ऐसा होना चाहिए आपके अपार्टमेंट के फ्लेट का वास्तु—




विभिन्न भारतीय शास्त्रों में से एक शास्त्र है ‘वास्तु शास्त्र’, जिसकी जड़ें प्राचीन काल से ही भारत में मौजूद हैं। लेकिन पिछले कुछ समय में ही जैसे-जैसे मनुष्य ज्ञान बटोर रहा है, उसे वास्तु शास्त्र के बारे में पता लग रहा है। केवल वास्तु शास्त्र ही नहीं, पड़ोसी देश चीन के जाने-माने ‘फेंग शुई’ विज्ञान को भी बड़े स्तर पर भारतीयों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है।सदियों से भारतीय पुराणों और ग्रंथों में लिखी बातें व्यक्ति के जीवन को सफल और सुखमय बनाने में अपनी भूमिका निभाती आई हैं। प्राचीन ऋषियों और महाज्ञानियों ने कुछ भी ऐसा नहीं कहा या लिखा जो अव्यवहारिक दिखता।


वास्तु शास्त्र एवं फेंग शुई में एक बड़ा अंतर जरूर है लेकिन फिर भी मूल रूप से कुछ समानताएं इन दोनों से जुड़ी हुई हैं। जैसे कि यह दोनों ही व्यक्ति के सुखी भविष्य की कामना करते हैं। व्यक्ति की ज़िंदगी, घर या ऑफिस से कैसे नकारात्मक ऊर्जा को बाहर कर सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करना है, यह सभी तथ्य इन दोनों प्रकार के विज्ञान में मौजूद हैं।

वर्तमान के बदलते परिवेश में जहां भूखंडों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं ऐसे में अपार्टमेंट में घर लेना काफी सुविधाजनक हो गया है वहीँ वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार बहुमंजिला अपार्टमेंट इमारतों डिजाइनिंग आसान नहीं है। जनसंख्या विस्फोट और अंतरिक्ष, मकान और फ्लैट संस्कृति की कमी के कारण बड़े शहरों में अविश्वसनीय रूप से वृद्धि हुई थी। मकान संस्कृति अपार्टमेंट या फ्लैट संस्कृति की तुलना में अलग है। वर्तमान समाज की आवश्यकताओं तक पहुंचने के लिए और अधिक भूमि आवास उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और डेवलपर्स के सबसे उच्च वृद्धि अपार्टमेंट और गगनचुंबी इमारतों के साथ आ रहे हैं। समय सम्मानित सच्चाई के अपार्टमेंट वास्तु सिद्धांतों का पालन नहीं करेंगे। यहां तक ​​कि अगर कुछ अपार्टमेंट हम ..0 प्रतिशत वास्तु उम्मीद नहीं कर सकते का पालन करें। 


वास्तु सभी अपार्टमेंट को एक स्वतंत्र इकाई मानता है इसलिए अपार्टमेंट में आप ऊपर रहें या नीचे, दिशा निर्धारण का वही सिद्धांत लागू होता है। अगर अपार्टमेंट बहुत ऊंचाई पर है, तब भी बेहतर यह है कि पूरा ब्लॉक वर्गाकार या आयताकार हो ताकि पृथ्वी से उसका नाता जुड़ा रहे। वास्तु के अनुसार वर्गाकार भवन पुरुषोचित होते हैं जबकि आयताकार इमारतें स्त्रियोचित (नारी-जातीय) और कोमल। 


