लग्न से जानिए शरीर के रोग-रखें सावधानी और परहेज—–
जन्मकुंडली का छठा (6) और ग्यारहवाँ (.1) भाव रोग के भाव माने जाते है यानि इन भावों से हमें होने वाले रोगों की संभावित जानकारी मिल सकती है। यदि इन भाव के स्वामी अच्छी स्थिति में हो तो रोग का निदान हो जाता है या रोग होने की संभावना घट जाती है मगर यदि इन भावों के स्वामी खराब स्थिति में हो तो रोग भयंकर रूप लेते हैं और उनका निदान होना कठिन हो जाता है।
ऐसे में यदि बचपन से ही इस बारे में सावधानी और परहेज रखा जाए तो इनसे बचा जा सकता है। मेष लग्न के लिए एलर्जी, त्वचा रोग, सफेद दाग, स्पीच डिसऑर्डर, नर्वस सिस्टम की तकलीफ आदि रोग संभावित हो सकते हैं।
वृषभ लग्न के लिए हार्मोनल प्रॉब्लम, मूत्र विकार, कफ की अधिकता, पेट व लीवर की तकलीफ और कानों की तकलीफ सामान्य रोग है।
मिथुन लग्न के लिए रक्तचाप (लो या हाई), चोट-चपेट का भय, फोड़े-फुँसी, ह्रदय की तकलीफ संभावित होती है।
कर्क लग्न के लिए पेट के रोग, लीवर की खराबी, मति भ्रष्ट होना, कफजन्य रोग होने की संभावना होती है।
सिंह लग्न के लिए मानसिक तनाव से उत्पन्न परेशानियाँ, चोट-चपेट का भय, ब्रेन में तकलीफ, एलर्जी, वाणी के दोष आदि परेशानी देते हैं।
कन्या लग्न के लिए सिरदर्द, कफ की तकलीफ, ज्वर, इन्फेक्शन, शरीर के दर्द और वजन बढ़ाने की समस्या रहती है।
तुला लग्न के लिए कान की तकलीफ, कफजन्य रोग, सिर दर्द, पेट की तकलीफ, पैरों में दर्द आदि बने रहते हैं।
वृश्चिक लग्न के लिए रक्तचाप, थॉयराइड, एलर्जी, फोड़े-फुँसी, सिर दर्द आदि की समस्या हो सकती हैं।
धनु लग्न के लिए मूत्र विकार, हार्मोनल प्रॉब्लम, मधुमेह, कफजन्य रोग व एलर्जी की संभावना होती है।
मकर लग्न के लिए पेट की तकलीफ, वोकल-कॉड की तकलीफ, दुर्घटना भय, पैरों में तकलीफ, रक्तचाप, नर्वस सिस्टम से संबंधित परेशानियाँ हो सकती हैं।
कुंभ लग्न के लिए कफजन्य रोग, दाँत और कानों की समस्या, पेट के विकार, वजन बढ़ना, ज्वर आदि की संभावना हो सकती है।
मीन लग्न के लिए आँखों की समस्या, सिर दर्द, मानसिक समस्या, कमर दर्द, आलस्य आदि की समस्या बनी रह सकती है।
विशेष : यदि 6 या 11 के स्वामी हानि देने वाली स्थिति में हो तो शुरू से ही उनके मन्त्रों का जाप करना चाहिए। खान-पान की सावधानी रखना चाहिए और संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए। इन ग्रहों के रत्न भूल कर भी न पहनें।