मां शैलपुत्री की पूजा के साथ नवरात्र शुरु----
नवरात्र की शुरुआत हो गई है और देश भर के मंदिरों में तैयारियां शुरु हो गई हैं..
मां शैलपुत्री की पूजा के साथ इन पावन नवरात्रों की शुरुआत हो रही है...
नवरात्र के हर दिवस का एक विशेष महत्व है। माता के नवरात्रों में ऐसे विशेष योग बनते हैं जिससे सभी...
श्राद्ध के विविध स्वरूप------
मत्स्य पुराण में तीन प्रकार के श्राद्ध बतलाए गए है, जिन्हें नित्य, नैमित्तिक एवं काम्य के नाम से जाना जाता है। यमस्मृतिमें पांच प्रकार के श्राद्धों का वर्णन मिलता है। जिन्हें नित्य, नैमित्तिक काम्य, वृद्धि और पार्वण के नाम से जाना जाता है।नित्य श्राद्ध- नित्य का अर्थ प्रतिदिन। अर्थात् रोज-रोज किए जानें वाले श्राद्ध को नित्यश्राद्ध...
तिल बताएं भविष्य...
व्यक्ति के चेहरे पर किसी भी प्रकार के घाव आदि के चिन्ह या दाग, धब्बा आदि उसके सौंदर्य का नाश करते हैं, भले ही व्यक्ति के चेहरे का रंग गोरा अथवा सांवला हो। व्यक्ति के चेहरे पर तिल तो निश्चय ही सौंदर्यवर्धक हुआ करते हैं। तिल चेहरे की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। ऐसी मान्यता...
श्राद्ध से तृप्त होते हैं पितृगण-------------
शास्त्रों में विधान है, घर में कुछ भी न होने पर पितरों की तिथि में एकान्त में दोनों हाथ ऊपर उठाकर भक्ति भाव से अश्रुपात करते हुए पितरों से विनती पर तृप्त होने के लिए भगवान से प्रार्थना करें। इससे श्राद्ध का महत्व जीवन में कितना है, अनुमान किया जा सकता है। पितृगण भी...
श्राद्ध - पितृ ऋण से मुक्ति का सरल साधन - आचार्य राघवकीर्ति ( काकागुरू )
हिंदू मास गणना में अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के दौरान सूर्य देवता पृथ्वी के अत्यधिक निकट रहते हैं,जिससे पितरों का प्रभाव पृथ्वी पर अधिक होता है,इसलिए इस पक्ष में पितरों के निमित्त कर्म ( दान-तर्पण-भोजन )किया जाना महत्वपूर्ण माना गया हैं, पूर्व पितृजनों कि...
क्यों होता है सूर्य ग्रहण ----
सूर्य ग्रहण सूर्य का चन्द्रमा के पीछे छिप जाने की घटना को कहते हैं। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को ही होती है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता...
JYOTISH
शनि, राहु और केतु की त्रिवेणी, कुछ अच्छी-कुछ बुरी–पं. विरेंद्र बाबा, राज ज्योतिषी………
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शनि, राहु और केतु की त्रिवेणी, कुछ अच्छी-कुछ बुरी--पं. विरेंद्र बाबा, राज ज्योतिषी...........
शनि के अनुचर हैं राहु और केतु। शरीर में इनके स्थान नियुक्त हैं। सिर राहु है तो केतु धड़। यदि आपके गले सहित ऊपर सिर तक किसी भी प्रकार की गंदगी या खार जमा है तो राहु का प्रकोप आपके ऊपर मँडरा रहा है और यदि फेफड़ें,...
सूर्य दे सकता है जानलेवा बीमारियां-----ज्योतिषाचार्य अंजू कपूर
आप और हम सभी जानते हैं कि सूर्यदेव की कृपा से ये संसार चलता है... लेकिन यह बात बहुत की कम लोग जानते हैं कि दुनिया भर को रोशनी से उजाला करने वाला यही सूर्य ग्रह रुप में अगर आपकी कुंडली में गलत जगह पर बैठ गया तो आपको जानलेवा बीमारियां भी...
लाल किताब में शुक्र का उपाय ----
लाल किताब में प्रत्येक भाव में शुक्र की शुभता एवं उपचार सम्बन्धी उपाय बताए गये हैं.शुक्र की शुभता के लिए कुछ सामान्य उपायों में पत्नी का सम्मान करना चाहिए.शुक्रवार का व्रत करना चाहिए.मन और हृदय पर काबू रखना चाहिए और भटकाव की ओर जाने से रोकना चाहिए.सात प्रकार के अनाज और चरी का...
परिक्रमा क्यों, कब, किसलिए और कौनसे भगवान की कितनी ?
भगवान की पूजा-आराधना के बाद हम उनकी परिक्रमा करते हैं। सामान्यत: यह बात सभी जानते हैं कि आरती आदि के होने के बाद देवी-देवताओं की परिक्रमा करनी है परंतु यह क्यों की जाती है और इसकी क्या वजह है?भगवान की भक्ति में एक महत्वपूण क्रिया है प्रतिमा की परिक्रमा। वैसे...