चन्द्रग्रहण—– .5 जून,  ..11, बुधवार


चन्द्र ग्रहण पूर्णिमा तिथि को होता है। सूर्य व चन्द्रमा के बीच पृथ्वी के आ जाने से पृथ्वी की छाया से चन्द्रमा का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है तो पृथ्वी के उस हिस्से में चन्द्र ग्रहण नजर आता है। चन्द्र ग्रहण दो प्रकार का नजर आता है। पूरा चन्द्रमा ढक जाने पर सर्वग्रास चन्द्रग्रहण तथा आंशिक रूप से ढक जाने पर खण्डग्रास चन्द्रग्रहण लगता है।


पृथ्वी की छाया सूर्य से 6 राशि के अन्तर पर भ्रमण करती है तथा पूर्णमासी को चन्द्रमा की छाया सूर्य से 6 राशि के अन्तर होते हुए जिस पूर्णमासी को सूर्य एवं चन्द्रमा दोनों के अंश, कला एवं विकला पृथ्वी के समान होते हैं अर्थात एक सीध में होते हैं, उसी पूर्णमासी को चन्द्र ग्रहण लगता है। 
चन्द्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी का आना ही चन्द्र ग्रहण कहलाता है। चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य व चन्द्रमा के बीच पृथ्वी इस तरह से आ जाता है कि पृथ्वी की छाया से चन्द्रमा का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है और पृथ्वी सूर्य की किरणों के चांद तक पहुंचने में अवरोध लगा देती है। तो पृथ्वी के उस हिस्से में चन्द्र ग्रहण नज़र आता है। चन्द्र ग्रहण दो प्रकार का नज़र आता है।


01.—पूरा चन्द्रमा ढक जाने पर सर्वग्रास चन्द्रग्रहण ।
02.–आंशिक रूप से ढक जाने पर खण्डग्रास (उपच्छाया) चन्द्रग्रहण लगता है। ऐसा केवल पूर्णिमा के दिन संभव होता है, इसलिये चन्द्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन ही होता है।




सूर्य की तपन के साथ विभिन्न हिस्सो में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच जून के प्रथम पखवाड़े में दो ग्रहण होंगे। इसमें से 15 जून को होने वाला पूर्ण चन्द्र ग्रहण संपूर्ण भारत में दिखाई देगा जबकि एक जून को लगने वाला आशिंक सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखायी देगा। प्राचीन समय से कालगणना की नगरी उज्जैन में स्थित शासकीय जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक ने आज बताया कि 15 जून का पूर्ण चन्द्र ग्रहण पूरे देश में दिखाई देगा।
यह ग्रहण रात्रि 11 बजकर 52 मिनट छह सेकेंड पर प्रारंभ होगा इसका मध्यकाल एक बजकर 42 मिनट छह सेकंड पर और मोक्ष रात्रि तीन बजकर .2 मिनट छह सेकेंड पर होगा।  एक जुलाई को दोपहर में होने वाला आंशिक सूर्य ग्रहण भारत के किसी भी हिस्से में नही दिखाई देगा। वर्ष 2011 में होने वालें छह ग्रहणों की श्रृंखला में सबसे पहले गत चार जनवरी को आंशिक सूर्य ग्रहण का नजारा भारत के उत्तर पश्चिम हिस्से जम्मू कश्मीर, पंजाब, दिल्ली जयपुर और शिमला में देखने को मिला था। अब एक जून को आंशिक सूर्य ग्रहण और 15 जून को पूर्ण चन्द्र ग्रहण तथा एक जुलाई को आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। इसके अलावा 25 नवंबर को आंशिक सूर्य ग्रहण और 10 दिसंबर को पूर्ण चन्द्र ग्रहण होगा।भारत के दक्षिण पूर्वी राज्यों केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, आसाम, चीन और पूर्वी एशिया तथा पश्चिम ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा। इस ग्रहण का असर जनसाधारण में अशांति, आतंकवाद और बेरोजगारी तथा मंहगाई जैसे रोजमर्रा की समस्याओं से जूझने में ज्यादा असरदार साबित होगा। अधिकांश लोगों के लिए साल का मध्य भाग हाहाकार और त्राहि से भरा होगा। 


विक्रमी संवत 2068 में पृ्थ्वी पर कुल पांच ग्रहण घटित होगें. इन्हीं पांचों ग्रहणों में से एक ग्रहण चन्द्रग्रहण है. यह चन्द्रग्रहण 15 जून,  2011, बुधवार के दिन होगा. यह ग्रहण ज्येष्ठ पूर्णिमा को 15 तथा 16 जून, सन 2011 ईं की मध्यगत रात्रि को सम्पूर्ण भारत में खग्रास रुप में दिखाई देगा. इस ग्रहण का स्पर्श-मोक्ष इस प्रकार रहेगा—


