जानिए कौन बनेगा फिल्मी हास्य कलाकार…
फिल्मी दुनिया में नाम, ग्लैमर, शोहरत एवं धन है। इस कारण से लोग फिल्म जगत में अपने भाग्य को आजमाने का प्रयास करते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि किस व्यक्ति को किस क्षेत्र में सफलता मिलेगी, वह ईश्वर ने प्रारब्ध में पहले से ही निष्चित् कर रखी है। फिल्म क्षेत्र की अनेक विधाएं हैं, जैसे- अभिनय, गायन, नृत्य, लेखन आदि। कौन व्यक्ति अभिनेता बन सकता है, कौन लेखक या कहानीकार, कौन गीतकार तथा कौन गायक, इस तथ्य का व्यक्ति की कुण्डली से भलीभांति पता लगाया जा सकता है।
हज़ारों नौजवान रोजाना एक ख्वाब लिए मुंबई पहुंचते हैं। ख्वाब-फिल्मों में काम करने का। लेकिन, सफलता सभी को नहीं मिलती। रुपहले पर्दे पर अपनी छाप तो इक्का दुक्का नौजवान ही छोड़ पाते हैं, कुछ छोटी-मोटी भूमिकाएं पाकर खुद को निहाल समझते हैं,जबकि हजारों लोग पूरी जिंदगी संघर्ष करते रह जाते हैं,क्योंकि तमाम प्रतिभा के बावजूद उन्हें मौका ही नहीं मिलता।
दरअसल, इस प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में अभिनेता या अभिनेत्री के तौर पर अपना भविष्य बनाना आसान काम नहीं है। इस क्षेत्र में सफलता पाने के लिए व्यक्ति की कुण्डली में प्रबल योग होने चाहिए, नहीं तो महज़ पैसे, कोशिश और वक़्त की बर्बादी होती तथा कुछ हासिल नहीं होता।
सवाल यह कि फ़िल्म जगत या कॉमेडियन बनने में करियर बनाने के लिए किन ज्योतिषीय कारकों की आवश्यकता होती है?
वैदिक ज्योतिष के मुताबिक़ प्रबल शुक्र, गुरू, सूर्य और 5वाँ भाव इस क्षेत्र में सफलता देते हैं। शुक्र अभिनय व कला आदि को दर्शाता है, गुरू भाग्य और समृद्धि को इंगित करता है, सूर्य यश तथा लोकप्रियता की ओर संकेत करता है और मज़बूत पाँचवाँ भाव मनोरंजन, नाट्य और अभिनय आदि में सफलता को दिखलाता है।
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को सौन्दर्य, कला, फिल्म, एवं ग्लैमर का कारक माना जाता है। शुक्र से ही संगीत, नृत्य तथा अभिनय की योग्यता आती है। बुध बुद्धि का तथा चन्द्रमा मन एवं कल्पनाशीलता का कारक ग्रह होता है। षुक्र, बुध और चन्द्रमा तीनों ग्रहों के बली और योगकारक होने पर कला एवं फिल्म के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की आधारभूत योग्यता प्राप्त होती है।
ज्योतिष शास्त्र में बुध को अभिनय का कारक माना जाता है क्योंकि बुध ग्रह के कारण जातक न केवल वाक्पटु होता है अपितु किसी भी प्रकार की अवधारणा, संवेदना और जीवन की नाटकीयता को अपनी अभिव्यक्ति की योग्यता, भाव भंगिमा और भाषण षैली द्वारा यथावत प्रदर्षित कर देता है। हास्य विनोद और मनोरंजन से लाभ कमाने की योग्यता तथा बातचीत से लाभ पाने की क्षमता भी बुध ग्रह दिया करता है।
बुध को अभिनय दक्षता, षुक्र को कलात्मकता तथा चन्द्रमा को कल्पनाषीलता का कारक माना जाता है। कलाकार में कल्पना षक्ति का विद्यमान होना उसे प्रकृति द्वारा दी गई सबसे बडी देन होती है। कला के क्षेत्र में अभिनव आयाम स्थापित करने योग्य क्षमता, कल्पनाषक्ति के उर्वरा होने पर ही संभव है। अतः चन्द्रमा का बली होना कलाकार की कुण्डली के लिए एक अनिवार्यता हो जाती है।
