माँ शारदे ! को बसंत के शुभ पर्व पर नतमस्तक हो भक्तिभाव से समर्पित मेरा यह “माँ शारदा स्तुति” -गान ’ !
=======”माँ शारदा स्तुति” ============
दोहा-
विद्या दाती शारदे, दो विद्या का दान
मोह लोभ का नाश हो , मिटे दंभ अभिमान
चौपाई-
वागीश्वरि माँ शारद प्यारी| पूजें तुमको सब नर नारी ।।
माँ सब तुमसे वाणी पाते| देव दनुज नर सारे ध्याते ।।
श्वेत वर्ण सम चन्द्र सुशोभित| चार भुजा मुख मंडल मोहित।।
श्वेत हंस में मात विराजी | माला वीणा पुस्तक साजी ।।
श्वेत वस्त्र दिनकर से उज्जवल| वर मुद्रा धारण कर निर्मल ।।
ज्ञान कला विज्ञान धात्री| मनो बुद्धि शुभ शुचिता दात्री|
दो वर शारद माँ वरदानी| हरो क्लेश सब सुख की खानी ।।
काट तमस दुःख का अँधियारा| बिखरा दे माँ सुख उजियारा ।।
दीप खडा है आस लगाए| कौन यहाँ से खाली जाए ।।
आज लुटा भण्डार शारदे| भव सागर से हमें तारदे ।।
दोहा –
माँ वरदानी शारदे, देना इतना ज्ञान
कला और विज्ञान से, सबका हो कल्याण
छंद त्रिभंगी “माँ शारद वंदन”
दोनों कर जोड़े, मन के घोड़े, मोड़े शारद, वंदन में
नत आज चरण में, मात शरण में, श्रद्धा धारे, तन मन में
तुम वीणापाणी, माँ वरदानी, व्याप्त धरा के, कण कण में
सुन टेर हमारी, शारद प्यारी, शुभ सुचिता दो, जीवन में…
माँ शारदा/सरस्वती आप सभी का कल्याण करें…
विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती आप सभी को सद्द्बुद्धि और ज्ञान दें …
यही मंगल कामना है…
(लेखक-पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री..मोब.–.9669.90067 )
=======”माँ शारदा स्तुति” ============
दोहा-
विद्या दाती शारदे, दो विद्या का दान
मोह लोभ का नाश हो , मिटे दंभ अभिमान
चौपाई-
वागीश्वरि माँ शारद प्यारी| पूजें तुमको सब नर नारी ।।
माँ सब तुमसे वाणी पाते| देव दनुज नर सारे ध्याते ।।
श्वेत वर्ण सम चन्द्र सुशोभित| चार भुजा मुख मंडल मोहित।।
श्वेत हंस में मात विराजी | माला वीणा पुस्तक साजी ।।
श्वेत वस्त्र दिनकर से उज्जवल| वर मुद्रा धारण कर निर्मल ।।
ज्ञान कला विज्ञान धात्री| मनो बुद्धि शुभ शुचिता दात्री|
दो वर शारद माँ वरदानी| हरो क्लेश सब सुख की खानी ।।
काट तमस दुःख का अँधियारा| बिखरा दे माँ सुख उजियारा ।।
दीप खडा है आस लगाए| कौन यहाँ से खाली जाए ।।
आज लुटा भण्डार शारदे| भव सागर से हमें तारदे ।।
दोहा –
माँ वरदानी शारदे, देना इतना ज्ञान
कला और विज्ञान से, सबका हो कल्याण
छंद त्रिभंगी “माँ शारद वंदन”
दोनों कर जोड़े, मन के घोड़े, मोड़े शारद, वंदन में
नत आज चरण में, मात शरण में, श्रद्धा धारे, तन मन में
तुम वीणापाणी, माँ वरदानी, व्याप्त धरा के, कण कण में
सुन टेर हमारी, शारद प्यारी, शुभ सुचिता दो, जीवन में…
माँ शारदा/सरस्वती आप सभी का कल्याण करें…
विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती आप सभी को सद्द्बुद्धि और ज्ञान दें …
यही मंगल कामना है…
(लेखक-पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री..मोब.–.9669.90067 )