यदि आप अपार्टमेंट ब्लॉक में रहने जा रहे हैं तो उसकी ऊपरी मंजिल चुनिए ताकि भूतल स्तर के नुकसानदायक प्रभावों से बचा जा सके। अपार्टमेंट के लिए सबसे अच्छी जगह ब्लॉक की उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा है, जो प्रात:कालीन प्रकाश के अनुकूल गुणों को ग्रहण करती है। उत्तर-पूर्व दिशा वाला अपार्टमेंट यह सुनिश्चित करेगा कि अन्य अपार्टमेंट दक्षिण-पश्चिम में बाधाएं पैदा कर नकारात्मक शक्तियों के प्रवेश को रोकेंगे। ब्लॉक पर्याप्त दूरी पर हों ताकि कमरों में रोशनी व हवा आ सके।
वास्तु शास्त्रों का यह भी मानना है कि घर बनाने में प्रयुक्त किए गए सभी पदार्थों में जैविक ऊर्जा होती है। बलुआ तथा संगमरमर जैसे पत्थर घर में रहने वाले लोगों पर शुभ प्रभाव डालते हैं जबकि ग्रेनाइट तथा स्फटिक जैसे पत्थर नसों में खून के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न करते हैं तथा स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी खड़ी करते हैं। आदर्श अपार्टमेंट वह ब्लॉक है जो ईंटों या पत्थर से निर्मित हो न कि शीशे या पथरीली कांक्रीट से। अपार्टमेंट के फ्लेट की हर मंजिल पर कई इकाइयां होती हैं और यह कमरे और प्रत्येक इकाई के मुख्य प्रवेश द्वार की स्थिति के लिए एक चुनौती है..


वर्तमान में आधुनिक भवनों में पथरीली क्रांकीट, इस्पात, शीशे या सिंथेटिक सामग्री के उपयोग किया जाने लगा है। यह इमारत को मजबूत तो बनाती हैं लेकिन सेहत पर बुरा प्रभाव भी डालती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार कंक्रीट मृत सामग्री है जो नकारात्मक ऊर्जा उत्सर्जित करती है जिसके कारण बीमारी व अन्य परेशानियां उत्पन्न होती है।
संसार में चार ही मुख्य दिशाएं हैं उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम। जाहिर है कि आपका घर भी इन चार दिशाओं में से ही किसी एक दिशा में हो। इन चार दिशाओं में पूर्व और उत्तर दिशा में घर का मुख्य द्वार होना सर्वोत्तम माना जाता है।


लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य दिशाओं में घर का मुख्यद्वार है तो आपके साथ कोई अनहोनी हो सकती है। घर में आर्थिक परेशानी एवं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का कारण भी पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा का मुख्यद्वार नहीं होता है।इन उपायों को कर के आप अपने घर से वास्‍तु दोष खत्‍म कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख समृद्धि ला सकते हैं। यहां पर दी जा रही टिप्‍स खास तौर से फ्लैट में रहने वालों के लिए हैं। अगर आपके घर में आये दिन झगड़े होते हैं, अशांति रहती है, अनायास धन खर्च होता रहता है या कोई न कोई बीमार रहता है तो वास्‍तुशास्‍त्र पर आधारित ये टिप्‍स आपके लिए काफी महत्‍वपूर्ण साबित हो सकती हैं।


हर एक के लिए वास्तु सिद्धांतों के बाद अपार्टमेंट / फ्लैट निर्माण इतना आसान नहीं है। यहां फ्लैट मालिकों, खुश, सफल और शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करने का पालन करने के लिए और निश्चित रूप से यह निवासियों के लिए समृद्धि के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं।


