किसी अजूबे/आश्चर्य से कम नहीं होगा 16 मई,2014 (शुक्रवार ) को नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बन जाना..!!!
==लेखक =पंडित”विशाल” दयानंद शास्त्री, मोब.-09669290067 एवं . …
===पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री(मोब..-09669290067) के अनुसार लोकतंत्र के इस त्योहार में किसी की दिवाली होगी तो, कुछ लोगों का दीवाला निकल जाएगा। ग्रहों की चाल की असली परीक्षा तो दो जून को नज़र आएगी, जब कालसर्पयोग में नई लोकसभा जन्म लेगी। 16 मई 2014 (शुक्रवार) की तारीख कई नई चौंकाने वाली कहानी लिखने जा रही है।
आगामी लोकसभा का रंग बदलता हुआ स्पष्ट नज़र आ रहा है। पुरानी लोकसभा के अधिकतर चेहरे नई लोकसभा से नदारद होंगे। कई संभावित शासकों की पेशानी पर उलझन साफ दिखाई देगी। सिद्धांत,ईमान,सेवा सब सत्ता की कुर्सियों के पाये के नीचे दबे दिखायी देंगे। ज्येष्ठ नक्षत्र में आने वाले यह परिणाम कुछ लोगों की हेकड़ी ढीली कर देंगे, कुछ चेहरों पर विनम्रता के मुखौटों के पीछे का दंभ ज़रा-ज़रा नज़र आएगा।
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री(मोब..-09669290067) के अनुसार (शुक्रवार) ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया, संवत 2070 तदनुसार 16 मई 2014 की सुबह की फिजां बहुत बदली-बदली सी होगी। आरोपों का गुबार और चुनाव का खुमार, दोनों खरामा-खरामा उतर रहा होगा। सबकी धड़कनें बढ़ी होंगी। मंदिर, दरगाह और गुरुद्वारों में सजदे किए जा रहे होंगे। लोग मनौतियां मांग रहे होंगे। शायद आधे दिन का व्रत-उपवास के साथ होम-हवन और टीका-गंडा भी होगा, लेकिन इससे क्या ग्रहों की चाल बदल जाएगी?
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री(मोब..-09669290067) के अनुसार,16 मई 2014 की कुंडली बड़ा नवेला इतिहास लिखने जा रही है। शत्रु बुध के घर कन्या में मंगल टेढ़ा अर्थात वक्री होकर बैठा होगा। शनि भी मुंह टेढ़ा करके अर्थात वक्री होकर मित्र राहु के साथ कम से कम सुयोग तो नहीं बना रहे हैं।
आगामी प्रधानमंत्री कोई महिला (जेसे मायावती या सुषमा स्वराज) भी बन जाये तो कोई बहुत बड़ी अतिश्योक्ति नहीं होगी,क्यों कि इनकी उपलब्ध जन्मकुंडलियों के सितारे इस समय बहुत पावरफुल बन रहे हें…
आप आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की कुंडली में बृहस्पति में शुक्र की अंतर्दशा नरेंद्र मोदी को शायद बहुत बड़ा नुक्सान भले न पहुंचा पाए मगर इनकी झुंझलाहट का कारण तो जरूर बनेगी।
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री(मोब..-09669290067) के अनुसार ग्रहों की चाल के अनुसार 2 जून 2014 को जब नई लोकसभा अस्तित्व में आएगी, तब सत्ता और शक्ति का स्वामी मंगल शत्रु बुध की राशि कन्या में, राहू और शनि मित्र शुक्र की राशि तुला में, शुक्र और केतु मंगल की राशि मेष में,सूर्य शुक्र की राशि वृषभ में, बुध गुरु बृहस्पति के साथ स्वराशि मिथुन में और चंद्रमा स्वराशि कर्क में चक्रण कर रहे होंगे।
समस्त ग्रह राहू और केतु के साथ या मध्य में होंगे। इस कालसर्प योग में निर्मित सोलहवीं लोकसभा की कुंडली गौर से देखने पर नई लोकसभा की सूरत बिल्कुल बदली-बदली सी नजर आ रही है। कालसर्प योग और . नवंबर 2014 को शनि का मंगल की राशि वृश्चिक में प्रवेश बहुत बड़े उथल-पुथल की कहानी कह रहा है।
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री(मोब..-09669290067) के अनुसार वर्तमान में शनि वक्री चल रहे हैं तथा इनका प्रभाव 21 जुलाई 2014 तक रहेगा इसका दूरगामी असर पडेगा, राशियों पर अलग अलग प्रभाव पडेगा, कई लोगों के जीवन में उलटफेर करने वाली बन रही है। शनि महाराज के वक्री रहने के दौरान ही भारत का नया प्रधानमंत्री बनेगा, इसका साफ संदेश है कि सितारे अपनी चाल चलेगें, सितारों का माहिर बनेगा प्रधानमंत्री..
