आज के मुहूर्त --(रविवार 27 मार्च 2011) ----- शुभ विक्रम संवत- 2067, शालिवाहन शक संवत- 1932, संवत्सर का नाम- शोभन, अयन- उत्तरायन, ऋतु- वसंत, मास- चैत्र, पक्ष- कृष्ण, तिथि- नवमी अहोरात्र, हिजरी सन्- 1432, मु. मास- रबिलाखर, तारीख- 21, नक्षत्र- पूर्वाषाढ़ा रात्रि 10.26 पश्चात उत्तराषाढ़ा, योग- परिध मंगलरात्रि 5.36 पश्चात शिव, सूर्योदयकालीन करण- तैतिल, चन्द्रमा- धनु राशि से मकर...
ग्रहण आ रहा है - 2011---- प्रकार दिनांक समय (जी.टी.) सूर्य चंद्रमा आंशिक सौर 2011/01/04 ...
March 27, 2011:Sunday, Krishna Navami (whole day), Poorvashadha till 22:25, Parigha yoga till 5:35*, Taitula karana till 18:14, RahuK: 16:52* - 18:22*, GulikaK: 15:22* - 16:52*, YamaG: 12:22* - 13:52*, Sunrise at 6:20*, Sunset at 18:32, Moonrise at 2:29*, Moonset...
>वास्तु अनुसार कहाँ हो बाथरूम... उत्तर-पूर्व में रखें पानी का बहाव बाथरूम यह मकान के नैऋत्य; पश्चिम-दक्षिण कोण में एवं दिशा के मध्य अथवा नैऋत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य में होना उत्तम है। वास्तु के अनुसार, पानी का बहाव उत्तर-पूर्व में रखें। जिन घरों में बाथरूम में गीजर आदि की व्यवस्था है, उनके लिए यह और जरूरी...
>तृतीय स्थान संबंधी योग----स्थिति अनुसार भाव की क्षमता का आकलन----तृतीय स्थान से हम भाई-बहनों से संबंधों का विचार करते हैं। तृतीय भाव से कान, व्यक्ति की अभिरुचि, छोटे-मोटे प्रवास, मन की स्थिति, लेखन, साहित्य में रुचि, आर्थिक स्थिति, पराक्रम आदि का अंदाज लगाते हैं। तृतीय स्थान का स्वामी तृतीयेश कहलाता है। इसकी विभिन्न भाव में स्थिति के अनुसार इस...
>जन्म कुंडली के प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम व दशम भावों में से किसी एक भाव पर सूर्य-राहु अथवा सूर्य-शनि का योग हो तो जातक को पितृ दोष होता है। यह योग कुंडली के जिस भाव में होता है उसके ही अशुभ फल घटित होते हैं। जैसे प्रथम भाव में सूर्य-राहु अथवा सूर्य-शनि आदि अशुभ योग हो तो...
>गुरु-राहु युति यानि चाण्डाल योग------जन्म पत्रिका के एक ही भाव में जब गुरु राहु स्थित हो तो चाण्डाल योग निर्मित होता है। ऐसे योग वाला जातक उदण्ड प्र$कृति का होता है। राहु यदि बलिष्ठ हो तो जातक अपने गुरुका अपमान करने वाला होता है। वह गुरु के कार्य को अपना बना कर बताता है। गुरु की संपत्ति हड़पने में...
>ग्रहों के विशिष्ट योग----कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुरूप मनीषियों ने इन्हें विशिष्ट योगों के नाम दिए हैं। 1. युति : दो ग्रह एक ही राशि में एक सी डिग्री के हों तो युति कहलाती है। अशुभ ग्रहों की युति अशुभ फल व शुभ ग्रहों की युति शुभ फल देती है। अशुभ व शुभ ग्रह की युति भी...
>लाल किताब के सिद्ध टोटके----नानक दुखिया सब संसार ! आज संसार में हर आदमी दुखी है ! चाहे अमीर हो या गरीब, बडा हो या छोटा ! हर इंसान को कोई न कोई परेशानी लगी रहती है ! ज्योतिष में इसके लिए कई उपाय सुझाए गए हैं ! जिनको विधि पूर्वक करके हम लाभ उठा सकते हैं !लाल किताब...
>एस्ट्रो से जानें विवाह के योग--जन्म कुंडली से करें ग्रह-दोष निवारण:::---आजकल लड़के-लड़कियाँ उच्च शिक्षा या अच्छा करियर बनाने के चक्कर में बड़ी उम्र के हो जाने पर विवाह में काफी विलंब हो जाता है। उनके माता-पिता भी असुरक्षा की भावनावश बच्चों के अच्छे खाने-कमाने और आत्मनिर्भर होने तक विवाह न करने पर सहमत हो जाने से भी विवाह में...