…2 में कब और केसे करें दिपावली पूजन ???आइये जाने शुभ मुहूर्त???


दीपावली —
हिन्दुओ के लिए दीपावली पर्व का बहुत अधिक महत्त्व हैं |समस्त भारत में और विदेशो में भी जहा भारतीय मूल के लोग रहते हैं |वहा यह त्यौहार हर्षौल्लास के साथ मनाया जाता हैं |इस दिन लोग श्रद्धा और विश्वास के साथ लक्ष्मी ,गणेश और सरस्वती का पूजन करते हैं |महा लक्ष्मी पूजन के बारे में तंत्र शास्त्रों में बताया गया हैं की कार्तिक अमावस्या अर्थात दीपावली के दिन भगवती लक्ष्मी विश्व भ्रमण पर भगवान विष्णु के साथ निकलती हैं इस यात्रा में वे जहा -जहा पर अपनी पूजा अर्चना और दीप प्रज्वलन देखती हैं ,वहा -वहा पर अपनी कृपा दृष्टि बरसाती जाती हैं |
 श्री महालक्ष्मी पूजन व दीपावली का महापर्व कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की अमावस्या में प्रदोष काल, स्थिर लग्न समय में मनाया जाता है. धन की देवी श्री महा लक्ष्मी जी का आशिर्वाद पाने के लिये इस दिन लक्ष्मी पूजन करना विशेष रुप से शुभ रहता है.

वर्ष 2012 में दिपावली, 1. नवम्बर, मंगलवार के दिन की रहेगी. इस दिन चित्रा नक्षत्र, परन्तु प्रदोषकाल के बाद स्वाती नक्षत्र का काल रहेगा, इस दिन प्रीति योग तथा चन्दमा तुला राशि में संचार करेगा. दीपावली में अमावस्या तिथि, प्रदोष काल, शुभ लग्न व चौघाडिया मुहूर्त विशेष महत्व रखते है. बुधवार की दिपावली व्यापारियों, क्रय-विक्रय करने वालों के लिये विशेष रुप से शुभ मानी जाती है.

इस वर्ष 13-11-2012 को 7  बजकर 13 मिनट के पश्चात् अमावस्या रहेगी | दीपावली पूजन के लिए प्रदोष काल और स्थिर लग्न विशेष रूप से शुभ माने गए हैं ……
प्रदोष काल स्थानीय सूर्यास्त काल से 2 घंटा 40 मिनट तक होता हैं और वृष और सिंह लग्न स्थिर लग्न होने से दीपावली पूजन में सर्वश्रेष्ठ माने गए हैं |इसमे वृषभ लग्न सायकाल में और सिंह लग्न  निशीथ काल में आता हैं |आप अपनी राशी के अनुसार किसी एक लग्न में पूजन करे जो लग्न आपकी राशी से ६ ,८ ,१२ हो वह लग्न आपके लिए अशुभ हैं | 
मिथुन तुला और धनु राशी वाले………….लक्ष्मी पूजा सिंह लग्न में ही करे तभी इन्हे लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त होगी | 
कन्या ,मकर और मीन  राशी वाले………….वृषभ लग्न में ही लक्ष्मी पूजन करे तभी इन्हे महा लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी | शेष राशियों वाले किसी भी लग्न में अपनी स्थिति अनुसार पूजा कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं | जिनकी राशी और लग्न दोनों से कोई लग्न ६ , ८, १२ वा लग्न बन रहा हो उन्हें विशेष रूप से इस समय अर्थात लग्न का ध्यान रखना चाहिए | 
दीपावली की रात्रि को महा निशा काल की संज्ञा दी गयी हैं | 

1. प्रदोष काल मुहूर्त कब।।????
13 नवम्बर 2012, मंगलवार के दिन दिल्ली तथा आसपास के इलाकों में सूर्यास्त 17:26 पर होगा. इस अवधि से लेकर 02 घण्टे 24 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा. इसे प्रदोष काल का समय कहा जाता है. प्रदोष काल समय को दिपावली पूजन के लिये शुभ मुहूर्त के रुप में प्रयोग किया जाता है. प्रदोष काल में भी स्थिर लग्न समय सबसे उतम रहता है. इस दिन प्रदोष काल व स्थिर लग्न दोनों 17:33 से लेकर 19:28 का समय रहेगा. इसके बाद 19:02 से 20:36 तक शुभ चौघडिया भी रहने से मुहुर्त की शुभता में वृ्द्धि हो रही है.