शनि इस समय तुला राशि में राहु और मंगल के साथ स्थित है। शनि अब 21 जुलाई 2014 तक वक्री रहेगा। 12 जुलाई 2014 को राहु तुला राशि छोड़ देगा, जबकि 25 मार्च को मंगल कन्या राशि में चले जाएगा।
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री(मोब..-09669290067) के अनुसार पिछले साल जून में जब शनि वक्री था, तब केदारनाथ धाम में तबाही मची थी। तुला राशि में वक्री शनि और राहु का योग किसी प्राकृतिक आपदा की ओर इशारा करता है। मंगल ग्रह शनि और राहु का शत्रु है। अभी तुला राशि में ये तीनों ग्रह एक साथ स्थित हैं। इसी वजह से वर्तमान स्थिति भी कई लोगों के जीवन में उलटफेर करने वाली बन रही है। बर्फबारी एवं ज्यादा ठंड भी इसी योग का फल है। आने वाले समय में गर्मी का प्रकोप ज्यादा रहेगा।
देश के अनेक भविष्यवक्ता भी देश की राजनीतिक परिस्थितयों के बारे में भविष्यवाणी रहे हैं।
जीवन आश्चर्यों से भरा हुआ है, और कोई जरूरी नहीं कि आश्चर्य हमेशा आपको खुश करने वाले नतीजे दें। लेकिन अगर यह अंदाजा हो कि भविष्य के पिटारे में क्या छुपा है तो चुनौतियों का सामना करना थोड़ा आसान हो जाता है।
====================================================
अब बात प्रधानमंत्री पद के मुख्य दावेदार नरेंद्र दामोदर दास मोदी की उपलब्ध जन्मकुंडली की—
श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी–इस नाम ने सिर्फ अपने दम पर कांग्रेस पार्टी को परेशानी में डाल रखा है। भारतीय जनता पार्टी का यह इक्का अपनी तुरुप की चाल से कांग्रेस के चक्रव्यूह को भेदता प्रतीत हो रहा है, पर क्या मोदी जी इस करिश्मे को अंजाम तक पहुंचा पाएंगे? क्या यह रणनीतिकार राहुल गांधी के स्वप्न को ध्वस्त कर पाएगा? क्या यह खिलाड़ी आम आदमी के दर्द को आम आदमी पार्टी का वोट बनने से रोक सकेगा?
श्री मूल चंद मोदी के पौत्र और हीराबेन तथा दामोदर दास मोदी के पुत्र नरेंद्र मोदी का जन्म 1950 के सितंबर माह की 17वीं तारीख को दापहर 12 बजे के आसपास मेहसाणा, गुजरात के वडनगर नामक छोटे से स्थान में हुआ था।
ध्यान देवें—यदि उनका यह जन्म विवरण सही है तो भारतीय जनता पार्टी के इस नए व्यूह के रचनाकार की राशि और लग्न दोनों ही वृश्चिक हैं।
इनकी कुंडली में लग्न में चंद्रमा के साथ स्वग्रही मंगल, धनेश व पंचमेश बृहस्पति सुख भाव में, राहू बृहस्पति के पंचम भाव में, व्ययेश व सप्तमेश शुक्र पराक्रमेश व सुखेश शनि के साथ दशमस्थ होकर तथा कर्मेश सूर्य स्वग्रही मित्र बुध और शत्रु केतु के साथ लाभ भाव में विराजमान हैं।
नरेंद्र मोदी की कुंडली में शनि की मूल त्रिकोण राशि कुंभ कुंडली के केंद्र में आकर जहां शनिदेव के प्रभाव में वृद्धि कर रही है, वहीं उसे शुभ फल देने वाले ग्रह के रूप में भी मान्यता प्रदान कर रही है।
कर्म भाव यानी दसवें घर में शनि की उपस्थिति जहां उन्हें चमत्कारिक और चुंबकीय व्यक्तित्व का मालिक बना रही है, वहीं एक मंझे हुए राजनैतिक सिपहसालार के रूप में भी उन्हें मैदान में खड़ा कर रही है। यह योग उन्हें चतुराई युक्त, रणनीतिकार, कूटनीतिज्ञ और गूढ़ समझ रखने वाली शख्सियत के रूप में स्थापित कर रही है। लेकिन सूर्य के घर में शनि की उपस्थिति सत्ता कढ़ी में ज़रा खटास पैदा कर रही है।
यह स्थिति उनकी योजना में सुराख कर रही है। लेकिन 3 नवंबर 2014 को शनि जब इनकी राशि में पहुंचेगा तो इनकी सफलता की नई कहानी लिखेगा।
इनकी कुंडली में शासन व सत्ता का मालिक मंगल स्वघर में मित्र चंद्रमा के साथ लग्न में विराजमान है। यह योग इन्हें साहसी, किसी के दबाव में न आने वाला व ऊर्जावान बनाता है। यह प्रखर मस्तिष्क व नए विचारों का भी कारक है। पर मंगल जहां लग्न का मालिक है, वहीं वह छठें भाव का भी मालिक होकर गुप्त शत्रुओं में भारी वृद्धि कर रहा है।
दसवें भाव में शनि के साथ शत्रु की उपस्थिति जहां राजयोग निर्मित कर रही है, वहीं लाभ में बुध के साथ सूर्य की युति बद्धातित्य निर्मित कर रही है। लेकिन साथ ही सूर्य के कट्टर शत्रु केतु की उपस्थिति राज करने के योग में खलल भी डाल रही है। यह यही योग है, जो निरंतर अपार जन समर्थन के बाद भी भारी विरोध की भी स्थिति निर्मित कर रही है।
28 दिसंबर, 2013 से मोदी चंद्रमा की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा भोग रहे हैं। जो 29 अप्रैल, 2015 तक चलेगी। यह काल इन्हें बड़ी सफलता का हकदार बना रहा है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि नरेंद्र दामोदर दास मोदी आगामी आम चुनाव में बहुत भारी पड़ेंगे और प्रधानमंत्री की कुर्सी के बेहद नजदीक नजर आएंगे।
सूर्य के घर में शुक्र-शनि की उपस्थिति उन्हें किसी महिला से लाभ के साथ किसी अन्य स्त्री और बुजुर्ग से उलझन, भय, विवाद और चुनौती से भी रूबरु करवाएगी। इस योग को चुनाव के बाद की परिस्थितियों से जोड़कर देखा जा सकता है।
“शुभम भवतु” कल्याण हो…
गणित एवं फलितकर्ता—
==लेखक =पंडित”विशाल” दयानंद शास्त्री, मोब.-09669290067 एवं 09024390067 …