लग्नानुसार करें इष्ट देव की उपासना----
भारतीय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ईश्वरीय शक्ति की उपासना अलग-अलग रूपों में की जाती है। हिन्दू धर्म में तैंतीस करोड़ देवताओं को उपास्य देव माना गया है व विभिन्न शक्तियों के रूप में उनकी पूजा की जाती है।
आजकल परेशानियों, कठिनाइयों के चलते हम ग्रह शांति के उपायों के रूप में कई देवी-देवताओं की...
वास्तु शास्त्र में गणपति----
जब भी हम कोई शुभ कार्य आरंभ करते हैं, तो कहा जाता है कि कार्य का श्री गणेश हो गया। इसी से भगवान श्री गणेश की महत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जीवन के हर क्षेत्र में गणपति विराजमान हैं। पूजा-पाठ, विधि-विधान, हर मांगलिक-वैदिक कार्यों को प्रारंभ करते समय सर्वप्रथम गणपति का 'सुमरन'...
क्या आप बार-बार दुर्घटनाग्रस्त होते हैं?
दुर्घटना का जिक्र आते ही जिन ग्रहों का सबसे पहले विचार करना चाहिए वे हैं शनि, राहु और मंगल यदि जन्मकुंडली में इनकी स्थिति अशुभ है (6, 8, 12 में) या ये नीच के हों या अशुभ नवांश में हों तो दुर्घटनाओं का सामना होना आम बात है।
शनि : शनि...
वास्तु अपनाएँ धन बढ़ाएँ -----
प्रत्येक व्यक्ति अपनी मेहनत से कमाए धन को सुरक्षित रखना तो चाहता ही है, साथ ही यह भी चाहता है कि उसमें दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी होती रहे। सामान्यतः हर व्यक्ति पैसे, आभूषण, मूल्यवान वस्तुएँ, कागजात वगैरह को सुरक्षित रखने के लिए तिजोरी, अलमारी, कैशबॉक्स इत्यादि का उपयोग करता है। इनमें धन सुरक्षित भी रहे और...
विभिन्न लग्नों के लिए राजयोग ग्रह---लग्न कुंडली की स्थिति अनुसार शुभ योग---
कुछ ग्रह लग्न कुंडली में अपनी स्थिति के अनुसार शुभ योग बनाते हैं जो व्यक्ति को धन, यश, मान, प्रतिष्ठा सारे सुख देते हैं।
विभिन्न लग्नों के लिए राजयोगकारी ग्रह निम्न हैं।
1. मेष लग्न के लिए गुरु राजयोग कारक होता है।
2. वृषभ और तुला लग्न के...
भवन-निर्माण का सही समय----
अपना स्वयं का मकान हो, यह हर व्यक्ति की चाह होती है। वास्तु शास्त्र में भवन निर्माण के संबंध में अनेक बातें बताई गई हैं। कहा गया है कि जब शनिवार, स्वाति नक्षत्र, श्रावण मास, शुभ योग, सिंह लग्न, शुक्ल पक्ष एवं सप्तमी तिथि का योग एकसाथ हो तो उस मुहूर्त में कार्य...
रोकें बच्चे की दुष्ट प्रवृत्तियों को---
बच्चे बड़े होकर कुसंग में फँसें, अपराधी बनें उसके पहले ही इसकी रोकथाम जरूरी है। कुंडली के ग्रह स्पष्ट संकेत देते हैं बच्चे के स्वभाव व उसमें छिपी दुष्ट प्रवृत्तियों का। आइए पहचानें व समय पर उपाय करें।
मंगल : यदि मंगल नीच का है, पाप प्रभाव में है, बृहस्पति भी कमजोर है तो बच्चा...
क्यों होता है संतान प्राप्ति में विलंब-- -
संतति सुख के लिए पंचम स्थान, पंचमेश, पंचम स्थान पर शुभाशुभ प्रभाव व बृहस्पति का विचार मुख्यत: किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार मेष, मिथुन, सिंह, कन्या ये राशियाँ अल्प प्रसव राशियाँ हैं। वृषभ, कर्क, वृश्चिक, धनु, मीन ये बहुप्रसव राशियाँ हैं।
* पंचम स्थान में पाप ग्रह हो तो संतति सुख...
घर सजाएँ राशि अनुसार...
मेष : राशि के लोगों के लिए लाल, गुलाबी और ऑरेंज रंग का प्रयोग अच्छा होता है। इसमें वे उसी रंग के बेड कवर, चादर, कपड़े, गहने, पर्दे आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं, परंतु अपने कमरे के दक्षिणी-पश्चिमी कोने का ध्यान अवश्य रखें।
वृषभ : राशि के व्यक्ति दीवारों के लिए चमकीले और भड़कीले...
वास्तु सम्मत अध्ययन कक्ष -----
* अध्ययन कक्ष भवन के पश्चिम-मध्य क्षेत्र में बनाना अतिलाभप्रद है। इस दिशा में बुध, गुरु, चंद्र एवं शुक्र चार ग्रहों से उत्तम प्रभाव प्राप्त होता है। इस दिशा के कक्ष में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को बुध ग्रह से बुद्धि वृद्धि, गुरु ग्रह में महत्वाकांक्षा एवं जिज्ञासु वृद्धि, चंद्र ग्रह से नवीन विचारों...