जानिए शनिवार के शुभ अशुभ मुहूर्त—-
जानिए क्या उपाय करें शनिवार को शनिदोष निवारण के लिए..???


ज्योतिष के अनुसार बताए गए उत्तम चौघडिय़े से हमारे कार्य के पूर्ण होने की संभावनाएं काफी अधिक बढ़ जाती हैं।प्रत्येक दिन में शुभ अशुभ दोनों ही समय आते है । पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार यदि हमें इसके बारे में पूर्व में ही जानकारी मिल जाये, हम शुभ समय का पूरा उपयोग कर लें और अशुभ समय में अपना कोई भी महत्वपूर्ण, नया कार्य शुरू ना करें, उस समय थोड़ी सी सावधानी रखें, तो हमें निश्चित ही अपने कर्मों के सुखद फल प्राप्त होंगे।जो हमारे दैनिक कार्य है या जिन कार्यों के बीच में शुभ अशुभ समय आता है उसकी मान्यता नहीं मानी जाती है। 
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार जानिए शनिवार को कब-कब है अच्छे चौघडिय़े और कब-कब हैं बुरे चौघडिय़े—-


आज के शुभ मुहूर्त——


आज का गुलीक काल (शुभ समय) ——


शनिवार —– प्रातः 6 से 7… बजे तक


आज का अभिजित मुहूर्त (शुभ समय)—-


अभिजित मुहूर्त दिन का आठवां मुहूर्त होता है और यह मघ्याह्न ( दोपहर लगभग .. बजे ) के समय आता है। और इसके 24 मिनट पहले और 24 मिनट बाद में (अर्थात 48 मिनट) इसका प्रारम्भ और अंत माना जाता है।अर्थात 11.36 से 12.24 तक |


आज दिन की शुभ चौघड़िया  ——


दिन की शुभ चौघड़िया —– प्रात: काल 7.30 AM To 9.00 AM


दिन की लाभ चौघड़िया — अपराह्न 1.30 PM To 3.00 PM


दिन की अमृत चौघड़िया —- अपराह्न 3.00 PM To 4.30 PM 


आज रात्रि की शुभ चौघड़िया —-


लाभ चौघड़िया —— सायं काल 6.00 PM To 7.30 PM


शुभ चौघड़िया —- रात्रि 9.00 AM To 10.30 AM


अमृत चौघड़िया —– रात्रि 10.30 AM To 12.00 AM 


लाभ चौघड़िया —– प्रात: काल 4.30 AM To 6.00 AM


आज के अशुभ मुहूर्त——-


आज का राहु काल (अशुभ समय) —–


शनिवार — सुबह -9.00 से 10.30 तक|


आज दिन की अशुभ चौघड़िया ——


दिन की काल चौघड़िया —– प्रात: काल 6.00 AM 7.30 AM 


दिन की रोग चौघड़िया —- प्रात: काल 9.00 AM 10.30 AM 


दिन की उद्बेग चौघड़िया —– प्रात: काल 10.30 AM 12.00 PM


दिन की काल चौघड़िया —- सायं काल 4.30 PM 6.00 PM 


आज रात्रि की अशुभ चौघड़िया ——-


रात्रि की उद्बेग चौघड़िया —– रात्रि 7.30 PM 9.00 PM


रात्रि की रोग चौघड़िया —– मध्य रात्रि 1.30 AM 3.00 AM


रात्रि की काल चौघड़िया —— मध्य रात्रि 3.00 PM 4.30 AM


जब भी कोई नया या शुभ या मांगलिक कार्य प्रारंभ किया जाए तो उसकी सफलता के भगवान से प्रार्थना करना चाहिए। इसके साथ ही ध्यान रखें कि कार्य का शुभारंभ शुभ चौघडिय़े में ही हो। रोज के कार्यों के लिए जरूरी है चौघडिय़ा देखकर शुभारंभ किया जाए या यात्रा के लिए निकला जाए।


जानिए, कौन से श्रेष्ठ चौघडिय़े और कौन से हैं अशुभ चौघडिय़े—-


उत्तम चौघडिय़े—–अमृत, शुभ, लाभ और चर हैं।
अशुभ चौघडिय़े—–उद्वेग, रोग तथा काल हैं।


पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार उत्तम चौघडिय़े में ही कार्य का प्रारंभ करना चाहिए जबकि अशुभ चौघडिय़े में नया कार्य प्रारंभ करने से बचना चाहिए। ईश्वर पर पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखते हुए बस अपने कार्यों को बतलाये गए समय के हिसाब से करने कि कोशिश करें आपको अवश्य ही अपने कार्यों के उचित परिणाम प्राप्त होंगे । 


