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ख्वाब चाँद का.

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ख्वाब चाँद का.... इतरा कर चाँद का मौन यूँ पुकारा है सब आशिक हमारे हैं कौन "विशाल" तुम्हारा है। हर नूर हम से बरसे कि नूर ही हैं हम चिलमन से न छुपे ऐसा रूप...

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