मंगल ग्रहों में सेनापति है। यह उत्साह, उमंग, साहस, पराक्रम, स्वास्थ्य एवं परिश्रम का कारक ग्रह है, जो स्पर्धा या संघर्ष में सफलता दिलाने तथा निरंतर प्रयास करने की प्रेरणा देने में सक्षम है। सफलता के लिए आवष्यक ऊर्जायुक्त व्यक्तित्व मंगल से ही प्राप्त होता है। अतः मंगल का बली होना सफलता का परिचायक है।
इस प्रकार शुक्र, बुध, चन्द्रमा और मंगल का बली होना निष्चित रूप से सफल कलाकार बनने का संकेत देता है, परन्तु सबसे आगे रहने के लिए इन ग्रहों के अतिरिक्त बृहस्पति महाराज का मजबूत स्थिति में विराजना सहायक सिद्ध हो सकता है।
अभिव्यक्ति में वाणी का महत्व सर्वविदित है। वाणी का भाव दूसरा भाव होता है। चूंकि अभिनय तथा गायन में वाणी प्रमुख होती है, इसलिए कुण्डली में द्वितीय भाव, द्वितीयेष एवं वाणी के कारक ग्रह का बहुत महत्व है।
फिल्म या हास्य कलाकार बनने के लिए जिन भावों का अध्ययन किया जाता है, उनमें पंचम भाव सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। पांचवां भाव मनोरंजन का स्थान होता है। उपर्युक्त दोनों भावों के साथ ही साथ दशम भाव जो आजीविका का भाव माना जाता है, उसका अध्ययन भी महत्वपूर्ण है। इन सभी से यह आंकलन किया जाता है कि कोई व्यक्ति कलाकार बनेगा या नहीं अथवा कला के किस क्षेत्र में उसे वांछित सफलता प्राप्त होगी।
किसी कुंडली का लग्न भाव जातक के रंग-रूप, स्वभाव और व्यक्तित्व को दर्षाता है। अतः लग्न, उसके कारक ग्रह एवं लग्न भाव के स्वामी ग्रह को भी षुभ होना चाहिए क्योंकि इन सबसे ही व्यक्ति का प्रभावषाली व्यक्तित्व बनता है।
कृष्णमूर्ति पद्धति के अनुसार पाँचवें भाव का सब-लॉर्ड अगर ., 6, .., 11 के कारक ग्रहों के नक्षत्र में हो, तो जातक को इस क्षेत्र में क़ामयाबी हासिल होती है। कारक शुक्र का संबंध योग को और सुस्पष्ट व प्रबल कर देता है।
कुण्डली में कलानिधि योग भी सिनेमा एवं कला के क्षेत्र में श्रेष्ठ सफलता देता है। जिसकी कुण्डली में द्वितीय या पंचम भाव में गुरू हो, गुरू बुध या षुक्र की राषि में हो अथवा बुध-षुक्र से युत या दृष्ट हो तो यह योग बनता है। अथवा द्वितीय स्थान या द्वितीयेष का सम्बन्ध पंचम से हो, और पंचम भाव षुक्र से प्रभावित हो तो यह योग बनता है।
कलानिधि योग के अतिरिक्त कुण्डली में मालव्य योग, शश योग, गजकेशरी योग, सरस्वती योग हों तो व्यक्ति में कलात्मक गुण विद्यमान होते हैं। अपनी रूचि के अनुरूप वह कला के जिस क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहता है, उसमें व्यक्ति को सफलता मिलने की संभावना बलबती रहती है।
जब चन्द्रमा पंचम, दशम अथवा एकादश भाव में स्वराशि में बैठा हो तथा शुक्र दूसरे घर में स्थित हो या चन्द्र के साथ इन भावों में युति बनाये तो अभिनेता, गीतकार या संगीतज्ञ बनने के लिए व्यक्ति को प्रेरणा मिलती है।
जब वृष लग्न अथवा तुला लग्न की कुण्डली में शुक्र एवं बुध की युति दशम अथवा पंचम में भाव में हो तो व्यक्ति अभिनय की दुनियां में प्रसिद्धि प्राप्त कर सकता है।
यदि लग्न अथवा तृतीय भाव में षुक्र या सिंह लग्न में सूर्य षुक्र का स्थान परिवर्तन योग हो और बुध बली हो तो जातक को अभिनय के क्षेत्र में कामयाबी मिलती है।
जब शुक्र, बुध एवं लग्नेश जिस व्यक्ति की कुण्डली में केन्द्र भाव में बैठे हों उसे सिनेमा जगत में सफलता मिलने की काफी संभावना बनती है।
जब लग्नेष एवं चन्द्रमा षुक्र की राषियों में स्थित हों, गुरू एवं बुध उच्च राषिस्थ हों तथा कुण्डली में अच्छा राजयोग विद्यमान हो तो जातक को कलाकार बनने में सफलता मिलती है।
