आधुनिक बेटियां—-

आज बेटी हुनर मंद हो गयी है

पढ़ लिख कर पैरों पर खड़ी हो गयी है

जो होती थी निर्भर सदा दूसरों प

रआज माँ बाप का सहारा हो गयी है.

साहस से अपने दुनिया बदलकर

हर कदम पर बेटी विजयी हो गयी है.

क्या खोया क्या पाया,

जरा यह विचारेंआज बेटी जहाँ मे बेटा हो गयी है.

वात्सल्य और मातृत्व सुख को भुलाकर

पैसों की दौड़ मे बेटी खो गयी है

.चाहती नहीं वह माँ बनना देखो

आज बेटी बंज़र धरती हो गयी है.

बनाये रखने को अपना शारीरिक सौंदर्य

बेटी ही भ्रूण की हत्यारिन हो गयी है.

चाहती आज़ादी सामाजिक मूल्यों से

आज बेटी खुला बाज़ार हो गयी है.

बिन ब्याह संग रहना और नशा करना

आधुनिक बेटी की शान हो गयी है.

जिस घर मे बेटी ब्याह कर गयी है

उस घर मे खड़ी दीवार हो गयी है.थे

प्यारे जो माँ बाप भाई बहन अब

तकआज निगाहें मिलाना दुशवार हो गयी है

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