ज्येष्ठ मास के पर्व:—
ज्येष्ठ संक्रान्ति …1, 15 मई —
Festival in the Month of Jyeshtha : Jyeshtha Sankranti 2011, 15 May—
15 मई, 2011 रविवार, वैशाख शुक्ल त्रयोदशी तिथि को प्रात 09:50, चित्रा नक्षत्र काल, कर्क लग्न में प्रारम्भ होगी. इस संक्रात्नि का पुन्य कल प्रात; सूर्योदय से सायं 16:14 तक रहेगा. वार अनुसार इस संक्रान्ति का नाम घोरा है. अपने नाम के अनुसार यह संक्रान्ति दुष्ट ओर नीच प्रकृ्ति के लोगों को लाभ पहुंचाने वाली कही गई है.
इस मास में संक्रान्ति, एकादशी, अमावस, गंगां दशहरा व निर्जला एकाद्शी आदि पर्व मुख्य रुप से रहेगें. संक्रान्ति के दिन व्रत-उपवास रख कर घडा, गेहूं, चावल, सतु, अनाज व दूध -चीनी, फल, वस्त्र, छाता, पंखा आदि अन्य गर्मियों में प्रयोग होने वाली वस्तुओ का दक्षिणा सहित दान करने का विशेष महत्व होता है. व्रत के दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन व “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ” मंत्र व विष्णु सहस्त्र नाम आदि स्त्रोतों का जप-पाठ करना शुभ रहता है.
श्री सत्यनारायण व्रत 2011, 16 मई
Fast of Sri Amavasya 2011, 16 May
16 मई, 2011 के दिन श्री सत्यनारायण का व्रत रख, उपवास करना कल्याणकारी रहता है. उपावस के साथ जब उपावसक सत्यनारायन कथा करायें, या कथा का श्रवण करें, तो इसके फल विशेष कहे गये है.
वैशाख पूर्णिमा , श्री बुध पूर्णिमा 2011, 17 मई
Vaishakh Poornima 2011, 17 May
17 मई का दिन वैशाख पूर्णिमा का रहेगा. इस दिन स्नानादि कार्य किये जा सकते है. वैशाख पूर्णिमा को अम्रतसर में विशेष रुप से मनाया जाता है. वहां धार्मिक क्रियाकलापों की दिनभर धूम रहती है. प्रात: काल में जल स्त्रोतों में ब्रह्मामुहूर्त में स्नान और पीपल की पूजा अर्चना की जाती है. वैशाखी के दिन गर्मी की तपन से बचाने वाली वस्तुओं का दान विशेष रुप से किये जाते है. इसमें हाथ का पंखा, मटकी, आम शर्बत आदि प्रमुख रहते है.
श्री गणेश चतुर्थी व्रत 2011, 20 मई
20 May, 2011 – Sri Ganesha Chaturthi
श्री गणेश की कृ्पा प्राप्त करने के लिये श्री गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है. श्री गणेश कार्यो को सिद्ध करने वाले, तथा शुभता के प्रतीक है. सभी देवों में सर्वप्रथम श्री गणेश का पूजन किया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन उपवास करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते है. यह चतुर्थी पत्थर चौथ के नाम से भी जानी जाती है.
पंचक प्रारम्भ 2011, 24 मई
Beginning of Panchak 2011, 24 May
प्रात:1:.0 से पंचक शुरु होगें. पंचकों में शुभ कार्य आरम्भ नहीं किये जाते है. पंचक लगभग साढे चार दिन के होते है. पंचकों में किसी की मृ्त्यु हो जाने पर, अंतिम संस्कार करने से पूर्व पांच फूस के पुतले बनाकर, शव के साथ इनका भी विधिवत संस्कार किया जाता है. इससे पंचक की अशुभता में कमी होती है. पंचक समय के लिये वर्जित कार्यो में ईंधन एकत्रित करना, छत डालना, दक्षिण दिशा की यात्रा और छत डालना प्रमुख है.