प्रदोष काल का प्रयोग कैसे करें।।????
प्रदोष काल में मंदिर में दीपदान, रंगोली और पूजा से जुडी अन्य तैयारी इस समय पर कर लेनी चाहिए तथा मिठाई वितरण का कार्य भी इसी समय पर संपन्न करना शुभ माना जाता है.

इसके अतिरिक्त द्वार पर स्वास्तिक और शुभ लाभ लिखने का कार्य इस मुहूर्त समय पर किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त इस समय पर अपने मित्रों व परिवार के बडे सदस्यों को उपहार देकर आशिर्वाद लेना व्यक्ति के जीवन की शुभता में वृ्द्धि करता है. मुहूर्त समय में धर्मस्थलो पर दानादि करना कल्याणकारी होगा.

2. निशिथ काल।।।????
13 नवम्बर, मंगलवार के दिन निशिथ काल लगभग 20:10 से 22: 52 तक रहेगा. स्थानीय प्रदेश के अनुसार इस समय में कुछ मिनट का अन्तर हो सकता है. निशिथ काल में लाभ की चौघडिया भी रहेगी, ऎसे में व्यापारियों वर्ग के लिये लक्ष्मी पूजन के लिये इस समय की विशेष शुभता रहेगी.


दिपावली पूजन में निशिथ काल का प्रयोग कैसे करें।।?????
धन लक्ष्मी का आहवाहन एवं पूजन, गल्ले की पूजा तथा हवन इत्यादि कार्य सम्पूर्ण कर लेना चाहिए. इसके अतिरिक्त समय का प्रयोग श्री महालक्ष्मी पूजन, महाकाली पूजन, लेखनी, कुबेर पूजन, अन्य मंन्त्रों का जपानुष्ठान करना चाहिए.

3. महानिशीथ काल।।।????
धन लक्ष्मी का आहवाहन एवं पूजन, गल्ले की पूजा तथा हवन इत्यादि कार्य सम्पूर्ण कर लेना चाहिए. इसके अतिरिक्त समय का प्रयोग श्री महालक्ष्मी पूजन, महाकाली पूजन, लेखनी, कुबेर पूजन, अन्य मंन्त्रों का जपानुष्ठान करना चाहिए.
13 नवम्बर, मंगलवार 2012 के रात्रि में 22:52 से लेकर अगले दिन प्राप्त: 25:34 मिनट तक महानिशीथ काल रहेगा. महानिशीथ काल में कर्क लग्न भी हों, तो विशेष शुभ माना जाता है. महानिशीथ काल व कर्क लग्न एक साथ होने के कारण यह समय अधिक शुभ हो गया है. जो जन शास्त्रों के अनुसार दिपावली पूजन करना चाहते हो, उन्हें इस समयावधि को पूजा के लिये प्रयोग करना चाहिए.

महानिशीथ काल का दिपावली पूजन में प्रयोग कैसे करें?????
महानिशीथकाल में मुख्यतः तांत्रिक कार्य, ज्योतिषविद, वेद् आरम्भ, कर्मकाण्ड, अघोरी,यंत्र-मंत्र-तंत्र कार्य व विभिन्न शक्तियों का पूजन करते हैं एवं शक्तियों का आवाहन करना शुभ रहता है. अवधि में दीपावली पूजन के पश्चात गृह में एक चौमुखा दीपक रात भर जलता रहना चाहिए. यह दीपक लक्ष्मी एवं सौभाग्य में वृध्दि का प्रतीक माना जाता है.

विशेष जानकारी हेतु आप इस लिंक/सन्देश पर क्लिक करके अपने निकटवर्ती शहर के अनुसार शुभ मुहूर्त जन सकते हें।।।

http://www.mypanchang.com/dhanterasindia2012.php

 कल्याण हो // शुभम भवतु ////

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