“दर्द की शाम ढल नहीं सकती,
‘मेरी ‘किस्मत’ बदल नहीं सकती.’

‘वो जो कहते थे ‘बेवफा’ मुझको,
‘उनकी ‘आदत’ बदल नहीं सकती.’

‘जिनके हिस्से में ‘डूबना’ है लिखा,
‘कश्तियाँ’ उनकी ‘संभल’ नहीं सकती.’

‘मैंने देखा है ‘मोहब्बत’ का चेहरा ऐसा,
‘की फिर से ‘तबियत’ मचल नहीं सकती.’

‘अब तो ‘मुश्किल’ है ‘ठहरना’ ‘यारों,
‘ये ‘मौत’ मेरी अब टल नहीं सकती.’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here