वास्तु शास्त्र में भगवान गणपति/ विनायक का महत्त्व —
जब भी हम कोई शुभ कार्य आरंभ करते हैं, तो कहा जाता है कि कार्य का श्री गणेश हो गया। इसी से भगवान श्री गणेश की महत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जीवन के हर क्षेत्र में गणपति विराजमान हैं। पूजा-पाठ, विधि-विधान, हर मांगलिक-वैदिक कार्यों को प्रारंभ करते समय सर्वप्रथम गणपति का ‘सुमरन’ करते हैं। हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश का अद्वितीय महत्व है। यह बुद्धि के अधिदेवता विघ्ननाशक है। ‘गणेश’ शब्द का अर्थ है- गणों का स्वामी। हमारे शरीर में पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ, पाँच कर्मेन्द्रियाँ तथा चार अंतःकरण हैं तथा इनके पीछे जो शक्तियाँ हैं, उन्हीं को चौदह देवता कहते हैं। देवताओं के मूल प्रेरक भगवान गणेश हैं। गणपति सब देवताओं में अग्रणी हैं। भगवान श्री गणेश के अलग-अलग नाम व अलग-अलग स्वरूप हैं, लेकिन वास्तु के हिसाब से गणपति के महत्व को रेखांकित करना आवश्यक है। वास्तु शास्त्र में गणपति की मूर्ति एक, दो, तीन, चार और पाँच सिरोंवाली पाई जाती है। इसी तरह गणपति के तीन दाँत पाए जाते हैं। सामान्यतः दो आँखें पाई जाती हैं। किन्तु तंत्र मार्ग संबंधी मूर्तियों में तीसरा नेत्र भी देखा गया है। भगवान गणेश की मूर्तियाँ दो, चार, आठ और .6 भुजाओं वाली भी पाई जाती हैं। चौदह प्रकार की महाविद्याओं के आधार पर चौदह प्रकार की गणपति प्रतिमाओं के निर्माण से वास्तु जगत में तहलका मच गया है। भगवान गणपति की प्रतिमा उस घर में स्थापित करनी चाहिए, जिस घर में कलह, विघ्न, अशांति, क्लेश, तनाव, मानसिक संताप आदि दुर्गुण होते हैं। पति-पत्नी में मन-मुटाव, बच्चों में अशांति का दोष पाया जाता है। ऐसे घर में प्रवेश द्वार पर मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। शीघ्र चमत्कार होगा।
हमेशा से ही विघ्नहर्ता गणपति भगवान सभी की कामनाओं को पूर्ण करते आए हैं। अगर आप नया मकान खरीदने जा रहे है और आपको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है तो आप निम्न उपाय आजमाएं। भगवान गणेश आपकी सारी समस्याओं को दूर करके आपको नया मकान दिलाने में जरूर सहायता करेंगे।
जैसे मंत्रों से युक्त विघ्नहर्ता भगवान गणपति की प्रतिमा उस घर में स्थापित करनी चाहिए, जिस घर में हमेशा आर्थिक परेशानी, कलह, विघ्न, अशांति, क्लेश, तनाव, मानसिक संताप आदि दुर्गुण होते हैं।
* अगर खरीदा हुआ नया घर आपके लिए ज्यादा फलदाई नहीं हैं – जैसे नए घर में प्रवेश करने पर पति-पत्नी में मन-मुटाव, बच्चों में अशांति का दोष पाया जाता है, तो ऐसे घर में प्रवेश द्वार पर श्रीगणेश की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। ऐसा करने से शीघ्र चमत्कार होगा और आपका नया घर भी आपके लिए ढ़ेरों खुशियां लेकर आएगा।
* साथ ही धनदायक गणपति की प्रतिमा के साथ श्रीपतये नमः, रत्नसिंहासनाय नमः, ममिकुंडलमंडिताय नमः, महालक्ष्मी प्रियतमाय नमः, सिद्घ लक्ष्मी मनोरप्राय नमः लक्षाधीश प्रियाय नमः, कोटिधीश्वराय नमः जैसे मंत्रों का सम्पुट होता है। ऐसे मत्रों का जप करके आप दौलतमंद तो होंगे ही, साथ-साथ आपकी सारी परेशानियां भी दूर हो जाएंगी।
* साथ ही धनदायक गणपति की प्रतिमा के साथ श्रीपतये नमः, रत्नसिंहासनाय नमः, ममिकुंडलमंडिताय नमः, महालक्ष्मी प्रियतमाय नमः, सिद्घ लक्ष्मी मनोरप्राय नमः लक्षाधीश प्रियाय नमः, कोटिधीश्वराय नमः जैसे मंत्रों का सम्पुट होता है। ऐसे मत्रों का जप करके आप दौलतमंद तो होंगे ही, साथ-साथ आपकी सारी परेशानियां भी दूर हो जाएंगी।