सोम प्रदोष व्रत 2011, 30 मई
Fast of Soma Pradosh 2011, 30 May
चन्द्र मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. सूर्यास्त के बाद के 2 घंटे 24 मिनट का समय प्रदोष काल कहलाता है. प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ का आशिर्वाद प्राप्त करने के लिये किया जाता है. 30 मई, 2011 के दिन यह व्रत सोमवार के दिन होने के कारण सोम प्रदोष व्रत कहा जायेगा. शास्त्रों में प्रदोष व्रत से मिलने वाले फलों के विषय में कहा गया है, कि जो जन इस व्रत को करता है उस पर भगवान भोलेनाथ की कृ्पा सदैव बनी रहती है.
अमावस्या 2011, 01 जून
New Moon 2011, 01 Jun
शुक्ल पक्ष प्रारम्भ होने से ठिक एक दिन पहले अमावस्या होती है. अमावस्या के दिन पितरों की शात्नि से संबन्धित कार्य किये जाते है. पितर दोष से मुक्त होने के लिये अमावस्या के दिन पूर्वजों का नाम ले, तर्पण करना, तथा चावलों कि खीर बनाकर, कौओं को रोटी और खीर का भोग लगाने का कार्य इस दिन किया जाता है. इसके अतिरिक्त जिन्हें संतान प्राप्त करने में परेशानियां हो रही हों, उनके लिये भी अमावस्या का पूजन कल्याणकारी रहता है.
श्री गंगा स्नान प्रारम्भ 2011, 02 जून
Beginning of Sri Ganga Snan 2011, 02 Jun
प्राचीन काल से ही यह मान्यता रही है कि माता गंगा सभी को पाप मुक्त करती है. सभी धार्मिक पर्वों में गंगा में स्नान करना, दानादि करना शुभ रहा है. 02 जून, 2011 के दिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को श्री गंगा स्नान पर्व मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार इस दिन स्नान करने से व्यक्ति को अपने जाने – अनजाने में किये गये पापों से मुक्ति मिलती है. गंगा स्नान के दिन गंगा के किनारों पर स्थित तीर्थों पर माता गंगा की पूजा अर्जना की जाती है.
श्री दुर्गाष्टमी 2011, 09 जून
Sri Durgashtami 2011, 09 Jun
श्री दुर्गाष्टमी 9 जून, 2011 के दिन मनाई जायेगी. इस दिन श्री दुर्गा के शक्ति रुप की पूजा करके खीर सहित विविध पकवानों का भोग लगाने की परम्परा है. दुर्गाष्टमी का यह पर्व पूर्ण श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जाता है. कंजकाओं का पूजन और कंजकाओं को हलवा पूरी का भोग लगा कर दक्षिणा सहित उन्हें वस्तुएं दान करना शुभ रहता है.
श्री गंगा दशहरा पर्व 2011, 11 जून
Sri Ganga Dusshra Festival 2011, 11 jun
श्री गंगा दशहरा के दिन, गंगा के श्रद्धालुओं व स्नान करने वालों की भीड लगी रहती है. प्रात: काल में श्री गंगा का पूजन पुष्प, अक्षत, चन्दन, गुड, धूप-दीप, नारियल आदि फलों सहित करना चाहिए. इस दिन पूजन पूर्वक स्नान-दान स्रोत्र पाठ करने से कायिक व मानसिक आदि सब प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. यूं तो गंगां स्नान करना सदैव से ही शुभ रहा है. गंगा घाटों पर सुबह से श्रद्धालुओं की भारी भीड लगने लग जाती है.
निर्जला एकादशी व्रत 2011, 12 जून
Nirjala Ekadashi 2011, 12 Jun
प्रत्येक पक्ष की एकदशी तिथि को एकादशी व्रत रखा जाता है. 12, 2011 के दिन निर्जला एकादशी का व्रत रहेगा. अपने नाम के अनुसार यह व्रत जल ग्रहण किये बिना ही किया जाता है.

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