वैशाख मास के पर्व:—-
वैशाख संक्रान्ति …1, 14 अप्रैल —
Festival in the Month of Vaishakh : Vaishakh Sankranti 2011, 14 April—
14 अप्रैल, 2011, गुरुवार, चैत्र शुक्ल पक्ष , एकादशी तिथि को दोपहर 0..00 बजे पर मघा नक्षत्र कालीन कर्क लग्न में प्रवेश करेगी. वैशाख संक्रान्ति का पुण्य़काल सूर्योदय से प्रारम्भ होगा. इस मास में प्रतिदिन श्री विष्णु सहस्त्रणाम एवं “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का पाठ करने का विशेष महत्व होता है.
वैशाख मास में नित्यप्रति प्रात: काल सूर्योदय से पूर्व शुद्ध जल में तीर्थस्थान यथाशक्ति अनाज, वस्त्रों, फलादि का दान करने का विधान व महत्व कहा गया है. यह विधान करने वाले व्यक्ति के जीवन से रोग-शोक दूर होते है. तथा आरोग्य, धन, सम्पादि सुखों की प्राप्ति होती है.
माघ नक्षत्र में वैशाख संक्रान्ति का प्रारम्भ होने के कारण घोरा नाम घोरा नाम है. यह संक्रान्ति दुष्जनों को लाभ व सुख देने वाली होती है. चैत्र पूर्णिमा को चित्रा नक्षत्र होने से उस दिन स्नान करने के बाद इस दिन अनाज व रंगबिंरगें वस्त्रों कादान करना सौभाग्य में वृ्द्धि करता है. इस संक्रान्ति में पांच मंगलवार होने से देश के कुछ भागों में आग संबन्धी दुर्घटनाएं अधिक हो सकती है.
कामदा एकादशी व्रत 2011, 14 अप्रैल
Fast of Kamada Ekadashi 2011, 14 April
इस दिन गुरुवार के दिन कामदा एकादशी व्रत है. इस व्रत को पूर्ण नियम व श्रद्धा से करने पर उपवासक की व्रत से जुडी मनोकामना पूरी होती है. इस व्रत को रखने से सुख-शान्ति प्राप्त होती है. और अंत में मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. एकादशी का व्रत अन्न रहित रखा जाता है. केवल एक समय फलाहार किया जा सकता है. उपवासक को उपवास वाले दिन भगवान श्री देव वासुदेव कि मूर्ति की विधि-विधान से पूजा कर फलों का भोग लगाया जाता है. तथा मूर्ति के पास ही भूमि पर शयन किया जाता है.
श्री महावीर जयन्ती (जैन) 2011, 16 अप्रैल
Sri Mahavir Jayanti 2011, 16 April
श्री महावीर जयन्ती का महोत्सव जैन समाज के लिये विशेष महत्व रखता है. इस दिन सभी महावीर मंदिरों में उत्सव की धूम होती है. की जगह पांच दिवसीय मेले लगते है. मेले में ध्वजारोहण, जयन्ती जुलूस, जलयात्रा, रथयात्र और कलाशाभिषेक जैसे कार्यक्रम होते है. रथयात्रा जुलूस के पश्चात प्रतिमा को धूमधाम के साथ मंदिर में पुनस्थापित कर दिया जाता है. श्रद्दालु भारी तादाद में मंदिर परिसर में पूजा – अर्चना करने के लिये एकत्रित होते है. और श्री महावीर की आराधना की जाती है. सायं काल में मंदिरों को दीपों से सजाया जाता है.
श्री हनुमान जयन्ती 2011, 18 अप्रैल
Sri Hanuman Jayanti 2011, 18 April
श्री हनुमान जयन्ती का उत्सव चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन श्री राम के परम भक्त हनुमान जी का जन्म दिन होता है. श्री राम व हनुमान के श्रद्धालुओं के लिये यह दिन विशेष महत्व रखता है. इस तिथि में हनुमान जी का पूजन होता है. हनुमान जी श्रंगार कर, विधि-वत पूजन किया जाता है. उपवासक इस दिन का उपवास भी रखते है. सायंकाल में भोग के साथ आरती की जाती है. श्री हनुमान चालिसा का पाठ और स्त्रोतों का पाठ हनुमान जी को प्रसन्न करता है.
