श्राद्ध से तृप्त होते हैं पितृगण-------------
शास्त्रों में विधान है, घर में कुछ भी न होने पर पितरों की तिथि में एकान्त में दोनों हाथ ऊपर उठाकर भक्ति भाव से अश्रुपात करते हुए पितरों से विनती पर तृप्त होने के लिए भगवान से प्रार्थना करें। इससे श्राद्ध का महत्व जीवन में कितना है, अनुमान किया जा सकता है। पितृगण भी...
श्राद्ध - पितृ ऋण से मुक्ति का सरल साधन - आचार्य राघवकीर्ति ( काकागुरू )
हिंदू मास गणना में अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के दौरान सूर्य देवता पृथ्वी के अत्यधिक निकट रहते हैं,जिससे पितरों का प्रभाव पृथ्वी पर अधिक होता है,इसलिए इस पक्ष में पितरों के निमित्त कर्म ( दान-तर्पण-भोजन )किया जाना महत्वपूर्ण माना गया हैं, पूर्व पितृजनों कि...
क्यों होता है सूर्य ग्रहण ----
सूर्य ग्रहण सूर्य का चन्द्रमा के पीछे छिप जाने की घटना को कहते हैं। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को ही होती है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता...
जीवन-यात्रा
शनि, राहु और केतु की त्रिवेणी, कुछ अच्छी-कुछ बुरी–पं. विरेंद्र बाबा, राज ज्योतिषी………
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शनि, राहु और केतु की त्रिवेणी, कुछ अच्छी-कुछ बुरी--पं. विरेंद्र बाबा, राज ज्योतिषी...........
शनि के अनुचर हैं राहु और केतु। शरीर में इनके स्थान नियुक्त हैं। सिर राहु है तो केतु धड़। यदि आपके गले सहित ऊपर सिर तक किसी भी प्रकार की गंदगी या खार जमा है तो राहु का प्रकोप आपके ऊपर मँडरा रहा है और यदि फेफड़ें,...
सूर्य दे सकता है जानलेवा बीमारियां-----ज्योतिषाचार्य अंजू कपूर
आप और हम सभी जानते हैं कि सूर्यदेव की कृपा से ये संसार चलता है... लेकिन यह बात बहुत की कम लोग जानते हैं कि दुनिया भर को रोशनी से उजाला करने वाला यही सूर्य ग्रह रुप में अगर आपकी कुंडली में गलत जगह पर बैठ गया तो आपको जानलेवा बीमारियां भी...
लाल किताब में शुक्र का उपाय ----
लाल किताब में प्रत्येक भाव में शुक्र की शुभता एवं उपचार सम्बन्धी उपाय बताए गये हैं.शुक्र की शुभता के लिए कुछ सामान्य उपायों में पत्नी का सम्मान करना चाहिए.शुक्रवार का व्रत करना चाहिए.मन और हृदय पर काबू रखना चाहिए और भटकाव की ओर जाने से रोकना चाहिए.सात प्रकार के अनाज और चरी का...
परिक्रमा क्यों, कब, किसलिए और कौनसे भगवान की कितनी ?
भगवान की पूजा-आराधना के बाद हम उनकी परिक्रमा करते हैं। सामान्यत: यह बात सभी जानते हैं कि आरती आदि के होने के बाद देवी-देवताओं की परिक्रमा करनी है परंतु यह क्यों की जाती है और इसकी क्या वजह है?भगवान की भक्ति में एक महत्वपूण क्रिया है प्रतिमा की परिक्रमा। वैसे...
Is Super Moon Dangerous----Gopal Raju
Full Moon at Perigree in an Excess of 4, 066 miles than the Normal Extreme of 225, 622 miles
The distance of the earth to the moon in miles varies in distance from 225, 622 miles to 252,088 miles in distance from one another. The extreme in proximity or "close-ness" to earth is the 225, 622...
तन्त्र-एक परिचय ---खींवराज शर्मा
तन्त्र का शाब्दिक उद्भव इस प्रकार माना जाता है - “तनोति त्रायति तन्त्र” । जिससे अभिप्राय है – तनना, विस्तार, फैलाव इस प्रकार इससे त्राण होना तन्त्र है। हिन्दू, बौद्ध तथा जैन दर्शनों में तन्त्र परम्परायें मिलती हैं। यहाँ पर तन्त्र साधना से अभिप्राय "गुह्य या गूढ़ साधनाओं" से किया जाता रहा है।
तन्त्रों को वेदों के...
गायत्री मंत्र का तत्वज्ञान---खींवराज शर्मा
समस्त विद्याओं की भण्डागार-गायत्री महाशक्ति
ॐ र्भूभुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
गायत्री संसार के समस्त ज्ञान-विज्ञान की आदि जननी है । वेदों को समस्त प्रकार की विद्याओं का भण्डार माना जाता है, वे वेद गायत्री की व्याख्या मात्र हैं । गायत्री को 'वेदमाता' कहा गया है । चारों वेद गायत्री के पुत्र...