शत्रु बाधा हो या तंत्र मंत्र बाधा,भय हो या अकाल मृत्यु का डर।इस मंत्र के जप करने से शांति हो जाती है।शत्रु निस्तेज होकर भाग जाते है,भूत पिशाच भाग जाते है तथा असाध्य रोग भी ठीक होने लगता है।ये श्रीविष्णु अवतार तथा भक्त वत्सल है।एक लोक प्रसिद्ध कथा है,कि जब आद्य शंकराचार्य कामाख्या गये थे,तो वहाँ का एक प्रसिद्ध तांत्रिक ने उनपर भीषण तंत्र प्रयोग कर दिया,जिसके कारण शंकराचार्य को भगन्दर रोग हो गया।आद्य चाहते तो प्रयोग निष्फल कर सकते थे,परन्तु उन्होनें वेदना सहन किया।परन्तु शंकराचार्य के एक प्रिय शिष्य ने ॐकार नृसिंह मंत्र प्रयोग कर के उस दुष्ट तांत्रिक का तंत्र प्रभाव दूर कर दिया।इसके परिणाम वह तांत्रिक मारा गया और शंकराचार्य स्वस्थ हो गये।इस मंत्र को जपने से अकाल मृत्यु से भी रक्षा होती है।इनका रुप थोड़ा उग्र है,परन्तु भक्त के सारे संकट तत्क्षण दूर कर देते है।
पहले आसन पर बैठ कर दीपक जला ले,फिर नृसिंह भगवान के चित्र को पंचोपचार पूजन कर अपने दाये हाथ में जल ले कर विनियोग मंत्र बोल कर भूमि पर छोड़ दे।तब एक पुष्प ले कर निम्न ध्यान कर,तब मंत्र का जप कर सकते है।प्रथम गुरु,गणेश पूजन कर लेना चाहिए।होली,दिवाली,नवरात्र या किसी विशेष मुहूर्त में इनकी साधना विशेष फलदायी है।अनिष्ट ग्रह या कोई भी दोष होने पर इनकी ग्यारह माला जप कर लिया जाये,तो संकट टल जाते है।
विनियोगः-“अस्य नृसिंह मंत्रस्य ब्रह्मा ॠषिः अनुष्टुप् छन्दः सुरासुर नमस्कृत नृसिंह देवता सर्वेष्ट सिद्धये जपे विनियोगः।”
ध्यानः-“माणिक्याद्रि समप्रभं निजरुचा संत्रस्त रक्षो गणम्।
जानुन्यस्त करां बुजं त्रिनयनं रत्नोल्लसद् भूषणम्॥
बाहुभ्यां घृतशंख चक्र मनिशं दंष्ट्राग्र वक्रोल्लसत्।
ज्वाला जिह्वमुदग्र केश निचयं वंदे नृसिंहं विभुम॥”
मंत्रः-“ॐ उग्रवीरं महा विष्णुं ज्वलंतं सर्वतो मुखम्।नृसिंह भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्।”
नोटः-शुद्ध उच्चारण के साथ किसी साधक के मार्गदर्शन में इन मंत्रों का प्रयोग करना ही लाभकर होगा।यदि किसी भी प्रकार की दिक्कते हो,तो मुझसे सम्पर्क कर सकते है।