भारती भारती भारती— कवि कुलवंत सिंह
भारती भारती भारती,
आज है तुमको पुकारती .
देश के युग तरुण कहाँ हो ?
नव सृष्टि के सृजक कहाँ हो ?
विजय पथ के धनी कहाँ हो ?
रथ प्रगति का सजा सारथी .
भारती भारती भारती,
आज है तुमको पुकारती .
शौर्य सूर्य सा शाश्वत रहे,
धार प्रीत बन गंगा बहे,
जन्म ले जो तुझे माँ कहे,
देव – भू पुण्य है भारती .
भारती भारती भारती,
आज है तुमको पुकारती .
राष्ट्र ध्वज सदा ऊँचा रहे,
चरणों में शीश झुका रहे,
दुश्मन यहाँ न पल भर रहे,
मिल के सब गायें आरती .
भारती भारती भारती,
आज है तुमको पुकारती .
आस्था भक्ति वीरता रहे,
प्रेम, त्याग, मान, दया रहे,
मन में बस मानवता रहे,
माँ अपने पुत्र निहरती .
भारती भारती भारती,
आज है तुमको पुकारती .
द्रोह का कोई न स्वर रहे,
हिंसा से अब न रक्त बहे,
प्रहरी बन हम तत्पर रहें,
सैनिकों को माँ निहारती .
भारती भारती भारती,
आज है तुमको पुकारती .