ऐसा हो कार्यस्थल (ऑफिस) वास्तु अनुसार—-
भारतीय ज्योतिष दर्शन के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को दो कारणों से दुख मिलते हैं, गृह दोष और ग्रह दोष। गृह का मतलब है व्यक्ति का घर और ग्रह का मतलब है व्यक्ति की कुंडली के ग्रह। जन्मपत्री में दसवां घर व्यक्ति के प्रोफेशनल करियर पर रोशनी डालता है। यदि जन्मपत्री के दसवें घर में सूर्य हो, तो व्यक्ति को सिर ढकने से करियर में बहुत सहायता मिलती है। वास्तुशास्त्र की लाल किताब के अनुसार, रोजाना गाय, कौए और कुत्ते को खाना खिलाने से व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
दक्षिणमुखी कार्यस्थल:– दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर तथा पश्चिम से पूर्व की ओर फर्श ढलवां बना कर नैऋत्य(दक्षिण-पश्चिम कोण) में पूर्वाभिमुख हो, बैठने पर दायीं ओर तिजोरी/कैश बाक्स को रखना चाहिए. उसी स्थान पर उत्तराभिमुख होकर आसीन(Sitting) होने पर कैश बाक्स हमेशा बाईं ओर रखना चाहिए. दक्षिण दिशा के कार्यस्थल में कभी भी आग्नेय(South-East), वायव्य(North-West) और ईशान(North-East) दिशाओं में बैठकर व्यापार नहीं करना चाहिए अन्यथा व्यापार में उधार वगैरह दिया गया पैसा डूबने लगता है.
पश्चिम दिशामुखी कार्यस्थल:- पश्चिम से पूर्व की ओर, दक्षिण से उत्तरी दिशा में फर्श को ढलवां बनाकर नैऋत्य(South-West) में अपना आसन(siting) रख, बाईं ओर तिजोरी/ कैश बाक्स को रखना चाहिए. इस दिशा के व्यापारिक स्थल में कभी वायव्य, ईशान और आग्नेय की ओर नहीं बैठना चाहिए अन्यथा सावन में हरे और भादों में सूखे वाली स्थिति सदैव बनी रहेगी अर्थात व्यापार में एकरूपता नहीं रहेगी.
उत्तर दिशामुखी कार्यस्थल:- फर्श उत्तर से दक्षिण की ओर,पश्चिम से पूर्व की ओर ढलवां रखना चाहिए. वायव्य कोण(North-West) की उत्तरी दीवार को स्पर्श किए बिना यानि उस दीवार से थोडी दूरी रख, आसन रखना चाहिए. पूर्वाभिमुखी आसीन होने पर कैश बाक्स सदैव दाहिनी दिशा में रखें. यदि संभव हो तो नैऋत्य कोण में अपनी टेबल लगाएं, लेकिन ईशान या आग्नेय कोण में कभी भूलकर भी सिटिंग न रखें.
पूर्व दिशाभिमुख कार्यस्थल:- द्वार यदि पूर्व में हो तो पश्चिम से पूर्व की ओर तथा दक्षिण से उत्तर की ओर फर्श को ढलानदार बनाने की व्यवस्था करनी चाहिए. व्यापारी को आग्नेय(South-East) या पूर्वी दीवार की सीमा का स्पर्श किए बिना, दक्षिण आग्नेय की दीवार से सट कर, उत्तर दिशा की ओर ही मुख करके अपनी सिटिंग रखनी चाहिए और कैश बाक्स हमेशा दायीं तरफ रखें. उसी स्थल पर सिटिंग पूर्वाभिमुख होकर भी की जा सकती हैं किन्तु ईशान अथवा वायव्य दिशा की ओर नहीं होनी चाहिए.
—— कार्यस्थल का ब्रह्म स्थान (केन्द्र स्थान) हमेशा खाली रखना चाहिए. ब्रह्म स्थान में कोई खंबा, स्तंभ, कील आदि नहीं लगाना चाहिए.
—–कार्यस्थल पर यदि प्रतीक्षा स्थल बनाना हो, तो सदैव वायव्य कोणे में ही बनाना चाहिए.
—–अपनी पीठ के पीछे कोई खुली खिडकी अथवा दरवाजा नहीं होना चाहिए.
