ॐ नमः शिवाय
आज ह्रदय से प्रभु तुम्हारा
अनुपम ध्यान मैं करती हूँ ;
कलम बनेगी कमंडल मेरा
कविता से पूजा करती हूँ .
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प्रभु आपके अनुपम रूप को
शब्दों में कैसे लिख दूँ ;
यही सोचकर ह्रदय में मेरे
असमंजस -सी रहती है .
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कोई तुमको भोला कहता
कोई कहता भूतनाथ ;
मैं नाम तुम्हारा क्या रख दूँ ?
तुम ही बतलाओ जगतनाथ .
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त्रिनेत्र हैं पास तुम्हारे जब
मुझको क्यों जीवन -चिंता हो !
संकट मुझपर जब भी आये
तब तुम ही सहायता करते हो .
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नीले रंग का यह गात प्रभु
आकाश सद्रश ही लगता है ;
हो गगन तुम्ही या तुम्ही गगन
कौतुहल हर पल रहता .
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मस्तक पर अर्ध -चन्द्र शीतल
माँ गौरी बाएं विराज रही ;
नंदी अतिप्रिय तुम्हारे हैं
गंगा जटा में है साज रही .
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एक बार प्रभु मुख दर्शन ही
सारी पीड़ा हर लेता है ;
सर्पों का जोड़ा ग्रीवा में
अति अद्भुत शोभा देता है .
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जय भोलेनाथ !