15 जून को खग्रास चंद्रग्रहण—-
दिन-बुधवार—–
ज्येष्ठा नक्षत्र, वृश्चिक व धनु राशि में—–
ग्रहण स्पर्श-रात 11.52 बजे—-
मध्य-1.30 बजे—-
मोक्ष (समाप्त) 2.33 बजे—-
सूतक प्रारंभ- दोपहर 3.52 बजे —–


ग्रहण की कुल अवधि 3 घण्टे 40 मिनट की है. भारत में जब 15 जून 2011 की रात्रि 11 बजकर 53 मिनट पर यह चन्द्रग्रहण शुरु होगा. उस समय सम्पूर्ण भारत में चन्द्र उदय हो चुका होगा. भारत के सभी नगरों, में 15 जून को सायं 5:00 से सायं 7:30 बजे तक चन्द्र उदय हो जायेगा. तथा यह खग्रास चन्द्रग्रहण 15 जून की रात्रि 23 घण्टे 53 से प्रारम्भ होकर अगले दिन 16 जून की प्रात: 3 बजकर 33 मिनट पर समाप्त होगा. 


चन्द्रग्रहण कहां कहां देखा जा सकेगा —- भारत, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप व अटलांटिक महासागर।


चन्द्रग्रहण सूतक विचार ——
इस ग्रहण का सूतक 15 जून 2011 को दोपहर 2 बजकर 53 मिनट प्रारम्भ हो जायेगा.  


ग्रहण काल तथा बाद में करने योग्य कार्य ——
ग्रहण के सूतक और ग्रहण काल में स्नान, दान, जप, पाठ, मन्त्र, सिद्धि, तीर्थ स्नान, ध्यान, हवनादि शुभ कार्यो का करना कल्याणकारी रहता है. धार्मिक लोगों को ग्रहण काल अथवा 15 जून के सूर्यास्त के बाद दान योग्य वस्तुओं का संग्रह करके संकल्प कर लेना चाहिए. तथा अगले दिन 16 जून को प्रात: सूर्योदय के समय पुन: स्नान करके संकल्पपूर्वक योग्य ब्राह्माण को दान देना चाहिए. धर्म सिन्धु के अनुसार, ग्रहण मोक्ष उपरान्त पूजा पाठ, हवन- तर्पण, स्नान, छाया-दान, स्वर्ण-दान, तुला-दान, गाय-दान, मन्त्र- अनुष्ठान आदि श्रेयस्कर होते हैं। ग्रहण मोक्ष होने पर सोलह प्रकार के दान, जैसे कि अन्न, जल, वस्त्र, फल आदि जो संभव हो सके, करना चाहिए।
सूतक व ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श करना, अनावश्यक खाना-पीना, मैथुन, निद्रा, तैल, श्रंगार आदि करना वर्जित होता है.  झूठ-कपटादि, वृ्था- अलाप आदि से परहेज करना चाहिए. वृ्द्ध, रोगी, बालक व गर्भवती स्त्रियों को यथानुकुल भोजन या दवाई आदि लेने में दोष नहीं लगता है. 


कुप्रभाव से ऐसे बचें —–


ग्रहण का सूतक तीन प्रहर यानी नौ घंटे पहले से शुरू होगा। सूतक और ग्रहण काल में भगवान की पूजा व मूर्ति स्पर्श नहीं करना चाहिए। ग्रहण के कुप्रभाव से बचने के लिए भगवान के नाम का स्मरण करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान व चंद्रमा से संबंधित सफेद वस्तुएं व अन्न दान करें। 


ग्रहण का बाजार पर प्रभाव——
यह चन्द्रग्रहण ज्येष्ठ मास में घटित होने के कारण ब्राह्माण, राजा, राजस्त्री, महागण, मदिरा सेवन करने वालों को पीडा- कष्ट लेकर आयेगा. इसके फलस्वरुप धान्य तेज हो सकते है.  ग्रहण बुधवाद के दिन होने से चावल की फसल को हानि, सोना, पीतल धातुओं में तेजी हो सकती है. 
एक जून से एक जुलाई तक तीन ग्रहण पड़ेंगे। इसमें दो सूर्यग्रहण और एक चंद्रग्रहण होगा। दोनों सूर्यग्रहण तो भारत में दिखाई नहीं देंगे लेकिन 15 जून को पड़ने वाला खंडग्रास चंद्रग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। ज्योतिषियों के अनुसार ग्रहण चाहे कहीं भी पड़े लेकिन एकसाथ तीन ग्रहण का होना अशुभ है। ज्योतिषियों के अनुसार ग्रहण जहां दिखाई देता है वहीं उसका प्रभाव होता है और सूतक माना जाता है। इसलिए भारत में पड़ने वाले खग्रास चंद्रग्रहण का सूतक ही यहां माना जाएगा। इसका राशियों पर प्रभाव पड़ेगा। ग्रहण के योग से दुनिया के कई हिस्सों में प्राकृतिक प्रकोप सहित बड़ी घटनाएं घट सकती है। 