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धन्यवाद ।
==पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री..
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जानिए शनि का दोष दूर करने के उपाय–


हिन्दू धर्म में शनि दोष शांति के लिए आज के दिन का विशेष महत्व है। शनि दोष से जीवन कठिन और संघर्ष से भरा हो जाता है। इससे लगातार मानसिक, शारीरिक या आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में शनिवार को शनि देव की आराधना कर शनि दोष को दूर किया जा सकता है। आइये हम आपको शनि दोष को दूर करने का आसान उपाय बताते है, जिसे अपनाकर आप अपने जीवन में आ रही समस्याओ को दूर कर सकते है।


पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार ग्रह दोषों को दूर करने के लिए नाम राशि के अनुसार उपाय बताए जाते हैं लेकिन यहां कुछ ऐसे उपाय बताया जा रहे है जो सभी नाम राशि के लोगों के लिए काम करेंगे कुंडली में शनि दोष के कारण परेशानियां समाप्त नहीं हो रही हैं तो ऐसा उपाय है जिससे आपकी सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। 


ज्योतिष के अनुसार यदि किसी की राशि में शनि की साढ़ेसाती या ढय्या चल रही है तो शनि को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार के उपाय बताए हैं। इन उपायों में अधिकांश उपाय शनिवार के दिन किए जाते हैं। शनिवार शनिदेव का खास दिन है और इस दिन जो भी व्यक्ति शनि को प्रसन्न के लिए पूजन करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।


शनि की साढ़ेसाती और ढय्या या अन्य कोई शनि दोष हो तो हर शनिवार को किसी भी पीपल के वृक्ष को दोनों हाथों से स्पर्श करें। स्पर्श करने के साथ ही पीपल की सात परिक्रमाएं करें। परिक्रमा करते समय शनिदेव का ध्यान करना चाहिए। किसी शनि मंत्र (ऊँ शंशनैश्चराय नम:) का जप करें या ऊँ नम: शिवाय का जप करें। 


पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार शनिदेव सूर्य पुत्र हैं और वे अपने पिता सूर्य को शत्रु भी मानते हैं। शनि देव का रंग काला है और उन्हें नीले तथा काले वस्त्र आदि विशेष प्रिय हैं। ज्योतिष में शनि देव को न्यायाधीश बताया गया है। व्यक्ति के सभी कर्मों के अच्छे-बुरे फल शनि महाराज ही प्रदान करते हैं। साढ़ेसाती और ढय्या के समय में शनि व्यक्ति को उसके कर्मों का फल प्रदान करते हैं।


यदि कोई समस्या है तो उसका निदान भी कहीं न कहीं अथवा किसी न किसी रूप में अवश्य उपलब्ध है। आवश्यकता है केवल पहले समस्या के उचित कारण जानने की और तदनुसार उसके निराकरण के उपाय तलाशने की। यदि वास्तव में शनि ग्रह के भूत भय से अलग शनि ग्रह जनित दोष के कारण कोई पीडा़ झेल रहे हैं तो वह यह उपाय अपनी सुविधानुसार एक बार अवश्य कर लें।


पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार कौन सा उपाय आप चयन करें यह आपके अपने-अपने बुद्धि और विवेक पर अधिक निर्भर करेगा। परन्तु जो कोई भी उपाय आप करें उसके प्रति यह श्रृद्धा और आस्था अवश्य बलवती रखें कि आपकी जटिल समस्या का उचित समाधान मिल गया है और उससे आपके कष्ट अवश्य की दूर होंगे।