कुंडली का पंचम भाव जिसे मनोरंजन का भाव कहते हैं, उस पर लग्नेश की दृष्टि हो साथ ही शुक्र या गुरू भी उसे देखते हों तो व्यक्ति अभिनय की दुनियां में अपना कैरियर बना सकता है।
यदि शुक्र उच्च राषिस्थ हो, चन्द्रमा-बुध की युति हो तथा बुध की राषियां बली हों तो जातक हास्य, व्यग्य और गायन में कुषल ऐक्टर होता है।
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कुछ उदाहरण—
Name: Jaspal Bhatti
Date of Birth: Thursday, March 0., 1955
Time of Birth: 12:00:00
Place of Birth: Amritsar
Longitude: 74 E 56
Latitude: 31 N 35
Time Zone: 5.5
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Name: Navjot Singh Sidhu
Date of Birth: Sunday, October 20, 1963
Time of Birth: 12:00:00
Place of Birth: Patiala
Longitude: 76 E 24
Latitude: 30 N 19
Time Zone: 5.५
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Name: Raju Shrivastava
Date of Birth: Wednesday, December 25, 1963
Time of Birth: 12:00:00
Place of Birth: Kanpur
Longitude: 80 E 19
Latitude: 26 N 27
Time Zone: 5.5
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Name: Paresh Rawal
Date of Birth: Tuesday, May 30, 1950
Time of Birth: 12:00:00
Place of Birth: Ahmedabad
Longitude: 72 E 40
Latitude: 23 N 3
Time Zone: 5.5
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Name: Johnny Lever
Date of Birth: Wednesday, August 14, 1957
Time of Birth: 12:00:00
Place of Birth: Parkasam
Longitude: 80 E 6
Latitude: 15 N 30
Time Zone: 5.5
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Name : Kapil Sharma
Date of Birth : 11 th January 1971
Time of Birth : 03:00 am
Place of Birth : Bulundh shahar UP
Current dasha – Mercury
यह कुंडली कॉमेडियन कपिल शर्मा की हैं। उनकी राशि हे मिथुन। चंद्र जो नंबर हे हो वो राशि होती हे। चंद्र कपिल शर्मा की कुंडली में मिथुन राशि में हे तो मिथुन राशि कहलाती हे मित्रो। कपिल शर्मा की कुंडली २ नंबर से सुरु होती हे यानि वृषभ राशि हे।
पहला घर उसे लग्न भी कहलाता हे। : पहले घर की राशि हे। वृषभ , वृषभ राशि का स्वामी हे शुक्र जो आठ नंबर में सातम घर में मंगल राशि में हे। जो शत्रु राशि में बैठा हे। जो अपने घर वृषभ में सत्तमी दृस्टि से देख रहा हे। यानि शरीर सुख अच्छा होता हे। एटट्रिक्टिव देखाव। एसो आराम करने वाला। दिमाग में मौज मस्ती ही रहती हे। संगीत का शोखीन होता हे।
दूसरा घर में बुध की राशि हे। जहा चन्द्रमा बैठा हे। जो मित्र गृह हे। यानि पैसे को फॅमिली को और अपने वाणी को लेकर चिंता रहती हे। मीठा बोला रहता हे।
तीसरा घर जो कर्क राशि हे जिसका स्वामी चंद्र हे। जो उसकी राशि से १२ में गया। यानि। जोभी मेहनत करवाता हे वेस्ट होती हे। अकारण व्यर्थ मेहनत करवाता हे। और उसका फल नै मिलता हे।
चौथा घर जहा केतु हे केतु के सामने १८० डिग्री में राहु रहता हे। ये स्तान में राहु केतु आने से जन्म भूमि से दूर जाना पड़ता हे। माता पिता सुख कम मिलता हे। माता परेशानी रहती हे।
पाँचवा घर जो एजुकेशन और चाइल्ड का होता हे जहा कन्या राशि हे। जिसका स्वामी बुध हे जो आठमें घर में हे। यानि एस्ट्रोलॉजी नॉलेज रहता हे। गुप्त नॉलेज भी होता हे।
