून काटने से उस दिन के अभिमानी देवता सात माह की आयु क्षीण कर देते हैं तथा सोमवार को बाल या नाखून काटने से सात माह की आयु वृद्धि होती हैं।

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