दूर्वा अर्पण का एकदंत से अखंड सम्बन्ध---प्रियंका शर्मा
सनातन धर्म में भगवान गणेश की पूजा में महत्व रखने वाली दूर्वा यानि दूब यह एक तरह की घास है जो पूजन में प्रयोग होती है। एक मात्र गणेश ही ऐसे देव है जिनको यह चढ़ाई जाती है। दूर्वा से गणेश जी प्रसन्न होते हैं। दूर्वा गणेशजी को अतिशय प्रिय है। भगवान...
जरा गौर से देखिये अंगूठा----
जरा गौर से देखिये अंगूठा (Have a careful look at your thumb) काफी पढ़े लिखे व्यक्ति को भी कई स्थानों पर अंगूठा लगाते हुए आपने देखा होगा। वास्तव में हमारी हथेली में अंगूठे का बहुत अधिक महत्व है, देखा जाय तो यह उंगलियों में राजा होता है। हस्तरेखा विशेषज्ञ तो यहां तक मानते है कि...
विवाह के समय निर्धारण पर ध्यान देना जरूरी है..--श्रीकान्त पान्डे
विवाह एक अदभुत संयोग होता है जिसका प्रोयोजन सिर्फ मानव के जीवन को और आनंददायक और ज्यादा खुशहाल बनाने के लिय नही अपितु पूर्व जन्मो के पाप और पुन्य के संचित भाव के भोगने के कारक भी होता है।आज कल विवाह का शुभ निर्धारित समय बीत जाने...
बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग---
भौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगल अथवा शनिवार का दिन चुन लें। हनुमानजी का एक चित्र या मूर्ति जप करते समय सामने रख लें। ऊनी अथवा कुशासन बैठने के लिए प्रयोग करें। अनुष्ठान के लिये शुद्ध स्थान तथा...
ज्योतिष
अपनी राशी अनुसार करें…51000 मन्त्रों का जप और देखिये शिव आराधना का चमत्कार—-
आचार्य पंडित दयानन्द - 0
अपनी राशी अनुसार करें...51000 मन्त्रों का जप और देखिये शिव आराधना का चमत्कार----
यत्र-तत्र-सर्वत्र-शिव आराधना मुक्ति का मार्ग है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति,स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव...
****श्री रुद्राष्टकम******
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नमामीशमीशाननिर्वाणरूपं
विभु व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं!
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशामाकाशावासं भजेsहं!!१!!
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं!
करालं महाकाल कालं कृपालं
गुनागार संसार नतोsहं!!२!!
तुषाराद्री संकाश गौरं गभीरं
मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरं!
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा
लसद्भालबालेन्दु कंठे भुजंगा!!३!!
चलत्कुंडलं भ्रू सुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकंठं दयालं!
मृगाधीशचर्माम्बरं मुन्दमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि !!४!!
प्रचंडं प्रकृ PRIKRISHTN प्रगल्भं परेशं
अखंडं अजं भानु कोटि प्रकाशं
त्रय: शूल निर्मूलं शूलपाणि
भजेsहं भवानीपतिं भावगम्यं !!५!!
कालातीत कल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्ज्नानंददाता पुरारी!
चिदानंद संदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद...
"महामृत्युञ्जय शिव".....(प्राणों के रक्षक)----
शिव आदि देव है।शिव को समझना या जानना सब कुछ जान लेना जैसा हैं।अपने भक्तों पर परम करूणा जो रखते है,जिनके कारण यह सृष्टि संभव हो पायी है,वह एकमात्र शिव ही है।शिव इस ब्रह्माण्ड में सबसे उदार एवं कल्याणकारी हैं।अनेक रुपों में शिव सिर्फ दाता हैं।सम्पूर्ण लोक के सभी देवता और देवियाँ महा ऐश्वर्यशाली हैं,परन्तु शिव...
गणेश का अर्थ और -गणेश पूजन ----
श्री गणेश विध्नविनाशक हैं । सारे शुभ कार्यों में सबसे पहले पूजे जाते हैं इसलिए कि पूजक को कार्य में सफलता मिले और कार्य निर्विघ्न सम्पन्न हो । महर्षि व्यास ने गणेश जी को महाभारत बोल कर लिखवाया था । इस लेखन कार्य के संदर्भ के आधार पर उन्हें सुयोग्य आशुलिपिकार कहा...
ज्योतिष प्रयोग भाग --1
ज्योतिष के संबंध में आपके लिए कुछ और जानकारी -
किसी भी जन्म पत्री का फलित या उसके संबंध में जानकारी प्राप्त करने विश्लेषण करने में बहुत सी बातों ज्योतिष के सिद्धांतों समयानुसार व अनुभव में प्राप्त ज्ञान अनुमान को ध्यान में रखा जाता है जिसको क्रमश: धीरे धीरे इस ज्ञान से परिचय होने पर व कुण्डली...
॥संकटनाशन गणेशस्तोत्रम्॥
संकटनाशन गणेश स्तोत्रम् का प्रति दिन पाठ करने से समस्त प्रकार के संकटोका नाश होता है, श्री गणेशजी कि कृपा एवं सुख समृद्धि कि प्राप्त होती है।
वक्रतुंड महाकाय...