लाल किताब में शुक्र का उपाय —-
लाल किताब में प्रत्येक भाव में शुक्र की शुभता एवं उपचार सम्बन्धी उपाय बताए गये हैं.शुक्र की शुभता के लिए कुछ सामान्य उपायों में पत्नी का सम्मान करना चाहिए.शुक्रवार का व्रत करना चाहिए.मन और हृदय पर काबू रखना चाहिए और भटकाव की ओर जाने से रोकना चाहिए.सात प्रकार के अनाज और चरी का दान करना चाहिए.चतुर्थ भाव में शुक्र मंदा होने पर पत्नी से दो बार शादी करनी चाहिए.धन एवं संतान के लिए स्त्री को बालों में सोने की क्लिप या सूई लगाकर रखना चाहिए.खाना नम्बर 6 में शुक्र मंदा होने पर संतान हेतु अंगों को दूध से धोना चाहिए.लाल किताब शुक्र के सम्बन्ध में मन और इंद्रियों को नियंत्रित करने पर विशेष बल देता है….
शुक्र और दांपत्य जीवन———-
संसार का प्रत्येक व्यक्ति दांपत्य सुख की कामना करता है, लेकिन ऎसा हर एक व्यक्ति के जीवन में संभव नहीं होता है।
.-8 मेष-वृश्चिक लग्न: मेष लग्न वालों के दांपत्य सुख का कारक ग्रह शुक्र होता है। ऎसे व्यक्ति हीरा, ओपेल, जरकिन अथवा सरपोंखा की जड़ में से कोई एक धारण करें। शुक्रवार का व्रत करें। चावल, मिश्री, श्वेत चंदन, सफेद चमकीला वस्त्र आदि दान करें। बुजुर्ग महिलाओं का सम्मान कर आशीर्वाद लें। “ú शुं शुक्राय नम:” मंत्र की माला का जाप करें।

.-7 वृष एवं तुला: इस लग्न का दांपत्य सुख का कारक ग्रह मंगल है। मंगलवार का व्रत करें। लाल चंदन का तिलक लगाएं। मूंगा स्वर्ण में धारण करें अथवा अनंतमूल की जड़ लाल डोरे में धारण करें। गेहूं, मसूर की दाल, घी, गुड़, लाल चंदन, लाल फूल, तांबे का पात्र दान करें। “ú अं अंगार काय नम:” मंत्र का जाप करें तथा जेब में लाल रू माल रखें। 

.-6 मिथुन एवं कन्या लग्न: इन लग्न वालों का दांपत्य सुख का कारक ग्रह बृहस्पति है। गुरूवार का व्रत रखें। केले की पूजा करें और केले की जड़ पीले कपड़े अथवा पीले ताबीज में धारण करें। तुलसी के पौधे पर घी का दीपक जलाएं। एकादशी के सात व्रत करें। भगवान को चने की दाल अथवा बेसन के पकवान का भोग लगाएं। गाय को चने की दाल, गुड़ खिलाएं। पीले चावल, पीले फूल, पीले वस्त्र दान करें। घर के बुजुर्ग महिला-पुरूषों का सम्मान कर आशीर्वाद प्राप्त करें। 

4-5 कर्क एवं सिंह लग्न: इन लग्नों के कारक ग्रह शनि है। दांपत्य सुख के लिए ऎसे व्यक्तियों को पीपल वृक्ष पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाना चाहिए। काले घोड़े की नाल अथवा जहाज की कील का छल्ला मघ्यमा अंगुली में धारण करें। शनिवार को हनुमानजी के यहां भीगे चने और गुड़ चढ़ाएं तथा हनुमान अष्टक का पाठ करें। गरीब, असहाय, विकलांग व्यक्तियों की सेवा कर आशीर्वाद प्राप्त करें। झूठ, बेईमानी से अपने को बचा के रखें। 

