वास्तु एवं विज्ञान----
संसार वास्तव में ईश्वर का आभास हैं और यह आभास इस कारण उत्पन्न होता हैं कि हमने अज्ञानता वश संसार को सत्य समझ लिया हैं जो क्षण भंगुर है और प्रत्येक क्षण परिवर्तनीय हैं। यह कदापि सत्य नहीं हो सकता। सत्य होने की एक मात्र शर्त यह हैं कि मनुष्य माया में लिप्त न हो। यह...
वास्तु और विद्यार्थी ( VASTU & STUDENT)--
किसी भी भवन का जब निर्माण किया जाए तब उसमें वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों का भलीभांति पालन करना चाहिए चाहे वह निवास स्थान हो या व्यवसायिक परिसर है। इस युग में शिक्षा का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत हो गया हैं और बदलते हुए जीवन-मूल्यों के साथ-साथ शिक्षा के उद्धेश्य भी बदल गये हैं। शिक्षा व्यवसाय...
वास्तु और विद्यार्थी ( VASTU & STUDENT)--
किसी भी भवन का जब निर्माण किया जाए तब उसमें वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों का भलीभांति पालन करना चाहिए चाहे वह निवास स्थान हो या व्यवसायिक परिसर है। इस युग में शिक्षा का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत हो गया हैं और बदलते हुए जीवन-मूल्यों के साथ-साथ शिक्षा के उद्धेश्य भी बदल गये हैं। शिक्षा व्यवसाय...
वास्तुशास्त्र- शुभ दिशा ज्ञान
वास्तुशास्त्र आज चर्चा का विषय है। पिछले कुछ वर्षों में इस विषय की अनेक पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। भारत वासियों के लिए वास्तुशास्त्र नया नहीं है। आदिकाल में भी भवन निर्माण का कार्य वास्तुशास्त्र के नियमों को ध्यान में रख कर कराया जाता था, किंतु तब यह कला देवालयों, राजमहलों, राजभवनों तक ही सीमित...
वास्तुशास्त्र- शुभ दिशा ज्ञान
वास्तुशास्त्र आज चर्चा का विषय है। पिछले कुछ वर्षों में इस विषय की अनेक पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। भारत वासियों के लिए वास्तुशास्त्र नया नहीं है। आदिकाल में भी भवन निर्माण का कार्य वास्तुशास्त्र के नियमों को ध्यान में रख कर कराया जाता था, किंतु तब यह कला देवालयों, राजमहलों, राजभवनों तक ही सीमित...
समृद्धि में अवरोध - कारण पूजा कक्ष तो नहीं...!!!!!
पूजाघर भौतिक सुखों की प्राप्ति के साथ-साथ पारलौकिक सुखों एवं आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति का साधन हैं। यह वह कक्ष हैं, जिसमें विश्व का संचालक (ईश्वर) निवास करता हैं। अतः इसका निर्माण एवं इसकी साज सज्जा वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों के अनुसार करनी चाहिए। कई बार वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों का हम उल्लंघन...
समृद्धि में अवरोध - कारण पूजा कक्ष तो नहीं...!!!!!
पूजाघर भौतिक सुखों की प्राप्ति के साथ-साथ पारलौकिक सुखों एवं आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति का साधन हैं। यह वह कक्ष हैं, जिसमें विश्व का संचालक (ईश्वर) निवास करता हैं। अतः इसका निर्माण एवं इसकी साज सज्जा वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों के अनुसार करनी चाहिए। कई बार वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों का हम उल्लंघन...
वास्तु और प्रसिद्धि--
जन्मकुंडली के ग्रहों की प्रकृति व स्वभाव अनुसार सृजन प्रक्रिया बिना लाग लपेट के प्रभावी होती हैं और ऐसे में अगर कोई जातक जागरूकता को अपनाकर किसी विद्वान जातक से परामर्श कर अपना वास्तु ठीक कर लेता हैं तो वह समृद्धि प्राप्त करने लगता हैं।
स्त्री हो या पुरुष आज के भौतिक युग में एक फैशन सा हो...
वास्तु और प्रसिद्धि--
जन्मकुंडली के ग्रहों की प्रकृति व स्वभाव अनुसार सृजन प्रक्रिया बिना लाग लपेट के प्रभावी होती हैं और ऐसे में अगर कोई जातक जागरूकता को अपनाकर किसी विद्वान जातक से परामर्श कर अपना वास्तु ठीक कर लेता हैं तो वह समृद्धि प्राप्त करने लगता हैं।
स्त्री हो या पुरुष आज के भौतिक युग में एक फैशन सा हो...
वास्तु सम्मत आफिस( VASTU AS PAR VASTU RULES)-----
वास्तु के दृष्टिकोण से एक अच्छे आफिस में बैठते हुए यह ध्यान रखना जरूरी हैं कि स्वामी की कुर्सी आफिस के दरवाजे के ठिक सामने ना हो । कमर के पीछे ठोस दीवार होनी चाहिए । यह भी ध्यान रखे कि आफिस की कुर्सी पर बैठते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर...