आइये जाने अंक/नम्बर “5″ की महिमा !—-
पंच तत्व: धरती, आकाश, जल, अग्नि और वायु…5 एक prime नंबर है; 5 वक्त नमाज़ पढ़ी जाती है, Jesus Christ के 5 घावों का ज़िक्र है.. पंचमुखी शिव: अघोड़, ईशान, तत्पुरुष, वामदेव(वर्ण देव), रुद्र !!
सिख धर्म में पाँच चिन्ह – केश कड़ा कंघा कच्छा और कृपाण..पंज प्यारे (सिख धर्म से संबंधित है)..पंचरंगा अचार !!..पांच परमेष्ठी होते है: अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधू..पंचशील के सिद्धांत …..मन्त्र पंचाछर ….नम: शिवाय
पञ्च महाभूत.. .आकाश वायु अग्नि जल पर्थिवी
पांच ग्यानेंदियाँ ..श्रवन त्वचा नेत्र जिव्हा नासिका
पञ्च वायु …प्राण अपान व्यान उदान समान..
पांच इन्द्रियाँ हाथ पैर मुख गुदा मुतेंद्रिय ..
पांच उपप्राण ..नाग कूर्म करकल देवदत्त धनञ्जय
धनवान के पांच शत्रु ..राजा चोर उत्तराधिकारी सेवक और क्षय रोग
पांच नियम .सत्य अहिंसा अस्तेय चोरी न करना, ब्रमचर्य.
पांच ग्यानेंदियाँ ..श्रवन त्वचा नेत्र जिव्हा नासिका
पञ्च वायु …प्राण अपान व्यान उदान समान..
पांच इन्द्रियाँ हाथ पैर मुख गुदा मुतेंद्रिय ..
पांच उपप्राण ..नाग कूर्म करकल देवदत्त धनञ्जय
धनवान के पांच शत्रु ..राजा चोर उत्तराधिकारी सेवक और क्षय रोग
पांच नियम .सत्य अहिंसा अस्तेय चोरी न करना, ब्रमचर्य.
पंचामृत: दूध, दही, घी, शक्कर, शहद का मिश्रण…
पाँच महासागर (प्रशान्त महासागर, अन्ध महासागर, उत्तरध्रुवीय महासागर, हिन्द महासागर, दक्षिणध्रुवीय महासागर)…
पांच अशुभ नक्षत्र ,पांच शील ,पांच महाशब्द ,पांच द्रविड़ ,पांच जकार पांच आदरणीय राजा ऋत्विक स्नातक गुरु श्वसुर..
पञ्च मुखी रुद्राक्ष पञ्च देवो(विष्णु,शिव,गणेश,सूर्य और देवी)का स्वरुप है…. पंचतंत्र – मित्रभेद, मित्रलाभ, ककोलुकियम, लब्ध्प्रनासम, अपन्क्सितकारकम
पञ्च मकार: मॉस, मतस्य, मुद्रा, मदिरा और मैथुन तांत्रिक क्रिया के पञ्च मकार हैं….
पञ्च प्रयाग ..पञ्च स्थान कर्म ..पांच जित नीति ,पञ्च गव्य , छत्रिय के पांच कर्तव्य ..वैश्य के धन के पांच विभाजन ब्रामण के पांच करने कर्तव्य .शरीर के पांच स्थान कर्म ,पांच कालायें ,पांच वर्ग अक्छर के,मनुष्य के पांच गुरु ,कामदेव के पांच बाण….
पंच पक्षी विचार (Panch Pakshi Vichar) = पंक्षी वर्गकूट के अन्तर्गत बताया गया है कि पंक्षी पांच प्रकार के होते हैं जो क्रमश: इस प्रकार है: .. गरूड़(Garud) ..पिंगल(Pingal) ..काक(Kak) 4.कुक्कुट(Kukut) 5.मोर(Moor)। इन पॉचो पंक्षी वर्ग में नक्षत्रों को बॉटा गया है,:
1.गरूड़- अश्विनी, आर्द्रा, पू.फा., विशाखा, उ.षा.