छठवा घर जो तुला राशि हे जिसका स्वामी शनि हे जो बारमे घर में मंगल की राशि में बैठा हे। और मंगल बैठा हे। शनि की राशि में जो परिवर्तन योग कर रहा हे। ये मैरिज योग के लिए नै अच्छा हे। हैप्पी मैरिज लाइफ नै कह सकते।
सत्म घर जहा से मैरिज पार्टनरशिप देखि जाती हे। जहा वृशिक राशि हे जिसका स्वामी मंगल हे जो अपने घर से बारहवे घर में बिराजमान हे जो पार्टनरशिप और मैरिज लाइफ बिगाड़ सकती हे। गुरु और शुक्र की कॉम्बिनेशन नै अच्छी हे। गुरु और शुक्र होने से यह कह सकते हे। की पत्नी धार्मिक और सुन्दर होगी।
आठमाँ घर जो धन राशि हे। धन राशि का स्वामी गुरु हे। जो खुद के घर से बाहरवें घर में हे। यानि लाइफ में कभी घात आ शक्ति हे। एक्सीडेंटली बचाव हुवा हो ऐसा होता हे।
नवम घर जो भाग्य स्तान कहते हे। माता से लाभ होता हे। कयूकि शनि भाग्य स्तान से चौथे घर में हे। जहा शनि उच्च दृस्टि से देख रहा हे। जो ३० age में भाग्य खुलता हे।
दसम घर जो कुंभ राशि हे। जहा राहु ग्रह बैठा हे जो शनि के घर का हे। जो अच्छा मना जाता हे। ये बिज़नस अच्छा कर सकते हे। और कहा जाता हे जिसका राहु दसमें उसके दुश्मन वशमे। दुसमन टिक नै पाते हे।
ग्यारवाँ घर जिसका स्वामी हे। गुरु जो सातवे घर में शत्रु ग्रह शुक्र के साथ बैठा हे। ये अचानक लाभ होने और एअर्निंग हाउस हे। बहोत धन देगा। पर शुक्र से थोड़ी इफ़ेक्ट पड़ेगी।
बरवा घर जो फॉरेन और व्यय का हाउस हे जहा शनि हे जो फॉरेन योग बनाता हे।
इस कुंडली में ४ योग बनते हे—
शनि – चंद्र से विष योग ये सोचने का पावर धीमा करता हे।
शनि – मंगल ये परिवर्तन योग बनता हे। शनि मंगल अक्सर बिल्डर की कुंडली में देखे जाते हे। और बहोत उचे लोगो के कॉन्टैक्ट करवाता हे।
सूर्य – चंद्र ये अगम चेती करवाता हे। कोई भी चीज या इंसान या जगह में पहले कभी आया हो इस महसूस करवाता हे।
केतु चौथे घर में जो मातृ दोस पैदा करता हे। माँ के साथ रहेगा तो तन करता रहता हे। दूर रहेगा तो शांत हो जायेगा
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हिंदी फिल्मों के मशहूर हास्य कलाकार और फि़ल्म निर्देशक महमूद अली 300 से ज़्यादा हिन्दी फि़ल्मों में किये गये अपने अदभुत अभिनय के लिये जाने और सराहे जाते है। महमूद का जन्म 29 सितम्बर 1932 को मुम्बई में हुआ था | महमूद अली (१९३२-जुलाई २३, २००४) (आम तौर पर महमूद) एक भारतीय अभिनेता और फ़िल्म निर्देशक थे। हिन्दी फ़िल्मों में उनके हास्य कलाकार के तौर पर किये गये अदभुत अभिनय के लिये वे जाने और सराहे गये है। तीन दशक लम्बे चले उनके करीयर में उन्होने 300 से ज़्यादा हिन्दी फ़िल्मों में काम किया। महमूद अभिनेता और नृत्य कलाकार मुम्ताज़ अली के नौ बच्चों में से एक थे। जुलाई २३, २००४ को अमरीका में पेनसिल्वेनिया शहर में नींद में ही गुज़र गये।
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हमने कई बार देखा है कि लोग खलनायक के तौर पर अपना करियर शुरू करते हैं और फिर नायक बन जाते हैं और हीरो हास्य-कलाकर बन जाते हैं। इस तरह के बदलाव के लिए सह-स्वामी (को-रूलर) ज़िम्मेदार होते हैं।
अनुभव ही मुख्य चीज़ है, इसलिए हमें किसी भी घटना की ठीक-ठीक भविष्यवाणी करने के लिए हर तथ्य की भली-भांति पड़ताल करनी पड़ती है। इसके लिए तजुर्बा, व्यापक कल्पना और इंट्यूशन की ज़रूरत होती है।