===हनुमान जी का ‘ॐ हं पवन नन्दनाय नमः’ मंत्र जप किया करें।
=== हनुमान जी की पूजा क्रम में हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक, सुन्दर काण्ड, हनुमान कवच, हनुमान बाहुक, बजरंग बाण, हनुमान स्तोत्र आदि का पठन-पाठन सर्वविदित है। आप शनि ग्रह दोष निवारण हेतु जो भी कर रहे हैं, सब अच्छा है। परन्तु इन सबमें बजरंगबाण सर्वाधिक प्रभावशाली सिद्ध हुआ है, ऐसा अनेक बार लोगों का स्वयं का अनुभव सामने आया है।
===मत्स्य पुराण के अनुसार पीड़ाकारक ग्रह की शान्ति और पुष्टि दोनों के लिए, लक्ष्मी कृपा और दीर्घायुष्य के लिए ग्रह यज्ञ का विधान है। किसी योग्य व्यक्ति द्वारा इसका विधान समझकर यह स्वयं भी किया जा सकता है।
======यदि शनि दोष की पीड़ा है तो यह भ्रम मन से बिल्कुल निकाल दें कि मात्र शनिवार के दिन कुछ क्रम-उपक्रम कर लेने से समस्या का समाधान हो जाएगा। बौद्धिकता से स्वयं मनन करें कि क्या शनि ग्रह घात में बैठा रहता है कि कब शनिवार आए और वह अपना उत्पात प्रारम्भ  कर दे। शनि ग्रह पीड़ा से ग्रसित हैं तब तो वह आठों पहर और चौबीसों घड़ी पीड़ा देगा ही देगा।
=====एक लोहे का पात्र लेकर उसमें शनि स्वरूप आकृति स्थापित कर लें। नित्य प्रातः काल उठकर थोड़े से तेल में अपनी छाया पर त्राटक करें और भाव बलवती करें कि आपके शनि ग्रह जनित समस्त दोषों का पलायन हो रहा है। यह भावना करते हुए पात्र में तेल छोड़ दें। यह नियम यथा सम्भव नित्य प्रति के अपने अन्य दैनिक कर्मों के साथ जोड़ लें। जब पात्र भरने लगे तो किसी शनिदान वाले को दिन के समय दान कर दें।
=====शनि को मनाने का एक और सबसे अच्छा उपाय है कि हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमानजी के दर्शन और उनकी भक्ति करने से शनि के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार शनि किसी भी परिस्थिति में हनुमानजी के भक्तों को परेशान नहीं करते हैं।
====इन उपायों के साथ ही हर सप्ताह में केवल एक ही दिन शनिवार को शनिदेव के निमित्त तेल का दान करना चाहिए। तेल का दान करने से पहले व्यक्ति को एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखना चाहिए। इसके बाद तेल का दान कर देना चाहिए। इस उपाय से भी शनि के दोष समाप्त हो जाते हैं।
=====शनि के बुरे फल को दूर करने के लिए काली चीजें जैसे काले चने, काले तिल, उड़द की दाल, काले कपड़े आदि का दान किसी गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को करें। इसके साथ ही शनि देव के निमित्त हर शनिवार को विशेष पूजन करें।
====शनि को प्रसन्न करने के लिए बताए गए खास उपायों में से एक उपाय है किसी कुत्ते को तेल चुपड़ी हुई रोटी खिलाना। अधिकतर लोग प्रतिदिन कुत्ते को रोटी तो खिलाते ही हैं ऐसे में यदि रोटी पर तेल लगाकर कुत्ते को खिलाई जाए तो शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि कुत्ता शनिदेव का वाहन है और जो लोग कुत्ते को खाना खिलाते हैं उनसे अति प्रसन्न होते हैं। 


===शनिवार के दिन लोहे का त्रिशूल महाकाल शिव, महाकाल भैरव या महाकाली मंदिर में अर्पित करें। ===शनि दोष के कारण विवाह में विलंब हो रहा हो, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को 250 ग्राम काली राई, नये काले कपड़े में बांधकर पीपल के पेड़ की जड़ में रख आयें और शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें। पुराना जूता शनिचरी अमावस्या के दिन चैराहे पर रखें। 
=====आर्थिक वृद्धि के लिए आप सदैव शनिवार के दिन गेंहू पिसवाएं और गेहूं में कुछ काले चने भी मिला दें। किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले शनि को 10 बादाम लेकर हनुमान मंदिर में जायें। 5 बादाम वहां रख दें और 5 बादाम घर लाकर किसी लाल वस्त्र में बांधकर धन स्थान पर रख दें। शनिवार के दिन बंदरों को काले चने, गुड़, केला खिलाएं। सरसों के तेल का छाया पत्र दान करें। बहते पानी में नारियल विसर्जित करें। 
==शनिवार को काले उड़द पीसकर उसके आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं। 
====प्रत्येक शनिवार को आक के पौधे पर 7 लोहे की कीलें चढ़ाएं। 
===काले घोड़े की नाल या नाव की कील से बनी लोहे की अंगूठी मध्यमा उंगली में शनिवार को सूर्यस्त के समय पहनें। लगातार पांच शनिवार शमशान घाट में लकड़ी का दान करें। 
====काले कुत्ते को दूध पिलाएं। 
====शनिवार की रात को सरसों का तेल हाथ और पैरों के नाखूनों पर लगाएं। 
=====चीटिंयों को 7 शनिवार काले तिल, आटा, शक्कर मिलाकर खिलाएं। 
====शनिवार की शाम पीपल के पेड़ के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं। 
==शनि की ढैया से ग्रस्ति व्यक्ति को हनुमान चालीसा का सुबह-शाम जप करना चाहिए। 
====शनि पीड़ा से ग्रस्त व्यक्ति को रात्रि के समय दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। 
====काला हकीक सुनशान जगह में शनिवार के दिन दबाएं। 
=====शनिवार के कारण कर्ज से मुक्ति ना हो रही हो, तो काले गुलाब जामुन अंधों को खिलाएं। 
====शनिवार की संध्या को काले कुत्तों को चुपड़ी हुई रोटी खिलाएं। यदि काला कुत्ता रोटी खा ले तो अवश्य शनि ग्रह द्वारा मिल रही पीड़ा शांति होती है। 
ध्यान रखें काले कुत्तो को द्वार पर नहीं लाना चाहिए। अपितु पास जाकर सड़क पर ही रोटी खिलानी चाहिए। 
===शनि शांति के लिए “ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” या “ऊँ शनैश्चराय नमः” का जप करें। 
===शनि शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। 
===सात मुखी रुद्राक्ष भी शनि शांति के लिए धारण कर सकते हैं। नीलम रत्न धारण करें अथवा नीली या लाजवर्त, पंच धातु में धारण करें। 


