क्या वास्तुदोष भी कारण होता हें महिलाओं/लडकियों पर होने वाले अत्यचार/दुष्कर्म/दुराचार का..???

आजकल देश के कोने कोने से प्रकाशित होने वाले अखबारों और न्यूज चैनलों में महिलाओं के साथ होने वाले दुष्कर्म की खबर लगभग रोजाना ही सुर्खियों में रहती है। कई मामलों में दुष्कर्म करने के बाद साक्ष्य मिटने के लिए पीडि़ता की हत्या होना भी सामान्य बात हो गई है।

अपराधी को दंड मिलने से पीडि़ता और उसके रिश्तेदारों को तो केवल यही सांत्वना ही मिलती है कि, अपराधी को उसके किए की सजा मिल गई। परंतु क्या सख्त कानून होने से किसी पीडि़ता को दुःखद घटनाओं से बचाया जा सकेगा? अभी भी देश में कई अपराधों के लिए फांसी की सजा के प्रावधान है तो क्या वह अपराध होना बंद हो गए?

सख्त कानून होने के बाद भी इस तरह की दुष्कर्म की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है और सच्चाई तो यह है कि, महिलाओं का दैहिक शोषण, दुष्कर्म की घटनाएं, उनकी हत्याएं और हालात के कारण आत्महत्याएं भारत सहित दुनिया के कई देशों में सदियों से होती रही है, हो रही है और होती रहेगीं। एक बात जरूर है कि, आजकल मीडिया में ऐसी घटनाएं अब ज्यादा सुर्खियां पाने लगी है।

इसी संदर्भ में वास्तुशास्त्र की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तय है कि, दुनिया के किसी भी कोने में जहां कहीं भी महिलाओं का शारीरिक शोषण, दुष्कर्म, हत्या, आत्महत्या, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, भ्रूणहत्या या किसी भी प्रकार का अन्याय होने पर उनके घरों के वास्तुदोषों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

इन मुख्य वास्तु दोषों के कारण होती हें इस प्रकार की दुर्घटनाएं…

मुख्य घर चाहे छोटा हो या बड़ा जहां कहीं भी महिलाओं के साथ उपरोक्त घटनाएं घटती है तो निश्चित ही उनके घरों की दक्षिण दिशा में वास्तुदोष अवश्य होते है और जिन घरों की दक्षिण दिशा में वास्तुदोष नहीं होते है तो उन घरों में रहने वाली महिलाओं के साथ ऐसी घटनाएं ना तो घटी है और ना ही घट सकती है।
दक्षिण दिशा के वास्तुदोष जैसे घर की दक्षिण दिशा में अन्य दिशाओं से नीची हो, विशेषतौर पर दक्षिण नैऋत्य (साऊथ आफ द साऊथ वेस्ट) ज्यादा नीचा, दक्षिण नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्रौत, जैसे, कुआं, बोरिंग, भूमिगत पानी की टंकी, सैप्टिक टैंक, सम्प या किसी प्रकार गड्डा, ढलान, रैम्प इत्यादि हो, दक्षिण नैऋत्य में घर का बढ़ाव, घर का प्रवेशद्वार या मार्ग प्रहार इत्यादि वास्तुदोष होने पर ही महिलाओं के साथ आपराधिक घटनाएं होती है।

जिन घरों की दक्षिण दिशा में उपरोक्त एक भी वास्तुदोष होता है वही ऐसी घटनाएं घटती हैं और यदि एक से अधिक वास्तुदोष होते है तो घटनाएं ज्यादा गंभीर होती है। जैसे – दक्षिण नैऋत्य में बढ़ाव व भूमिगत पानी टंकी के साथ-साथ घर का प्रवेशद्वार भी हो।

अतः जिन घरों की दक्षिण दिशा के उपरोक्त कोई भी वास्तुदोष है तो वहां रहने वालों के लिए बेहतर होगा कि, वह धरने, प्रदर्शन और सड़कों पर आकर आक्रोश प्रकट करने इत्यादि में अपना समय बर्बाद ना करते हुए स्वयं अपने और अपने परिचितों के घर के वास्तुदोषों को दूर करें ताकि वहां रहने वाली महिलाएं दुष्कर्म, अन्याय, हत्या या आत्महत्याएं जैसी घटनाओं की शिकार बन ही ना सकें।

ध्यान रखें..सावधान रहें… सचेत रहें… सुरक्षित रहें….

शुभम भवतु ..कल्याण हो…

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