Tag: ज्योतिष
देवी लक्ष्मी और यंत्र राज”श्रीयंत्र”—
देवी लक्ष्मी और यंत्र राज"श्रीयंत्र"---
लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं । वो भगवान विष्णु की पत्नी हैं और धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं ।...
अघनाशक गायत्री स्तोत्रम् और गायत्री मन्त्र महिमा (gayatri mantr)—-
अघनाशक गायत्री स्तोत्रम् और गायत्री मन्त्र महिमा (gayatri mantr)----
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
मूल पाठ-----
अघनाशकगायत्रीस्तोत्रम्-----
आदिशक्ते जगन्मातर्भक्तानुग्रहकारिणि। सर्वत्र व्यापिकेऽनन्ते श्रीसंध्ये ते नमोऽस्तु ते॥
त्वमेव संध्या गायत्री सावित्रि च...
सरस्वती प्रार्थना (हिन्दी अनुवाद सहित) —–
सरस्वती प्रार्थना (हिन्दी अनुवाद सहित) -----
माँ सरस्वती हमारे जीवन की जड़ता को दूर करती हैं, सिर्फ हमें उसकी योग्य अर्थ में उपासना करनी चाहिए। सरस्वती का उपासक भोगों का गुलाम नहीं...
Untitled Post
अपराधक्षमापणस्तोत्रं---
ॐ अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत् ।
यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः ॥ १ ॥
सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके ।
इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरु ॥ २ ॥
अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रोन्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम् ।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद...
॥अथ योगिनीहृदयम्॥
॥अथ योगिनीहृदयम्॥
श्रीदेव्युवाच----
देवदेव महदेव परिपूर्णप्रथामय ।
वामकेश्वरतन्त्रेऽस्मिन्नज्ञातर्थास्त्वनेकशः ।। १ ।।
तांस्तानर्थानशेषेण वक्तुमर्हसि भैरव ।
श्रीभैरव उवाच
शृणु देवि महागुह्यं योगिनिहृदयं परम् ।। २ ।।
त्वत्प्रीत्या कथयाम्यद्य गोपनीयं विशेषतः ।
कर्णात्कर्णोर्पदेशेन सम्प्राप्तमवनीतलम् ।। ३ ।।
न देयं परशिष्येभ्यो नास्तिकेभ्यो न...
तंत्र शास्र की जानकारी—
तंत्र शास्र की जानकारी---
तंत्र शास्त्र भारत की एक प्राचीन विद्या है। यह शास्त्र, वेदों के समय से हिन्दू धर्म का अभिन्न अंग रहा है। विश्वास है कि तंत्र ग्रंथ भगवान शिव...
दक्षिण दिशा का द्वार (दरवाजा)—
दक्षिण दिशा का द्वार (दरवाजा)---
हमारे मन में दक्षिण दिशा से बहुत भय है। इसलिए कोई भी अपने मकान का द्वार दक्षिण में नहीं रखना चाहता है।पश्चिम में कुछ अच्छा है। अतः...
आग्नेय दिशा / मुखी ….मकान/भवन—-
आग्नेय दिशा / मुखी ....मकान/भवन----
वास्तु शास्त्र प्राकृतिक तत्वों पर आधारित उच्चकोटि का विज्ञान हैं। वास्तुशास्त्र परोक्ष रूप से प्र्रकृति के नियमों का अनुसरण करता हैं जो मानव को पंच तत्वों में...
वायव्य दिशा / मुखी ….मकान/भवन—-
वायव्य दिशा / मुखी ....मकान/भवन----
वास्तु का अर्थ है वास करने का स्थान। महाराज भोज देव द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में ‘समरांगण सूत्रधार’ नामक ग्रंथ लिखा गया था जो वस्तु शास्त्र का...
नैऋत्य दिशा / मुखी ….मकान/भवन—-
क्यों होने चाहिए दिषाओं के अनुरूप भवन..???
नैऋत्य दिशा / मुखी ....मकान/भवन----
वास्तु का अर्थ है वास करने का स्थान। महाराज भोज देव द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में ‘समरांगण सूत्रधार’ नामक ग्रंथ लिखा गया...