मां शैलपुत्री की पूजा के साथ नवरात्र शुरु—-


 नवरात्र की शुरुआत हो गई है और देश भर के मंदिरों में तैयारियां शुरु हो गई हैं..

 मां शैलपुत्री की पूजा के साथ इन पावन नवरात्रों की शुरुआत हो रही है…

 नवरात्र के हर दिवस का एक विशेष महत्व है। माता के नवरात्रों में ऐसे विशेष योग बनते हैं जिससे सभी समस्याओं का समाधान मिलता है। सारे कष्ट दूर होते हैं और पूर्ण होती है हर मनोकामना, क्योंकि माता के नवरात्रों में बनते हैं सर्वार्थ सिद्धि योग। नवरात्र की नौ देवियों में से सबसे प्रथम हैं मां शैलपुत्री।
अब बात करते हैं नवरात्र पूजन की। नवरात्र पूजन में विशेष महत्व होता है घट स्थापना और खैत्री बोने का। फिर चलिए जानते हैं क्या है पूजा विधि…

प्रथम देवी शैलपुत्री पूजन

-सर्वप्रथम लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं
-चावल से चौकी पर शं अक्षर लिखें
-शैलपुत्री माता की तस्वीर स्थापित करें
-दीपक व धूप प्रजज्वलित करें
-ऊँ श्री गणेशाय नमः मंत्र का .. बार जाप करें
-ऊँ पुष्प मालाम समरपयामि का जाप करते हुए, गणेशजी पर दूर्वा, चावल, चीनी, जनेऊ व माला चढ़ाएं
-अम्बिका देव्यै नमः का जाप करते हुए माता को चुनरी, श्रंगार, मिष्ठान, पुष्प व दक्षिणा अर्पित करें
-शैलपुत्री देवी से स्वास्थ्य संबंधी आशीर्वाद मांगे व आरती करें

तो ये तो थीं नवरात्र पूजा के लिए घट स्थापना और पूजन विधियां। अब बात करते हैं प्रथमं नवरात्र की देवी शैलपुत्री माता की। शक्ति के नौ स्वरूपों में से पहला स्वरूप है मां शैलपुत्री का। स्वास्थ्य एवं आरोग्य की देवी हैं मां शैलपुत्री और माता के आशीर्वाद से जातक को मिलता है चिरायु होने का वरदान। भगवती दुर्गा का प्रथम स्वरूप भगवती शैलपुत्रीके रूप में है। हिमालय के यहां जन्म लेने से भगवती को शैलपुत्री कहा गया। भगवती का वाहन वृषभ है, उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल का पुष्प है। इस स्वरूप का पूजन नवरात्र के पहले दिन किया जाता है। शैलपुत्री के पूजन से मूलाधार चक्र जाग्रत होता है। स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। सब प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है और सदा निरोग रहने का अलौकिक आशीर्वाद मिलता है।

कैसे करें पूजा —–

मेष – पूजन का विशेष समय प्रातः 7 बजे से प्रातः 9 बजे तक
-पूर्व की ओर मुख कर शैलपुत्री देवी का पूजन करेंपीले रंग के वस्त्र धारण करें
ऊँ शं शैलपुत्रये फट् मंत्र की 11 माला का जाप करें

वृषभ – साधना का विशेष समय प्रातः 5 बजे से प्रातः 7 बजे तक
-पश्चिम दिशा की ओर मुख कर बैठें
-सफेद रंग के वस्त्र धारण कर पूजन करें
-ऊँ शं शैलपुत्रयै फट् व ऊँ ह्रीं बग्लामुखी नमः मंत्र का जाप करें

मिथुन – पूजन का विशेष समय प्रातः 9 बजे से 12 बजे तक
-पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठें
-हरे रंग के वस्त्र धारण कर पूजन करें
-ऊँ शं शैलपुत्रयै फट् मंत्र की 11 माला का जाप करें व 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें

कर्क – साधना का विशेष समय दोपहर 2 बजे से दोपहर 4 बजे तक
-दक्षिण की ओर मुख कर शैलपुत्री देवी का पूजन करें
-पीले रंग के वस्त्र धारण करें
-ऊँ शं शैलपुत्रये फट् मंत्र की . माला का जाप करें व 11 बार दुर्गा चालीसा का पाठ करें

कर्क – साधना का विशेष समय दोपहर 2 बजे से दोपहर 4 बजे तक
-दक्षिण की ओर मुख कर शैलपुत्री देवी का पूजन करें
-पीले रंग के वस्त्र धारण करें
-ऊँ शं शैलपुत्रये फट् मंत्र की 3 माला का जाप करें व 11 बार दुर्गा चालीसा का पाठ करें

सिंह – साधना का विशेष समय प्रातः 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक
-ईशान कोण(पूर्व-उत्तर) की ओर मुख कर बैठें
-लाल रंग के वस्त्र धारण कर पूजन करें
-ऊँ शं शैलपुत्रयै फट् मंत्र की 5 माला का जाप करें

कन्या – साधना का विशेष समय रात्रि 1. बजे से रात्रि 12 बजे तक
-आग्नेय कोण(पूर्व-दक्षिण) की ओर मुख कर बैठें
-लाल रंग के वस्त्र धारण करें
-ऊँ शं शैलपुत्रयै फट् मंत्र की 11 माला का जाप करें, 5 बार भैरव चालीसा का पाठ करें

तुला – पूजन का विशेष समय प्रातः 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक
-पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठें
-पीले व सफेद रंग के वस्त्र धारण कर पूजन करें
-ऊँ शं शैलपुत्रयै फट् मंत्र की 11 माला का जाप करें

वृश्चिक – पूजन का विशेष समय दोपहर 3 बजे से सायं 6 बजे तक
-उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठें
-गुलाबी रंग के वस्त्र धारण कर पूजन करें
-ऊँ शं शैलपुत्रयै फट् मंत्र की 7 माला का जाप करें, ऊँ श्री गणेशाय नमः मंत्र की 5 माला का जाप करें

धनु – पूजन का विशेष समय प्रातः 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक
-पूर्व की ओर मुख कर बैठें
-लाल रंग के वस्त्र धारण कर पूजन करें
-ऊं शं शैलपुत्रयै फट् व ऊं क्लीं कालिका भ्यां नमः मंत्र का जाप करें

मकर – पूजन का विशेष समय रात्रि 1 बजे से रात्रि 3 बजे तक
-पश्चिम दिशा की ओर मुख कर बैठें
-लाल रंग के वस्त्र धारण कर पूजन करें
-ऊँ शं शैलपुत्रयै फट् मंत्र की 5 माला का जाप करें, 13 बार भैरव चालीसा का पाठ करें

कुंभ – पूजन का विशेष समय रात्रि 12 बजे से रात्रि 3 बजे तक
-दक्षिण दिशा की ओर मुख कर बैठें
-नीले रंग के वस्त्र धारण कर पूजन करें
-ऊँ शं शैलपुत्रयै फट् व ऊँ पदमावत्यै नमः मंत्र की 11 माला का जाप करें

मीन – पूजन का विशेष समय सायं 7 बजे से प्रातः 9 बजे तक
-पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठें
-पीले व सफेद रंग के वस्त्र धारण कर पूजन करें
-ऊँ शं शैलपुत्रयै फट् व ऊँ दुं दुर्गाय नमः मंत्र का जाप करें

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