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किसको मिलता हैं माता का प्यार? जन्म पत्रिका में माता एवं सुख का स्थान एक ही होता है। यह होता है चतुर्थ भाव। इसी स्थान से मातृ सुख एवं सांसारिक सुख के संबध में विचार होता है। अर्थात जिसको माता का सुख का मिलता है, वही संसार में अन्य सुखों को भोग पाता है। जिस लग्न कुंडली का चतुर्थ भाव...
ज्योतिषानुसार बारह भावों में शुक्र के द्वारा दिये जाने वाले फ़ल ज्योतिषानुसार शुक्र के लिये ज्योतिष शास्त्रों में जो फ़ल कहे गये है वे इस प्रकार से है:- प्रथम भाव में शुक्र--- जातक के जन्म के समय लगन में विराजमान शुक्र को पहले भाव में शुक्र की उपाधि दी गयी है। पहले भाव में शुक्र के होने से जातक सुन्दर होता...
शुक्र बनाता है कलाकार--- मजबूत करें सूर्य और शुक्र---- कला के क्षेत्र में प्रसिद्धि और लक्ष्मी दोनों ही भरपूर होती है। कोई व्यक्ति कलाकार (विशेषत: गायक, वादक, नर्तक) बनेगा या नहीं यह उसकी कुंडली में शुक्र की स्थिति पर निर्भर करता है। वृष और तुला लग्न या राशि चूँकि स्वयं शुक्र के स्वामित्व होते हैं अत: इन व्यक्तियों का...
क्या आपका घर भी है राहु-शनि का घर? शनि-राहु की नकारात्मक तरंगों का प्रभाव आप किसी के घर जाते हैं और चंद मिनट वहाँ बैठने पर आपको घबराहट-सी महसूस होने लगती है। ऐसे समय आपको लगता है कि आपकी तबीयत गड़बड़ा रही है मगर यह आपका नहीं उस घर की तरंगों का दोष होता है। हमारी कुंडली के ग्रहों...
राहु बनाता है चतुर राजनेता---- राजनीति एक ऐसा क्षेत्र बनता जा रहा है, जहाँ कम परिश्रम में भरपूर पैसा व प्रसिद्ध‍ि दोनों ही प्राप्त होते हैं। ढेरों सुख-सुविधाएँ अलग से मिलती ही है। और मजा ये कि इसमें प्रवेश के लिए किसी विशेष शैक्षणिक योग्यता की भी जरूरत नहीं होती। राजनीति में जाने के लिए भी कुंडली...
कब होगा भाग्योदय??????? जन्मकुंडली अर्थात मनुष्य के जीवन का पूर्ण खाका होती है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छी होना तो आवश्यक है ही, भाग्य से संबंधित ग्रहों का शुभ होना तथा उनकी दशा-महादशा का सही समय पर व्यक्ति के जीवन में आना भी उतना ही आवश्यक होता है अन्यथा कुंडली अच्छी होने पर भी यदि कार्य...
सुखी जीवन के लिए वास्तु-अनमोल मंत्र --- - उत्तर दिशा जल तत्व की प्रतीक है। इसके स्वामी कुबेर हैं। यह दिशा स्त्रियों के लिए अशुभ तथा अनिष्टकारी होती है। इस दिशा में घर की स्त्रियों के लिए रहने की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। - उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र अर्थात्‌ ईशान कोण जल का प्रतीक है। इसके अधिपति यम देवता हैं। भवन...
लग्नानुसार करें इष्ट देव की उपासना---- भारतीय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ईश्वरीय शक्ति की उपासना अलग-अलग रूपों में की जाती है। हिन्दू धर्म में तैंतीस करोड़ देवताओं को उपास्य देव माना गया है व विभिन्न शक्तियों के रूप में उनकी पूजा की जाती है। आजकल परेशानियों, कठिनाइयों के चलते हम ग्रह शांति के उपायों के रूप में कई देवी-देवताओं की...
वास्तु शास्त्र में ग‍णपति---- जब भी हम कोई शुभ कार्य आरंभ करते हैं, तो कहा जाता है कि कार्य का श्री गणेश हो गया। इसी से भगवान श्री गणेश की महत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जीवन के हर क्षेत्र में गणपति विराजमान हैं। पूजा-पाठ, विधि-विधान, हर मांगलिक-वैदिक कार्यों को प्रारंभ करते समय सर्वप्रथम गणपति का 'सुमरन'...
क्या आप बार-बार दुर्घटनाग्रस्त होते हैं? दुर्घटना का जिक्र आते ही जिन ग्रहों का सबसे पहले विचार करना चाहिए वे हैं शनि, राहु और मंगल यदि जन्मकुंडली में इनकी स्थिति अशुभ है (6, 8, 12 में) या ये नीच के हों या अशुभ नवांश में हों तो दुर्घटनाओं का सामना होना आम बात है। शनि : शनि...

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