===लाल किताब के अनुसार शनि के उपाय:—–
====लग्न स्थित शनि अशुभ फल देता है। ऐसे में जातक को बंदरों की सेवा करनी चाहिए। चीनी मिला हुआ दूध बरगद के पेड़ की जड़ में डालकर गीली मिट्टी से तिलक करना चाहिए। 
झूठ नहीं बोलना चाहिए। 


दूसरों की वस्तुओं पर बुरी दृष्टि नहीं डालनी चाहिए। 


शनि द्वितीय भावस्थ अशुभ फल देता हो तो जातक को अपने माथे पर दूध या दही का तिलक लगाना चाहिए और सांपों को दूध पिलाना चाहिए। 


शनि तीसरे भाव में हो तो जातक को मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे में जातक को तिल, नींबू एवं केले का दान करना चाहिए। घर में काला कुत्त पालें एवं उसकी सेवा करें। 


शनि चतुर्थ भावस्थ में अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को कूंए में दूध डालना चाहिए। बहते हुए पानी में शराब डालनी चाहिए, हरे रंग की वस्तुओं से परहेज नहीं रखना चाहिए। मजदूरों की सहायता करें व भैंस एवं कौओं को भोजन दें। जातक को अपने नाम पर भवन निर्माण नहीं करना चाहिए। 


पंचम भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को अपने पास सोना एवं केसर रखना चाहिए। जातक को 48 साल से पहले अपने लिए मकान नहीं बनाना चाहिए। साथ ही नाक व दांतों को साफ रखना चाहिए। लोहे का छल्ला पहनने से व साबुत हरी मूंग मंदिर में दान करने से शनि की पीड़ा कम होगी। 


षष्ठ भाव से शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को चमड़े एवं लोहे की वस्तुएं खरीदनी चाहिए। इस भाव में जातक को 39 साल की उम्र के बाद ही मकान बनाना चाहिए। 


सप्तम भाव से शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को शहद से भरा हुआ बर्तन कहीं सुनसान जगह में दबाना चाहिए। बांसुरी में चीनी भरकर कहीं सुनसान जगह में दबाएं। इस भाव में शनि हो तो जातक को बना बनाया मकान खरीदना चाहिए। 


अष्टम भाव में शनि को अपने पास चांदी का टुकड़ा रखना चाहिए। सांपों को दूध पिलाना चाहिए व जीवन में कभी भवन का निर्माण नहीं कराना चाहिए। 


नवम भावस्थ शनि अशुभ फल दे रहा हो तो छत पर कबाड़, लकड़ी आदि नहीं रखनी चाहिए, जो बरसात आने पर भीगती हो। चांदी के चैरस टुकड़े पर हल्दी का तिलक लगाकर उसे अपने पास रखना चाहिए। पीपल के पेड़ को जल देने के साथ-साथ गुरुवार का व्रत भी करना चाहिए। अगर इस भाव में शनि हो तो जातक की पत्नी गर्भवती हो तो भूलकर भी मकान न बनवाएं। बच्चा होने के बाद बनवा सकते हैं। 


दशम भाव में शनि हो तो मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। चने की दाल तथा केले मंदिर में चढ़ाने चाहिए। 