9-12धनु एवं मीन लग्न: इस लग्न धारकों को दांपत्य सुख के कारक बुध ग्रह है। गणेशजी अराधना लाभकारी है तथा साथ ही भगवान विष्णु की पूजा करें। प्रत्येक बुधवार को गणेशजी दुर्वा (दोब), सिंदूर, मूंग के लड्डू अर्पण करें। बुधवार को कन्याओं को भोजन कराकर, हरा वस्त्र दान करें। बुधवार का व्रत रखें। पन्ना अथवा विधारा की जड़ हरे डोरे में धारण करें। मूंग, चीनी, हरा वस्त्र, हरी सब्जी, कांस्य पात्र का दान करें। 

1.. मकर लग्न: इस लग्न वाले का दांपत्य सुख का कारक ग्रह चंद्रमा होता है। सोमवार का व्रत रखें। श्रावण मास में शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित करें। चंद्र यंत्र भोजपत्र पर बनाकर पूजनघर में रखकर नित्य पूजन करें। रूद्राक्ष के साथ मोती धारण करें। सफेद वस्तुओं का दान करें तथा दोज के चंद्रमा के दर्शन कर सफेद धागा अर्पित करें। खिरनी की जड़ सफेद धागे में धारण करें।  

11.कुंभ लग्न: प्रतिदिन सूर्य उदय होने के दो घंटे के अंदर-अंदर तांबे के पात्र में पानी लेकर उसमें चुटकी भर चावल डालकर, लाल चंदन के छींटे देकर सूर्य को अƒर्य दें तथा वहीं पर सात परिक्रमा कर आदित्य ह्वदय स्तोत्र का पाठ करें। रविवार का व्रत करें। बिल्वपत्र की जड़ लाल डोरे में धारण करें अथवा तांबे का छल्ला गले में लाल डोरे में धारण करें।

