* मासर मणि- यह अकीक पत्थर के समान होता है।
* माक्षिक- यह सोना मक्खी के रंग का पत्थर है।
* माणिक्य- यह गुलाबी तथा सुर्ख लाल रंग का होता है तथा काले रंग का भी पाया जाता है। गुलाबी रंग का माणिक्य श्रेष्ठ माना गया है।
* मूवेनजफ- यह सफेद रंग का काली धारी से युक्त पत्थर होता है। यह फर्श बनाने के काम आता है।
* मूँगा- यह लाल, सिंदूर वर्ण तथा गुलाबी रंग का होता है। यह सफेद व कृष्ण वर्ण में भी प्राप्य है। इसका प्राप्ति स्थान समुद्र है। इसका दूसरा नाम प्रवाल भी है।
* मोती- यह सफेद, काला, पीला, लाल तथा आसमानी व अनेक रंगों में पाया जाता है। यह समुद्र से सीपों से प्राप्त किया जाता है।
* रक्तमणि- —यह पत्थर लाल, जामुनी रंग का सुर्ख में कत्थे तथा गोमेद के रंग का पाया जाता है, इसे ‘तामड़ा’ भी कहा जाता है।
* रक्ताश्म- यह पत्थर गुम, कठोर, मलिन, पीला तथा नीले रंग लिए, हरे रंग का तथा ऊपर लाल रंग का छींटा भी होता है।
* रातरतुआ- यह स्वच्छ लाल तथा गेरुआ रंग का होता है। यह रात्रि ज्वर को दूर करता है।
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यह सफेद, नीला, पीला, गुलाबी, काला, लाल आदि अनेक रंगों में होता है। सफेद हीरा सर्वोत्तम है तथा हीरा सभी प्रकार के रत्नों में श्रेष्ठ है। |
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* लहसुनिया- यह बिल्ली के आँख के समान चमकदार होता है। इसमें पीले, काले तथा सफेद रंग की झाईं भी होती है। इसका दूसरा नाम वैदूर्य है।
* लालड़ी- यह रत्न रक्त रंग का, पारदर्शक कांतिपूर्ण, लाल रंग तथा कृष्णाभायुक्त होता है, इसे सूर्यमणि भी कहते हैं।
* लास- यह मकराने की जाति का पत्थर है।
* लूधिया- यह गुम तथा हरे रंग का होता है। इसका उपयोग खरल बनाने में किया जाता है।
* शेष मणि- यह काले डोरे से युक्त सफेद रंग का होता है। सफेद रंग के डोरे से युक्त काले रंग के पत्थर को सुलेमानी कहा जाता है।
* शैलमणि- यह पत्थर मृदु, स्वच्छ, सफेद तथा पारदर्शक होता है, इसे स्फटिक तथा बिल्लौर भी कहते हैं।
* शोभामणि- यह पत्थर स्वच्छ पारदर्शक तथा अनेक रंगों में पाया जाता है। इसे वैक्रान्त भी कहते हैं।
* संगिया- यह चाक से मिलता-जुलता मुलायम पत्थर होता है। |