गणपति वंदना—
हे लम्बोदर,हे गजानन,
हे गणपति,हे गणेश!
कष्ट,भव का करो शमन,
दूर करो दुख,पीड़ा,क्लेश।
प्रथम पुज्य,रीद्धि सीद्धि के दाता,
विघ्नहारी तुम भाग्य विधाता,
सृजित करो प्रपंच विमुख युक्ति,
सृष्टि में कण कण हो सुख।
तम भावों का करो समूल शमन,
प्रकाशित हो सत्य से सारे देश।
हे लम्बोदर,हे गजानन,
हे गणपति,हे गणेश!
भर दो जहा खुशहाली से,
व्यभिचारों का करो सम्पूर्ण हनन,
इक श्रेष्ठ ज्ञान देकर सभी को,
अज्ञानता का करो मर्दन।
प्राणपूरित हर प्राणी करे तुमको नमन,
बदल दो सारी दुनिया का भेष।
हे लम्बोदर,हे गजानन,
हे गणपति,हे गणेश!
कला,संगीत से भरपूर रहूँ मै,
दे दो प्रभु मुझे ऐसा आशीष,
गाता रहूँ तेरी मधु वंदना,
मै बन जाऊँ जगत में अतिविशिष्ट।
बहारों से खिल जाए मेरा चमन,
मिल जाए जहाँ में हर सुख,सुविधा,ऐश।
हे लम्बोदर,हे गजानन,
हे गणपति,हे गणेश!