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Tag: दयानन्द शास्त्री

दिल लगाने से पहलेगुण अवश्य मिलायें..!!!!—

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दिल लगाने से पहलेगुण अवश्य मिलायें..!!!!--- वर्तमान आधुनिम परिवेष खुला वातावरण एवं टी.वी. संस्कुति के कारण हमारी युवा पीढी अपने लक्ष्यों से भटक रही है। विना सोच विचार किये गये प्रेम विवाह...

हस्तरेखा में हस्त मुद्राओ का महत्त्व-

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हस्तरेखा में हस्त मुद्राओ का महत्त्व- चिकित्सा के लिए हस्त मुद्रा वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों में एक चिकित्सा पद्धति है हस्त मुद्रा चिकित्सा। आधुनिक विज्ञान ने भी माना है कि हस्त मुद्रा से चिकित्सा...

KNOWLEDGE ABOUT VASTU SHASTR–

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KNOWLEDGE ABOUT VASTU SHASTR---    Vastu in Sanskrit means nature , a surrounding or environment. The word "Vaasthu" came from Vasthu , denoting anything existing such as house, shelter building etc. Shastra in sanskrit...

कृष्णमूर्ति पद्धति का आधार है वैदिक ज्योतिष—-

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कृष्णमूर्ति पद्धति का आधार है वैदिक ज्योतिष-----भारतीय ज्योतिष विधा में वैदिक ज्योतिष सबसे प्राचीन और प्रमाणिक माना जाता है (Vedic Astrology is the father of all new Astrology System)। कृष्णमूर्ति पद्धति...

बेडरूम में झगड़ा होने के कारण —

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बेडरूम में झगड़ा होने के कारण ---                        आज के भौतिकवादी एवं जागरूक समाज में पति-पत्नी दोनों पढ़े लिखे होते हैं और...

II Shanti Path II II शांति पाठ II

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  II  Shanti Path II II शांति पाठ II                                                         ...

सैक्स से ज्यादा बिक रहा है …ज्योतिष!!! आखिर क्यों..???

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सैक्स से ज्यादा बिक रहा है ...ज्योतिष!!! आखिर क्यों..??? इन दिनों भारत ही नहीं, विश्व समुदाय ज्योतिष और आध्यात्म की ओर तेजी से बढ़ रहा है। कोई समाचार पत्र हो, कोई टीवी...

काल सर्प योग की वास्तविक्ता प्रगट करने वाला लेख—-

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काल सर्प योग की वास्तविक्ता प्रगट करने वाला लेख----

THE “”KAALA-SARPA-YOGA””:—

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THE ""KAALA-SARPA-YOGA"":--- “Rahu-Ketu-madhye grahah sapta vighnadaa Kaalasarpa-samjnakaah/ suta-traasaadisakalaa dosah rogena pravaase maranam dhruvam//” “Bhairava-stotra-paathena Kaalasarpam vinashyati/ Kaalasarpa-yogasya visam visaakta-jeevane bhayaavahaah// punah punar api shokam ca yauvane rogabhyadhikam dhruvam//Poorvajanma-krutam paapam brahma-shaapaat suta-ksayah/Kinchit pretaadi-dosam cha...

भोजन मोन रहकर क्यों करें..????

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भोजन मोन रहकर क्यों करें..???? खाते समय न बोलना इसलिए अच्छा है कि मुंह की जूठन दूसरे पर नहीं पड़ती। बातचीत करने में प्रायः ऐसाहोता ही है। स्वच्छता में कमी आती है।...

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