श्री गणेश चतुर्थी व्रत 2011, 21 अप्रैल
Fast of Sri Ganesha Chaturthi 2011, 21 April
भगवान श्रीगणेश को चतुर्थी तिथि अत्यधिक प्रिय है. सभी देवों से पहले श्री गणेश का पूजन किया जाता है. चतुर्थी व्रत को करने से उपवासक के कार्य सिद्ध होते है. तथा श्री गणेश कल्याणकारी है. कार्यो में सफलता और कामनापूर्ति, संतान, धन व संमृ्द्धि के लिये या फिर अचानक से आय किसी संकट के निवारण के लिये इस व्रत को किया जा सकता है.
वरुथिनी एकादशी व्रत, श्री वल्लाभाचार्य जयन्ती 2011, 28 अप्रैल
Fast of Varuthini Ekadashi, Sri Vallabhacharya Jayanti 2011, 28 April
28 अप्रैल के दिन वरूथिनी नामक एकादशी रहेगी. एकादशी का व्रत जब निर्जल रहकर किया जाता है, तो सबसे उतम फल देता है. एक वर्त में चौबीस से छबीस एकादशियां होती है. एकादशी व्रत भगवान श्री विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिये किया जाता है. इस दिन “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय: का जाप करके गौ दान, वस्त्र दान, छत्र, फल आदि का दान करना चाहिए.
सोमवती अमावस्या 2011, 02 मई
New Moon of Somavati 2011, 02 May
02 मई, 2011 के दिन सोमवती अमावस्या का योग होने से गंगादि तीर्थो पर स्नान, जप- पाठ व ब्राह्माणों को यथा शक्ति भोजन, वस्त्र फलों, व जल -पूर्ण घडे का दान करना व भगवान विष्णु का पूजन करके पीपल वृ्क्ष को पुष्पाक्षत्र सहित जल देन से कई यज्ञों का पुन्य प्राप्त होता है.
भौमवती अमावस्या 2011, 03 मई
New Moon of Bhaumavati 2011, 03 May
भौमवती अमावस्या के दिन स्नान दान कार्य करने चाहिए. इस दिन हनुमान जी के हनुमान चालिसा का पाठ करना भी विशेष शुभ रहता है.
भगवान परशुराम जयन्ती 2011, 05 मई
Bagavan Parashuram Jayanti 2011 , 05 May
भगवान श्री परशुराम राष्ट्रीय़ एकता, देश भक्ति, त्याग तथा वीरता के प्रतीक है. परशुराम जी भगवान विष्णु के छठे अवतार है. गुरुओं में इन्हें विशेष रुप से पूजा जाता है. परशुराम जयन्ति के दिन ईश्वर भक्त, परम त्यागी का जन्म दिवस पिता सम्मान और गुरु की महत्वता का प्रतीक है.
अक्षय तृ्तिया 2011, 06 मई
Akshay Trithiya 2011, 06 May
06 मई, 2011 के दिन अक्षय तृ्तिया रहेगी. अक्षय तृ्तिया के दिन जो भी विषय वस्तु क्रय कि जाती है. क्रय करने वाले व्यक्ति के पास वह वस्तु सदैव बनी रहती है. यह दिन अचल संपति, सोना, चांदी या लम्बे समय के लिये धन का विनियोजन करने के लिये विशेष शुभ रहता है.
मोहिनी एकादशी व्रत 2011, 14 मई
Mohini Ekadashi 2011, 14 May
14 मई के दिन मोहिनी नामक एकादशी रहेगी. एकादशी के दिन का व्रत भगवान श्री विष्णु जी की पूजा -उपासना का होता है.

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