एकादश भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को घर में चांदी की ईंट रखनी चाहिए। उसे मांस, मदिरा आदि सेवन एवं दक्षिणामुखी मकान में वास नहीं करना चाहिए। 
55 साल की उम्र के बाद ही मकान बनाना शुभ रहेगा। 


बारहवें भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। मांस, मदिरा, अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। 


लाल किताब की इन बातों पर अमल कर शनि से प्राप्त परेशानियों को हम समाप्त कर सकते हैं।


====शनि महाराज की प्रसन्नता के बाद व्यक्ति को परेशानियों के कष्ट से मुक्ति मिल जाती है। साढ़ेसाती हो या ढय्या या कुंडली का अन्य कोई दोष इस उपाय से निश्चित ही लाभ होता है। कुत्ते को तेल चुपड़ी रोटी खिलाने से शनि के साथ ही राहु-केतु से संबंधित दोषों का भी निवारण हो जाता है। राहु-केतु के योग कालसर्प योग से पीडि़त व्यक्तियों को यह उपाय लाभ पहुंचाता है।


=पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार मंत्र जाप शनि ग्रह पीडा़ निवारण के लिए एक अच्छा और सशक्त उपाय सिद्ध होता है।






शनि गायत्री —-
ॐ कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्राय धीमहि तनः सौरिः प्रचोदयात्।


वेद मंत्र —-
    ॐ शन्नो देवीरभिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तु नः।


बीज मंत्र –
    ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः


पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार  अन्त में यह बात सदैव ध्यान रखें कि शनि अतुलित भौतिक सुख वैभव आदि देता है परन्तु यही सुखों की कामना सतत् लालसा जब हवस बन जाती हैं तब उन संचित दुष्कर्मों का दण्ड देने के लिए शनि एक क्रूर न्यायाधीश बन जाता है और विधिगत उचित न्याय करता है।


शनि राखै संसार में हर प्राणी की खैर।
न काहु से दोस्ती, न काहू से बैर।।


शनि ग्रह को यदि वास्तव में हमने जान लिया तो शनि शत्रु नहीं अपितु मित्र और विनाश अथवा कष्टकारी नहीं बल्कि परम कल्याणकारी सिद्ध होने लगेगा।


क्या करें शनिवार के दिन शनि मंदिर जाते समय…???


पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार  सबसे पहले नहाकर काले पहनकर तैयार हो जाये और घर या मंदिर में शनिदेव की प्रतिमा पर गंध, पुष्प, काले वस्त्र, तिल का तेल चढ़ाकर अगरबत्ती और दीप से आरती करें और तेल से बने पकवानों का भोग लगाएं। 


पूजा के बाद शनि मंत्र ‘ऊँ शं शनैश्चराय नम:’ का मन में जप करे। 


शनि देव की पूजा के लिए उड़द, तेल तिल, काला कम्बल, काला कपड़ा, लोहा या इससे बनी वस्तुओ का उपयोग करे। 


किसी ब्राह्मण को नीलम रत्न, काली गाय, भैंस का दान करना भी श्रेष्ठ होता है।
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जानिए की शनिवार को क्या काम करें—- 


तकनीकी शिल्प कला, मशीनरी संबंधित ज्ञान, अंग्रेजी, उर्दू, फारसी का ज्ञान सीखना, तेल लगाना विशेष शुभ, मुकदमा दायर करना शुभ है। लड़के को शनिवार के दिन ससुराल नहीं भेजना चाहिए। 


शनिवार के दिन तेल, लकड़ी, कोयला, नमक, लोहा या लोहे की वस्तु क्रय करके नहीं लानी चाहिए वर्ना बिना बात की बाधा उत्पन्न होगी और अचानक कष्ट झेलना पड़ेगा। 


क्या हो सफर/यात्रा की दिशा..???
नैऋत्य, पश्चिम और दक्षिण दिशा में यात्रा कर सकते हैं। 
पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में दिशाशूल। 


व्यापार संबंधित –—-


भवन निर्माण प्रारंभ, तकनीकी कार्य, शल्य क्रिया या जांच कार्य के लिए उचित दिन। प्लास्टिक, तेल, पेट्रोल, लकड़ी, सीमेंट आदि क्रय और विक्रय का दिन।मशीनरी, लोहा, लकड़ी, चमड़ा, सीमेंट, तेल, पेट्रोल, पत्थर, भूमि, ठेकेदारी, शस्त्रों का क्रय-विक्रय, अन्वेषण एवं आप्रेशन कार्य, अधीनस्थ कर्मचारी, वाहनादि प्रयोग, विदेश-यात्रादि कार्य।


जय शनि देव!!! कल्याण हो….शुभम भवतु….


==पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री 

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