आपके इस अहसास को महसूस करके ही आपका साथी तृप्त हो जाता है। ऐसी भावना के बाद वह सचमुच कितनी खुशियां स्थूल रूप में जुटा पाता है यह उतना मायने नहीं रखता है। ऐसी सच्ची व व्यापक भावना को महसूस कर साथी की छोटी-सी कोशिश भी प्यार का वही नशा पैदा करती है जो हजारों ख्वाहिशें पूरी करके होती।
कई प्यार करने वाले जोड़ों को यही दुख रहता है कि फलां जोड़ा कम साधन के बावजूद ज्यादा खुश रहता है। उन्हें लगता है कि वे जिंदगी का खूब मजा उठाते हैं। वे बिना बात प्यार में इतने डूबे रहते हैं कि मदहोशी के मारे उनके पांव जमीन पर नहीं पड़ते हैं। अगर आपकी नीयत में सच्चाई है और साथी को उस प्यार भरी भावना की कद्र व भरोसा है तो वह निश्चित ही अपने साथी के प्रति मंत्रमुग्ध रहेगा। पर कई जोड़े अपने साथी को नीरस मानते हैं। बहुत से प्यार करने वालों की यह शिकायत रहती है कि जैसा जोश व अहसास शुरुआती दौर में था वह अब नहीं है।
दरअसल, जीवन की जद्दोजहद में इतना धैर्य नहीं रह जाता है कि एक-दूसरे से बैठकर दिल की बातें कर सकें। दो घड़ी चैन का निकालकर एक दूसरे का हाल-चाल लेना रिश्ते के हर मोड़ पर जरूरी होता है। सच तो यह है कि समय जितना बीतता है उतनी ही संवाद बनाए रखने की जरूरत बढ़ती है वरना साथ केवल जरूरतों के इर्द-गिर्द बंधकर रह जाता है। मनुष्य की पसंद, हॉबी आदि थोड़ी बदलती रहती है इसलिए बिना एक-दूसरे में दिलचस्पी लिए इस बदलाव को नहीं जाना जा सकता है।
इस बदलाव को जानकर, समझकर साथी को खुशी पहुंचाने की तरकीबें करके ही अपने रिश्ते में नयापन लाते रह सकते हैं। प्यार के जिस पौधे को आपने लगाया है उसकी जड़ों को जमाने के थपेड़े उखाड़ने में लगे रहते हैं इसलिए उसमें खाद, पानी के अलावा उसकी सुरक्षा भी बहुत अहम हो जाती है। सुरक्षा के लिए एक दूजे के बेहद करीब महसूस करना जरूरी है। मन की दूरी रिश्ते को खोखला करती जाती है।
सारी व्यस्तताओं से दूर एक-दूसरे के साथ केवल हंसी-मजाक और गपशप के पल चुराने का मौका बीच-बीच में निकालते रहना चाहिए। थोड़ा अपरिपक्व व्यवहार एक-दूसरे के संग करते रहना चाहिए। बचकानेपन से आपसी रिश्ते में अपनेपन की मिठास आती है जो व्यावहारिक दुनिया से अलग थोड़ी राहत पहुंचाती है। साथ होने के बावजूद भी एक-दूसरे के साथ डेटिंग करनी चाहिए। ढेर सारी इधर-उधर की बातें करना, एक दूसरे के लिए बीच-बीच में प्यार भरे पत्र लिखना और कार्ड खरीदना प्यार को नई ताजगी देता है। निरंतर कोशिशें न की जाएं तो प्रेम विवाह को भी आम शादियों वाले ढर्रे पर आने में कोई वक्त नहीं लगता है। उसके बाद आए दिन यही जुमला दोनों दोहराते मिल जाते हैं, ‘तुमसे बेहतर मुझे मिल रहा था, कहां फंस गए, मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई।’
जब एक बार इस प्रकार के उलाहने और शिकवे-शिकायत का दौर चलना शुरू होता है तो वह प्यार की सारी मिठास को कड़वाहट में बदल देता है। जो अधिक संवेदनशील होता है वह अपने दिल से इसे लगा लेता है, फिर चाहे जितनी भी कोशिश करो वैसी चाहत नहीं जागती जो रिश्ते के शुरुआती दौर में थी। इसलिए एक-दूजे को कोसने से बचना चाहिए।
यदि मुंह से बुरे शब्द नहीं निकाले गए हैं तो समय रहते उदासीनता दूर कर रिश्ते में नया जोश भरा जा सकता है पर एक-दूसरे को भला-बुरा कहकर रिश्ते को पटरी पर लाने में समय लग सकता है। कोई गलती होने पर माफी मांग लेना बहुत अच्छा रहता है। इसके बाद नई शुरुआत के लिए स्थिति आसान हो जाती है। ऐसे अनेक जोड़े हैं जिन्हें लगता है अब प्यार के नाम पर कुछ भी उत्साह नहीं बचा है उन्हें इन नुस्खों से थोड़ी राहत मिल सकती है।