जीवन-यात्रा

जीवन शेली,आध्यात्म,ज्योतिष,वास्तु,हस्तरेखा,लालकिताब,राशिफल,मुहूर्त,त्यौहार,कविता,

>"दीपावली की शुभकामनाएँ"***आदरणीय मित्रों ,स्वीकार हों दीपावली की शुभकामनाएँ,हैं छिपी इसमें सदभावनाएँ।गणपति विघ्न मिटाएँ,मान-बुद्धिधन सदा लुटाएँ।सरस्वती ज्ञान का भंडार दें,राशि बढ़े ऐसा वरदान दें।लक्ष्मी करें धन की कृपा,दें सभी की दरिद्रता मिटा।प्यार का दीप जलता रहे,नफरत का धुंआ छटता रहे।सदा मन मे दीवाली रहे,पृथ्वी हरी-संपदा वाली रहे॥आपक़ो और आपक़े परिवारज़ऩो क़ो दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाऎ।आपकी दीपावली मगंलमय हो...
>कैसी रची थी खुदा ने ये दुनियाअब कैसा इसका हिसाब दिख रहा है,हर दिल को उसने प्यार से सजाया थाअब दिलों का हाल ख़राब दिख रहा है,जब इमानदारी थी तो फ़कीर दिखता थाअब धोखेबाज़ है तो नवाब दिख रहा है,दिल की सूरत के लिए इक नज़र भी नहींहर नज़र में बस शबाब दिख रहा है,माँ-बाप को यहाँ दी जाती...
>दोस्ती दुनिया की वो ख़ुशी है,जिसकी ज़रूरत हर किसी को हुई है, गुजार के देखो कभी अकेले ज़िन्दगी,खुद जान जाओगे केदोस्ती के बिना ज़िन्दगी भी अधूरी है. कीसी का दिल तोड़ना हमारी आदत नहींकीसी का दिल दुखाना हमारी फितरत में नहीं भरोसा रखना हम पर तुमदोस्त कहकर कीसी को यूँ ,हम बदलते नहीं हर ख़ुशी दिल के करीब नहीं...
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>Nothing is impossible, if we have dare.when you start walking, confusions are there.don’t let down yourself, continue wallking up stairdon’t get frustrate, if trouble rains your tear.One thing about life is, it has so many layers,you can win, if and only you beat your fear.the one who survive with difficulties, try bestis the only known as, in...
>ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए, ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए, कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए, उस दोस्त के चोट...
>आज के भौतिकवादी एवं जागरूक समाज में पति-पत्नी दोनों पढ़े लिखे होते हैं और सभी अपने अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति सजग होते हैं। परन्तु सामान्य सी समझ की कमी या वैचारिक मतभेद होने पर मनमुटाव होने लगता हैं। शिक्षित होने के कारण सार्वजनिक रूप से लड़ाई न होकर पति-पत्नी बेडरूम में ही झगड़ा करते हैं। कभी-कभी यह झगड़ा...
>एक औरत हूँ/ THE LEADY--------मैं एक बहन एक बेटी एक औरत हूँ एक औरत जो न जाने कब से नंगे पाँव रेगिस्तान की धदकती बालू मैं भागती रही है !मैं सुदूर उत्तर के गाँव से आई हूँ एक औरत जो न जाने कब से के धान खेतों मे, और चाय के बागानों मे, अपनी ताकत से ज़यादा मेहनत करती...
>मधुराष्टकं - श्री श्री वल्लभाचार्य द्वारा विरचित------ अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥ अधर, वदन नयना अति मधुरा, स्मित मधुर, हृदय अति मधुराचाल मधुर, सब कुछ मधु मधुरा, हे मधुराधिपते! मधु मधुरावचनं मधुरं चरितं मधुरं, वसनं मधुरं वलितं मधुरं । चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं...
>जब भी अपनों को आजमाया हे....हमने खुद से फरेब खाया हे.....जेसा चाहा उसे बनाया हे...जितना फ़ोलाद को तपाया हे.....चंद रोजा इस जिंदगानी का .........कोई मकसद समझ नहीं पाया हे..........जितने वाले खुद समझाते हे.......किस तरह से मुझे हराया हे........सारे बेज़ा उसूल लगते हे.......भूखे बच्चो को जब रुलाया हे.........हंसते हंसते निकल पड़े आँसू...........बीता लम्हा अब याद...

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