सुखी और सुंदर दांपत्य जीवन की मनोकामना पूर्ण करने के लिए कुछ और सरल उपाय————–
मेष लग्न : मेष का दाम्पत्य सुख का कारक ग्रह शुक्र होता है। ये लोग दांपत्य सुख के लिए निम्न उपाय करें – गाय व पक्षियों को चावल खिलाएं। चावल उबालकर, पकाकर देसी घी डालकर पक्षी को दें। गाय को प्रतिदिन दो रोटी तेल लगाकर दें। घर में बुजुर्ग महिलाओं का सम्मान करना चाहिए व आशीर्वाद लेना चाहिए।
वृष लग्न : वृष लग्न में कारक ग्रह मंगल होता है। वृष लग्न के जातक लाल कपड़े में (सूती, चमकीला न हो) थोड़ी सी सौंफ बांधकर अपने शयनकक्ष में रखें। लाल चंदन का तिलक ललाट पर लगाएं। मंगलवार को हनुमान मंदिर में लाल चंदन दें। नया जूता-चप्पल जनवरी-फरवरी के महीने में न खरीदें।
मिथुन लग्न : मिथुन लग्न में कारक ग्रह गुरु होता है। दांपत्य सुख के लिए ये गुरुवार का व्रत रखकर एक समय भोजन करें। प्रतिदिन तुलसी के पौधे के समक्ष घी का दीपक संध्या समय दो लौंग डालकर जलाएं व प्रणाम करें। रविवार को यह उपाय न करें। दाम्पत्य सुख के लिए माथे पर गोपीचंदन का टीका लगाना चाहिए।
कर्क लग्न : कर्क लग्न में कारक ग्रह शनि होता है। इनका दाम्पत्य जीवन बहुत सुखी नहीं कहा जा सकता। दांपत्य सुख के लिए इन्हें प्रत्येक शनिवार को प्रात:काल पीपल वृक्ष के समक्ष तिल्ली के तेल का दीपक जलाना चाहिए। शनिवार व मंगलवार शाम के समय अपने जीवनसाथी के साथ हनुमान मंदिर जरूर जाना चाहिए।
सिंह लग्न : सिंह लग्न में कारक ग्रह शनि होता है। ऐसे में निम्न उपाय करें-शनिपुष्य योग में नाव की कील का छल्ला बनवाकर मध्यमा उंगली में पहनें। राधाकृष्ण की मूर्ति के सामने तुलसी का पौधा एवं गंगाजल रखें। उसमें दो पत्ते तुलसी के डाल दें। दीपक, गुलाब की अगरबत्ती जलाएं। राधाकृष्ण की मूर्ति पर गुलाब का हार चढ़ाएं।
कन्या लग्न : कन्या लग्न का कारक ग्रह गुरु होता है। ऐसे जातक निम्न उपाय करें- भगवान लक्ष्मीनारायण की आराधना करें। ग्यारह एकादशी में 17 प्रकार के फल, 7 प्रकार की विभिन्न दालें श्रद्धासहित हरिमंदिर यानी लक्ष्मीनारायण भगवान के आगे मंदिर में चढ़ानी चाहिए व एक घी का दीपक जलाना चाहिए।
तुला लग्न : तुला लग्न का कारक ग्रह मंगल होता है। ये लोग निम्न उपाय करें-प्रथम मंगलवार का व्रत रखें। एक वक्त मीठे से भोजन करें। हनुमानजी को चोला चढ़ाएं। लाल फूल, चमेली का तेल, चांदी का वर्क, अनार अर्पित करें। 21 मंगलवार तक भगवान शिव पर लाल चंदन का लेप तथा लाल चंदन मंदिर में दान करना चाहिए।
वृश्चिक लग्न : वृश्चिक लग्न का कारक ग्रह शुक्र होता है। इनके उपाय इस प्रकार हैं-मछलियों को मिश्रीयुक्त उबले चावल चढ़ाएं। राधाकृष्ण के मंदिर में गुरुवार की शाम को सुगंधित इत्र चढ़ाएं। प्रत्येक सोमवार एवं शुक्रवार को भगवान शिव को सफेद सुंगधित पुष्प चढ़ाने चाहिए। शिवलिंग पर सफेद चंदन का लेप करें।
धनु लग्न : धनु लग्न का कारक ग्रह बुध होता है। दाम्पत्य सुख के लिए जातकों को भगवान गणपति की आराधना करनी चाहिए। हर बुधवार 21 दुर्वा, सिंदूर की डब्बी व पांच लड्डू वर्क लगाकर गणोश मंदिर में अर्पण करें। बुधवार के दिन हरे वस्त्र पहनें। हरे वस्त्र व हरी चूड़ियां बुधवार को किन्नरों को दान करें।
मकर लग्न : मकर लग्न का कारक ग्रह चंद्रमा होता है। इन जातकों को गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार, प्रदोष, त्रयोदशी, सावन के सोमवार, इन शुभ योगों में धारण करें। चांदी का बना चंद्रमा यंत्र गंगा जल से पवित्र कर पूजा घर में रखें। हर पूर्णिमा पर गंगा जल से यंत्र को स्नान कराएं।
कुंभ लग्न : कुंभ लग्न का कारक ग्रह सूर्य है। ऐसे जातक को प्रतिदिन सूर्य भगवान को तांबे के पात्र में जल चढ़ाना चाहिए। जल में सात बूंद गुलाब जल की डालें। तांबे का शुद्ध छेदवाला सिक्का शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार को लाल धागे में गले में धारण करें। पुरुष दाहिने हाथ की व स्त्रियां बाएं हाथ की रिंगफिंगर में ब्लू टोपाज रत्न पहनें।
मीन लग्न : मीन लग्न का कारक ग्रह बुध होता है। इन जातकों को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। बुधवार के दिन कन्याओं को हरे रंग के वस्त्र उपहार स्वरूप भेंट करें। सात अशोक वृक्ष के पत्ते शुक्ल पक्ष में सोमवार को घर के मंदिर में रखें। धूप-दीप से पूजा करें। मुरझाने पर नए पत्ते लाकर पुराने पत्तों को पीपल के नीचे रख दें।

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