ज्योतिष

वायव्य दिशा / मुखी ....मकान/भवन---- वास्तु का अर्थ है वास करने का स्थान। महाराज भोज देव द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में ‘समरांगण सूत्रधार’ नामक ग्रंथ लिखा गया था जो वस्तु शास्त्र का प्रमाणिक एवं अमूल्य ग्रथं है। वैसे वास्तु शास्त्र कोई नया विषय या ज्ञान नहीं है। बहुत पुराने समय से यह भारत में प्रचलित था। जीवनचर्या की तमाम क्रियाएं किस...
क्यों होने चाहिए दिषाओं के अनुरूप भवन..??? नैऋत्य दिशा / मुखी ....मकान/भवन---- वास्तु का अर्थ है वास करने का स्थान। महाराज भोज देव द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में ‘समरांगण सूत्रधार’ नामक ग्रंथ लिखा गया था जो वस्तु शास्त्र का प्रमाणिक एवं अमूल्य ग्रथं है। वैसे वास्तु शास्त्र कोई नया विषय या ज्ञान नहीं है। बहुत पुराने समय से यह भारत में प्रचलित...
क्यों होने चाहिए दिषाओं के अनुरूप भवन..??? नैऋत्य दिशा / मुखी ....मकान/भवन---- वास्तु का अर्थ है वास करने का स्थान। महाराज भोज देव द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में ‘समरांगण सूत्रधार’ नामक ग्रंथ लिखा गया था जो वस्तु शास्त्र का प्रमाणिक एवं अमूल्य ग्रथं है। वैसे वास्तु शास्त्र कोई नया विषय या ज्ञान नहीं है। बहुत पुराने समय से यह भारत में प्रचलित...
उत्तर दिशा/ मुखी ....मकान/भवन---- वास्तु का अर्थ है वास करने का स्थान। महाराज भोज देव द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में ‘समरांगण सूत्रधार’ नामक ग्रंथ लिखा गया था जो वस्तु शास्त्र का प्रमाणिक एवं अमूल्य ग्रथं है। वैसे वास्तु शास्त्र कोई नया विषय या ज्ञान नहीं है। बहुत पुराने समय से यह भारत में प्रचलित था। जीवनचर्या की तमाम क्रियाएं किस दिशा...
पश्चिम दिशा के अनुरूप भवन--- वास्तु शास्त्र प्राकृतिक तत्वों पर आधारित उच्चकोटि का विज्ञान हैं। वास्तुशास्त्र परोक्ष रूप से प्र्रकृति के नियमों का अनुसरण करता हैं जो मानव को पंच तत्वों में सन्तुलन बनाएँ रखने की प्रेरणा देता हैं। सृष्टि की रचना पंच तत्वों से हुई हैं जो कि वायु, अग्नि, जल, आकाश एवं पृथ्वी हैं। यह तत्व एक निश्चित...
पश्चिम दिशा के अनुरूप भवन--- वास्तु शास्त्र प्राकृतिक तत्वों पर आधारित उच्चकोटि का विज्ञान हैं। वास्तुशास्त्र परोक्ष रूप से प्र्रकृति के नियमों का अनुसरण करता हैं जो मानव को पंच तत्वों में सन्तुलन बनाएँ रखने की प्रेरणा देता हैं। सृष्टि की रचना पंच तत्वों से हुई हैं जो कि वायु, अग्नि, जल, आकाश एवं पृथ्वी हैं। यह तत्व एक निश्चित...
दक्षिणमुखी भवन भी सुखमय--- कभी-कभी किसी भ्रान्तिवश ऐसी मानसिकता बन जाती है कि हम बुरा मान लेते है और इस भ्रान्ति से वास्तुषास्त्रानुसार कोइ भी दिशा अच्छी या बुरी नहीं होती है। सभी दिशाओ की अपनी विषेषतायें होती है। आमतोर पर दक्षिणमुखी भवन को अषुभ माना जाता है लेमिन हमेषा ऐसा नहीं होता है। यदि...
दक्षिणमुखी भवन भी सुखमय--- कभी-कभी किसी भ्रान्तिवश ऐसी मानसिकता बन जाती है कि हम बुरा मान लेते है और इस भ्रान्ति से वास्तुषास्त्रानुसार कोइ भी दिशा अच्छी या बुरी नहीं होती है। सभी दिशाओ की अपनी विषेषतायें होती है। आमतोर पर दक्षिणमुखी भवन को अषुभ माना जाता है लेमिन हमेषा ऐसा नहीं होता है। यदि...
दक्षिण मुखी/ दिशा से सम्बन्धित भवन --- ऐसा भूखण्ड जिसके दक्षिण में ही सड़क होतो उसे दक्षिण भूखण्ड कहते है। दक्षिणी मुखी भूखण्ड होने का प्रभाव घर की महिलाओ पर पड़ता है। दक्षिणी दिशा को सामान्य एवं अशुभ माना गया है। किन्तु सर्वथा ऐसा नहीं है। जिनकी जन्म कुण्डली मंे राहु प्रधान एवं शुक्र प्रधान कुण्डली होगी तो वह दक्षिण...
दक्षिण मुखी/ दिशा से सम्बन्धित भवन --- ऐसा भूखण्ड जिसके दक्षिण में ही सड़क होतो उसे दक्षिण भूखण्ड कहते है। दक्षिणी मुखी भूखण्ड होने का प्रभाव घर की महिलाओ पर पड़ता है। दक्षिणी दिशा को सामान्य एवं अशुभ माना गया है। किन्तु सर्वथा ऐसा नहीं है। जिनकी जन्म कुण्डली मंे राहु प्रधान एवं शुक्र प्रधान कुण्डली होगी तो वह दक्षिण...

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