बढ़ाएं अपना व्यवसाय ज्योतिष उपाय—-

व्यवसाय में उन्नति के लिए यहां कुछ विशिष्ट उपायों का विवरण दिया जा रहा है, जो अलग-अलग राशियों से संबंधित हैं। लोग अपने व्यापार वृद्धिकरण उपाय नवरात्र जैसे शुभ पर्व पर करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। जो किसी कारण नवरात्र पर न कर पाएं वे रामनवमी, हनुमान जयंती व अक्षय तृतीया पर उपाय कर लाभान्वित हो सकते हैं।

मेष- प्रथम नवरात्र को व्यवसाय स्थल पर कांच या मिट्टी के पात्र में जल भरकर रखें। लोहे, स्टील या अन्य धातु, वॉटर कूलर, जग में पीने का पानी भरकर नहीं रखना चाहिए। मीठा खाकर जल पीकर प्रस्थान करना शुभकारी है। कांच के बर्तन में थोड़ा पानी डालकर पांच सफेद फूल रखें। पानी बदलते रहें।

वृष- कार्यस्थल पर चमकीले एवं हल्के रंगों का प्रयोग कर साज-सज्जा करें। कार्यस्थल पर नवरात्र के किसी भी दिन एक दर्पण ऐसी दीवार पर लगाना चाहिए जो कि बाहर से दिखाई न दे, परंतु प्रवेश करते ही उस दर्पण पर दृष्टि पड़े। दरवाजे के सामने के बजाए किसी कोने में बैठने का स्थान होना चाहिए।

मिथुन- नवरात्र के दूसरे दिन हरे पत्तों सहित फूल लाकर अपनी दुकान या संस्था के ऑफिस में रखें। कार्यालय में आवाज करने वाला कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण न रखें। उत्तर या पूर्व की दीवार पर डॉल्फिन या पेंडुलम घड़ी अवश्य लगाएं। नवरात्र में दुकान या संस्थान के बाहर पांच हरे पौधे लगाएं।

कर्क- किसी पवित्र नदी या सरोवर का जल कांच के पात्र में भरकर नवरात्र के किसी भी दिन दुकान के पूजाघर में रखना चाहिए। कार्यसिद्धि यंत्र नवरात्र में अपने पूजा घर में रख प्रतिदिन दर्शन करें। पूर्णिमा को अपनी दुकान के प्रवेश द्वार के दोनों ओर कुछ गंगाजल अवश्य छिड़कें।

सिंह- दुकान में इस प्रकार बैठना चाहिए कि बाहर से व्यक्ति का मुंह दिखाई न पड़े। नवरात्र में अष्टमी के दिन मिट्टी का शेर मंदिर में चढ़ाना चाहिए। लोहे या किसी भी धातु के फर्नीचर का प्रयोग बहुत कम करना चाहिए। प्रवेश द्वार पर रोली से जय मां दुर्गे अंकित करें। दुकान में प्रतिदिन भोग लगाएं ।

कन्या- प्रथम नवरात्र को मां दुर्गा का चित्र अपने दुकान या संस्थान के मंदिर में लगाएं। व्यापार शुरू करने से पहले पूरे नवरात्र दुर्गा चालीसा का पाठ करें। लकड़ी का फर्नीचर प्रयोग में लाएं। दूसरे नवरात्र को व्यवसाय स्थल के सम्मुख गाय को हरा चारा या पालक खिलाएं। अष्टमी को कन्या भोज करा उनका आशीर्वाद लें और हलवा-पूड़ी दक्षिणा में दें।

तुला- संस्थान के मध्य भाग में बैठना चाहिए। सात श्रीफल लाल वस्त्र में बांधकर कार्यस्थल की अलमारी में अष्टमी को रख दें। उस अलमारी में अन्य सामान नहीं होना चाहिए। शुक्रवार के दिन से शुरू कर सुगंधित पुष्प लाकर पूजा घर में चढ़ाने चाहिए। मां दुर्गा के दर्शन कर फिर दुकान खोलें। दुकान में सजावट व स्वच्छता का बहुत ध्यान रखें।

वृश्चिक- नवरात्र के प्रथम दिन मुख्य द्वार के दोनों ओर सिंदूर से स्वस्तिक बनाएं। दुकान के मंदिर में प्रथम मंगलवार, शनिवार को लाल पुष्प चढ़ाएं। नवरात्र के पहले दिन कार्यस्थल पर आते समय किसी पूज्य व्यक्ति के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेकर आएं। प्रत्येक मंगलवार गंगाजल लेकर दुकान के सभी कोनों में फूल द्वारा छिड़कें।

धनु- कोष स्थान पर सफेद चंदन की लकड़ी हल्के गुलाबी रंग के कपड़े में लपेटकर रखंे। तीसरे नवरात्र पर दुकान के मंदिर में गाय के दूध से बने घी में छोटी इलायची डालकर दीपक जलाएं। पीठ पीछे पूजा घर न बनाएं। मुख्य द्वार के सामने न बैठें। गुरुवार के दिन पीले फूल मंदिर में चढ़ाएं। गाय को रोटी-गुड़ खिलाएं। धनदा यंत्र व्यापार स्थल पर नवरात्र में स्थापित करें।

मकर- नवरात्र के शनिवार से शुरू करें। उस दिन दुकान पर आए हुए भिखारी को एक मुट्ठी काला तिल दें। घोड़े की नाल मुख्य द्वार पर शाम के समय पीपल वृक्ष को छुआकर लगाएं। व्यापार बहुत मंदा हो गया हो तो नवरात्र में पड़ने वाले शनिवार को मिट्टी के घड़े पर ढक्कन लगाकर, टेप से बंद कर दुकान में रख दें। बुधवार प्रात: काल उसे बहते जल में बगैर ढक्कन खोले प्रवाहित कर दें।

कुंभ- कार्यस्थल में इस प्रकार बैठें कि आगे का स्थान खुला हो। कोई कोना या बंद दरवाजा न हो। नवरात्र में पड़ने वाले शनिवार को मिट्टी के कुल्हड़ में मिट्टी का ढक्कन रखें। उस ढक्कन में .5. ग्राम काले तिल रखें तथा अगले दिन वह कुल्हड़ तिल सहित किसी को दान कर दें या पीपल पर रख आएं। सजावट में लाल व सफेद रंग का प्रयोग न करें। शनिवार को दुकान पर आए भिखारी को खाली हाथ न लौटाएं।

मीन- पहली नवरात्र को कार्यस्थल जाने से पूर्व पूज्य व्यक्ति के चरण स्पर्श व कार्यसिद्धि यंत्र के दर्शन कर घर से निकलना चाहिए। नवरात्र के गुरुवार को पीला फल लाकर कार्यस्थल के पूजाघर में रखें, दूसरे दिन उसे किसी भिखारी को दान दें। गुरुवार के दिन कार्यस्थल पर आए हुए साधु को दान अवश्य दें। सफेद चंदन को पीले वस्त्र में बांधकर नवरात्र की नवमी को दुकान की तिजोरी में रखें। बुधवार को पीला पपीता खिलाएं। पहली नवरात्र को सफेद कपड़े का झंडा बनाकर पीपल के वृक्ष पर लगाएं, फिर प्रतिदिन जल चढ़ाएं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here