2.पिंगल- भरणी, पुनर्वसु, उ.फा., अनुराधा, श्रवण
3.काक- कृतिका, पुष्य, हस्त, ज्येष्ठा, घनिष्ठा
4.कुक्कुट- रोहिणी, आश्लेषा, चित्रा, मूल, शतभिषा
5.मयूर- मृगशिरा, मघा, स्वाती, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, उ.भा. और रेवती
2.पिंगल- भरणी, पुनर्वसु, उ.फा., अनुराधा, श्रवण
3.काक- कृतिका, पुष्य, हस्त, ज्येष्ठा, घनिष्ठा
4.कुक्कुट- रोहिणी, आश्लेषा, चित्रा, मूल, शतभिषा
5.मयूर- मृगशिरा, मघा, स्वाती, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, उ.भा. और रेवती
पांच को लेकर कुछ भ्रांतियां :—-
जैसे लोगों का समझना की पांच पतियों की पत्नी होने से द्रोपदी का नाम पांचाली पडा जबकि वो इसलिए था क्योंकि वो पांचाल नरेश की पुत्री थी….ऐसे ही मात्र पांच शब्द से जुड़े नाम जिनका .5 संख्या से कोई लेना देना नहीं है
पंचजन्य(कृष्ण के शंख का नाम ),पंचांग ,पञ्चतंत्र,पंचनामा|…..
जैसे लोगों का समझना की पांच पतियों की पत्नी होने से द्रोपदी का नाम पांचाली पडा जबकि वो इसलिए था क्योंकि वो पांचाल नरेश की पुत्री थी….ऐसे ही मात्र पांच शब्द से जुड़े नाम जिनका .5 संख्या से कोई लेना देना नहीं है
पंचजन्य(कृष्ण के शंख का नाम ),पंचांग ,पञ्चतंत्र,पंचनामा|…..
साम, दाम, दंड, भेद, भय (कार्य करने या काम निकलवाने के पाँच रास्ते)…
संयुक्त राष्ट्र में वीटो पॉवर वाले पाँच देश: अमरीका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ़्रांस….
पांच उँगलियाँ, पांच हैं सागर अति विशाल,
पांच सितारा होटल में, पञ्च मेल की दाल,
पञ्च मेल की दाल खा गए पांडव न्यारे,
पांच चिन्ह दे गए हैं हमको पंज पियारे,
पञ्च तत्व, पंजाब और पंचामृत को जांच,
ओलम्पिक के खेल में भी हैं छल्ले पांच.
पांच सितारा होटल में, पञ्च मेल की दाल,
पञ्च मेल की दाल खा गए पांडव न्यारे,
पांच चिन्ह दे गए हैं हमको पंज पियारे,
पञ्च तत्व, पंजाब और पंचामृत को जांच,
ओलम्पिक के खेल में भी हैं छल्ले पांच.
काम क्रोध मद मोह और लोभ हैं पञ्च विकार,
साम दाम दंड भेद भय ये हैं पञ्च उपचार,
ये हैं पञ्च उपचार, पांचवा साल चुनावी,
व्यास, चिनाब, झेलम अपनी सतलुज रावी,
पञ्च प्रचारक पोस्ट की भली करें श्री राम,
तीन पांच काफी हुआ करते हैं अब काम.
ये हैं पञ्च उपचार, पांचवा साल चुनावी,
व्यास, चिनाब, झेलम अपनी सतलुज रावी,
पञ्च प्रचारक पोस्ट की भली करें श्री राम,
तीन पांच काफी हुआ करते हैं अब काम.
किसी शायर की नजर में: पतझर सावन बसंत बहार एक बरस के मौसम चार मौसम चार ; पांचवा मौसम प्यार का….