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हिन्दू धर्मशास्त्रों के मतानुसार चौरासी लाख योनियों को भोगने के पश्चात बमुश्किल मानव देह प्राप्त होती है। ईश्वर ने संयोग से हमें जो अमूल्य मानव देह प्रदान की है, यदि उसका पारमार्थिक कार्यों (सद्कार्यों) में सही-सही उपयोग कर लिया जाए तो ऐसा कहते हैं कि लोक के साथ परलोक भी सुधर जाता है।
एक तरफ हमारे जंगल दिन-पर-दिन उजाड़ होते जा रहे हैं और शहरों से लेकर नगरों तक सीमेंट-कांक्रीट के जंगल सुरसा के मुँह की मानिंद फैलते ही जा रहे हैं। ऐसे समय में कोई भी व्यक्ति अगर पौधा रोपित (पौधारोपण) करे तो उसे पुण्य की प्राप्ति तो होगी ही। साथ ही बिगड़ते पर्यावरण में भी आशातीत सुधार होगा।
* तमिल रामायण में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने संपूर्ण जीवनकाल में .. आम के पेड़ (पौधे) लगा देता है तो उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
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* पीपल के पेड़ (पौधे) को रोपित कर व्यक्ति यदि शनिवार के दिन प्रातःकाल जल चढ़ाकर चिरौंजी के दाने (एक मुट्ठी) पीपल की जड़ में डालकर धूप-दीप लगातार . माह तक करे तो उसके सारे कष्टों का निवारण होता है।
* अशोक के पौधे को रोपित कर उसे प्रतिदिन एक ताँबे के लोटे से जल चढ़ाने से असीम मानसिक शांति का अनुभव होता है। वनवास के समय सीता माता पंचवटी में नियमित रूप से अशोक के पौधे को जल चढ़ाती थीं तथा उससे बातें किया करती थीं।
* आँवले के पौधे को रोपकर व उसे बड़ा कर दूध मिश्रित जल प्रतिदिन चढ़ाने से आने वाली विपदाओं/बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
* इसी तरह बिल्वपत्र के वृक्ष को अमावस के दिन प्रातः जल चढ़ाकर धूप-दीपकर उसकी जड़ों में 50 ग्राम के लगभग शुद्ध गुड़ का चूरा रखने से अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है।
* सफेद आँकड़े के पौधे को प्रति बुधवार प्रातःकाल ‘ॐ गं गणपत्ये नमः’ मंत्र का 11 बार उच्चारण/जाप (अंतर्मन से) करके यदि जल चढ़ाया जाए तो गणपति गजानंद अति प्रसन्न होकर व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। ऐसा हमारे शास्त्रों में कहा गया है।
उपरोक्त कार्य कोई भी स्त्री-पुरुष व किशोरवय के बालक-बालिकाएँ प्रातः स्नान कर कर सकते हैं।