ग्रहणमाला योग:लगातार तीन ग्रहण होना ग्रहणमाला योग कहलाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहण की छाया कहीं भी पड़े लेकिन भूमंडल का चुंबकीय क्षेत्र पूर्ण रूप से असंतुलित होता है। ग्रहण के समय भूमंडल का वातावरण सामान्य नहीं होता, सूर्य चंद्र से निरंतर प्राप्त होने वाली जीवनदायिनी ऊर्जा असंतुलित हो जाती है।
ग्रहणमाला योग के कारण कुछ अद्भूत स्थितियां बनेंगी। मौसम पर भी असर पड़ेगा। महंगाई का ग्राफ और ऊपर जा सकता है। पं. विष्णु राजौरिया के अनुसार कहीं ज्वालामुखी, कहीं तेज आंधी, बवंडर, भूकंप और गंभीर बाढ़ की स्थिति बन सकती है। 


राशियों पर कैसा प्रभाव —–


मेष, मिथुन, सिंह व वृश्चिक राशि के लिए मध्यम 
वृष, कन्या व धनु व मकर राशि के लिए अशुभ 
कर्क, तुला, कुंभ व मीन राशि वालों के लिए शुभ। 


दूसरा चंद्र ग्रहण – इसी तरह साल के अंत में 10 दिसंबर को भी खग्रास चंद्र ग्रहण होगा। यह मृगशिरा नक्षत्र व वृष राशि में होगा। ग्रहण शाम 6 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगा और रात 9 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगा। मृगशिरा नक्षत्र व वृष राशि वालों के लिए ग्रहण अनिष्टकारी रहेगा।


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आइये जाने विभिन्न राशियों पर इस चन्द्र ग्रहण का प्रभाव—
मेष राशि —-
इस राशि के व्यक्तियों को यह ग्रहण गुप्त चिन्ताएं दे सकता है. इसके फलस्वरुप मेष राशि के व्यक्तियों के खर्च बढ सकते है.  
वृ्षभ राशि—–
आपके लिए यह चन्द्रग्रहण शुभफलकारी रहेगा. इस ग्रहण के प्रभाव से आपको लाभ, सुख व धर्म कार्यो में आपकी रुचि में वृ्द्धि होगी.  
मिथुन राशि—–
इस राशि के व्यक्तियों के लिए वैवाहिक जीवन की परेशानियों में वृ्द्धि होगी. साथ ही सावधानी से रहें, धन की हानि हो सकती है.  
कर्क राशि———–
कर्क राशि के व्यक्तियों के रोग, कष्ट बढ सकते है, व्यर्थ के भय और व्यय बढने के भी योग बन रहे है. 
सिंह राशि——-
सिंह राशि के लिए चन्द्रग्रहण अनुकुल फल देने वाला नहीं रहेगा. इस अवधि में इस राशि के व्यक्तियों की मानहानि की संभावनाएं बन रही है. तथा अनचाहे विषयों पर खर्च हो सकते है.  
कन्या राशि —–
कन्या राशि के लिए यह समय कार्यसिद्धि के अनुकुल रहेगा. इसके प्रभाव से ग्रहण के बाद सभी मंगल कार्य पूरे होगें. 
तुला राशि ——-
तुला राशि वालों को चन्द्र ग्रहण का प्रभाव शुभ रुप में प्राप्त होगा. तुला राशि के लिए धन लाभ, परन्तु व्यय भी बढेगें. 
वृ्श्चिक राशि —–
वृ्श्चिक राशि के व्यक्तियों को वाहनों का प्रयोग करते हुए,सावधान रहना हितकारी रहेगा. इस ग्रहण के प्रभाव से दुर्घटना और शारीरिक कष्ट के योग बने हुए है. 
धनु राशि —–
धन राशि के व्यक्ति भी सम्भावित दुर्घटनाओं से सतर्क रहें, यात्राएं करते हुए सावधानी रखें.
मकर राशि ——-
मकर राशि के लिए इस चन्द्रग्रहण का प्रभाव धन हानि लेकर आ सकता है. साथ ही चोट आदि का भय बना हुआ है.  
कुम्भ राशि ——
कुम्भ राशि के लिए चन्द्र ग्रहण के फल शुभ रहेगें. इसके फलस्वरुप धन लाभ, खुशियां प्राप्त हो सकती है. 
मीन राशि——–
यह चन्द्रग्रहण मीन राशि के रोग, कष्ट, खर्चों में वृ्द्धि करेगा.  

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