—–विद्युत का सामान, मोटर, स्विच, जैनरेटर, ट्रासंफार्मर, धुंए की चिमनी इत्यादि को अग्नि कोण अथवा दक्षिण दिशा में रखना चाहिए.
—– कम्पयूटर हमेशा अग्नि कोण अथवा पूर्व दिशा में रखें.
—- बिक्री का सामान या जो सामान बिक नहीं रहा हो तो उसे वायव्य कोण अर्थात उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें तो शीघ्र बिकेगा.
—– सजावट इत्यादि हेतु कभी भी कांटेदार पौधे, जैसे कैक्टस इत्यादि नहीं लगाने चाहिए.
—- यदि किसी को चलते हुए व्यवसाय में अचानक से अनावश्यक विघ्न बाधाएं, हानि, परेशानी का सामना करना पड रहा हो तो उसके लिए कार्यस्थल के मुख्य द्वार की अन्दर की ओर अशोक वृ्क्ष के 9 पत्ते कच्चे सूत में बाँधकर बंदनवार के जैसे बाँध दें. पत्ते सूखने पर उसे बदलते रहें तो नुक्सान थम जाएगा और व्यवसाय पूर्ववत चलने लगेगा.
—- मेज पर ग्रीन या सफेद, अन्य किसी लाइट रंग का टेबल क्लाथ बिछाएं। लाल, काले जैसे रंगों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
—– उस दीवार पर किसी ऊंचे पहाड़ वाले दृश्य का फोटो लगाएं।
—– ऑफिस के डेस्क को ऐसा रखें की वह सीधे दरवाजे के सामने ना रहे।
—-– ऑफिस टेबल पर उत्तर में चाय या कॉफी का कप रखें।
—-– टेबल के पूर्वो-उतर साइड में क्रिस्टल में पेपरवेट रखें।
—-– कम्पयुटर को नार्थ-वेस्ट में सेट करें
—-– टेबल पर फेंगशुई का क्रिस्टल ग्लोब जरुर रखें और उसे दिन में तीन बार घुमाए । इससे आपको काम करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी।
अगर आपका काम रचनात्मक है, यानी आप लेखन, पत्रकारिता और फिल्म आदि से जुड़े हैं, तो आपके केबिन की दिशा मुख्य दरवाजे के दूसरी ओर यानी विपरीत होनी चाहिए। अगर ऑफिस घर में ही बना हो तो यह बेड रूम के पास नहीं होना चाहिए। अगर आप राजनीति या कॉरपोरेट जगत से जुड़े हैं, तो आपके केबिन की दिशा मेन गेट की ओर हो।
बैठने का इंतजाम—जब आप मीटिंग रूम में हों तो नुकीली मेज काम में न लाएं। कभी भी मीटिंग में दरवाजे के करीब और उसकी तरफ पीठ करके न बैठें।
मेज का आकार—-करियर में तरक्की के लिए अंडाकार, गोल और यू के आकार की मेज को सही नहीं माना जाता है। इसे चौकोर होना चाहिए। ऑफिस के काम के लिए लकड़ी की मेज को अच्छा मानते हैं। मेज को केबिन के दाहिने किनारे से दूर रखना चाहिए।
फूलों का प्रभाव—-मेज के पूर्व में ताजे फूल रखें। इनमें से कुछ कलियां निकल रही हों तो यह नए जीवन का प्रतीक माना जाता है। फूलों को झड़ने से पहले ही बदल देना शुभ होता है।
विभिन्न कार्यालयों हेतु शुभ रंग – —
. किसी डाक्टर के क्लिनिक में स्वयं का चैम्बर सफेद या हल्के हरे रंग का होना चाहिए ।
. किसी वकील का सलाह कक्ष काला, सफेद अथवा नीले रंग का होना चाहिए ।
. किसी चार्टर्ड एकाउन्टेंट का चैम्बर सफेद एवं हल्के पीले रंग का हो सकता हैं ।
4 किसी ऐजन्ट का कार्यालय गहरे हरे रंग का हो सकता हैं ।
जीवन को समृद्धशाली बनाने के लिए व्यवसाय की सफलता महत्वपूर्ण हैं इसके लिए कार्यालय को वास्तु सम्मत बनाने के साथ साथ विभिन्न रंगों का उपयोग लाभदायक सिद्ध हो सकता हैं ।