ज्योतिष संवारे व्यक्तित्व—-

ज्योतिष का नाम आते ही जन्मपत्री के .. भावों में बैठे ग्रह, ज्योतिष की गूढ़ भाषा या हस्तरेखाओं का जाल और उनमें फैली जटिलता ही सामने आती है। और उनसे जुडी होती हैं कुछ भविष्यवाणियाँ …जन्म से लेकर नौकरी,शादी ,प्रमोशन, मोक्ष तक सब कुछ… इन रेखाओं में निहित ग्रहों की स्थिति के अनुसार फलादेश तो किया ही जाता है मगर इनके पीछे छिपे संकेतों को हम शायद ही समझाने का प्रयास करते हैं।
हमारे हाथ या कुण्डली में किसी ग्रह की कमजोरी या मजबूती का सीधा सा अर्थ हमारे व्यक्तित्व की मजबूती या कमजोरी से होता है। जब कुण्डली या हाथ में कोई ग्रह कमजोर होता है यानी सही स्थान में नहीं होता है तो उस ग्रह से सम्बंधित बुराइयां या कमजोरियां हमारे शरीर में, स्वभाव में घर करती जायेंगी और इन्हीं के चलते हमें भाग्य की खराबी या भाग्य में अवरोधों का सामना करना पडेगा। उदाहरण के लिए यदि चन्द्रमा की स्थिति कमजोर है तो व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर होगा। निर्णय क्षमता प्रभावित होगी,स्मरण शक्ति कम होती जाएगी… इन सबके चलते व्यक्ति के भाग्य में अवरोध आना तय सा ही है।
तात्पर्य यह है कि भाग्य की कमजोरी का मुख्य कारण हमारे व्यक्तित्व में उस ग्रह विशेष के कारण आई हुई नकारात्मकता ही होती है। अत: ग्रह को सुधारने के लिए हमें ग्रह के कारण हमारे स्वभाव में आ रही कमियों को भी सुधारने का प्रयास करना चाहिए। जब भी कुण्डली या हाथ का अवलोकन कराया जाए या स्वयं देखा जाए तो मुख्य ग्रह और कमजोर ग्रहों की जानकारी लेना चाहिए और उसके अनुसार अपने स्वभाव की, व्यक्तित्व की कमियों को सुधारने का उपाय करना चाहिए। स्व निरीक्षण करना, ध्यान करना और गुरू की सलाह लेना व्यक्तित्व सुधार का अच्छा उपाय हो सकता है ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here