इनका रखें ख्याल—
––मुख्य द्वार से किसी नदी नहर जलाशय का दृश्य दिखता हो
—–मुख्य द्वार ड्रॉयिंग रूम मे खुलता हो और वहाँ सूर्य का प्रकाश आता हो.
—–मुख्य द्वार से रसोई का द्वार ना दिखता हो और ना ही पिछला द्वार दिखता हो
—–ड्रॉयिंग रूम के संपदा क्षेत्र से बेडरूम मे जाने का मार्ग हो.
—–बड़े रसोई घर मे ही खाने की मेज कुर्सियाँ रक्खी हों तथा खाना पकाने वाले का मूह द्वार की ओर रहता हो.
––बेड रूम से टॉयलेट का द्वार दूर हो तथा उसका दरवाजा बेड रूम से ना दिखता हो[आज कल लोग बेडरूम मे ही यह सब बनाने लगे हैं लेकिन वास्तु इसकी सलाह नही देता].
—– बाथरूम और शौचालय अलग हों.
—–सभी कमरों मे प्राकृतिक प्रकाश आता हो .
—–भोजन करने का इंतज़ाम किचन मे ही हो या डाइनिंग रूम अलग प्रवेश द्वार से दूर हो .
—–ड्रॉयिंग रूम आराम दायक और सुखद तथा सुंदर हो.
—–बेडरूम का द्वार प्रवेश द्वार के सामने ना हो.
—– बेड द्वार के सामने ना पड़ा हो .
— –बेड बीम के नीचे ना बिछा हो.
––शौचालय फ्लैट के किसी बाहरी दीवार के बगल मे छिपी स्थिति मे हो.
— –बाथरूम फ्लैट के बीचो-बीच मे ना हो.
—–शौचालय और बाथरूम मे सफाई रहनी चाहिए वहाँ बदबू नही आनी चाहिए.
—–जहां भूमि अपार्टमेंट / फ्लैट का निर्माण आयत में या वर्ग चाहिए हेक्सागोनल या त्रिकोण आकार की तरह अनियमित रूप में नीचे की तरफ नहीं ढाल के बिना आकार का है।
—खुले स्थान का निरीक्षण, अपार्टमेंट से दक्षिण और पश्चिम दिशा के पास किसी भी तालाब नहीं होना चाहिए। एक नदी, ठीक है, झील या नहर केवल उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
—-उत्तर, पूर्व या उत्तर-पश्चिम प्रवेश द्वार होने के एक फ्लैट चुनें और यह मालिकों के लिए बुरी किस्मत लाता है के रूप में दक्षिण, पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण पूर्व दिशा से बचें।


—केंद्र में खुले आंगन समझदारी है।
—एक बोर(ट्यूबवेल) अच्छी तरह से, पंप और लॉन एक उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए
—-दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम दिशा में और छत पर sited रसोई उचित हैं।
—-अपार्टमेंट या फ्लैट, लाल, काले या नीले आकाश के रंग में रंगा नहीं किया जाना चाहिए।
—उत्तर पूर्वी दिशा में बढ़ाया फ्लैट / अपार्टमेंट स्वीकार कर लिया और अन्य दिशाओं से बचने के है।
—-दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशा में कटौती के साथ फ्लैटों / अपार्टमेंट चुनने से बचें।
—-पूजा कक्ष उत्तर, पूर्व दिशा में किया जाना चाहिए।
—बाथरूम पूर्व में या पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशा के बीच में होना चाहिए।
—-दक्षिणी दिशा में स्थित बेडरूम बेहतर है जहां अपार्टमेंट्स, दक्षिणी और पश्चिमी दिशा में शयन कक्ष बेटों द्वारा 
—–माता-पिता और बेटियों से उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पश्चिम में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
—–बाथरूम या टॉयलेट के दरवाजे डायनिंग हॉल या रसोई का सामना नहीं करना चाहिए। यह वहां के  निवासियों के लिए परेशानी का कारण बनता है के रूप में सीढ़ी मामले उत्तर पूर्वी कोने में नहीं होना चाहिए
—-चौकीदार केबिन पूरी इमारत के पूर्वोत्तर कोने में नहीं होना चाहिए।
—-भारी निर्माण भूमि के दक्षिण या पश्चिम दिशा में होना चाहिए
—-खिड़कियों और दरवाजों की कुल संख्या भी .,4 जैसे गिने किया जाना चाहिए …
—ध्यान रखें फ्लैट के सभी दरवाजों के अंदर खोलने चाहिए


जरा सोचिये की एक मौजूदा फ्लैट में यदि कई दोष हो जाएगा तो इसे  कई उपाय और उपचार से ठीक किया जा सकता है और कुछ सही नहीं किया जा सकता है, तो निर्माण से पहले उचित वास्तु शास्त्र का पालन करें।
अगर आप वास्तु के इन नियमों का पालन करेंगे तो आप अपने नए अपार्टेंट वाले फ्लेट  में रहते हुए दिनों दिन समृद्ध और खुशहाल होते जाएंगे।
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WHAT ARE THE VASTU GUIDELINES FOR THE APARTMENT SITE PLANNING?


The first and the most important step in apartment design is to select the right Site. Some of the Vastu guidelines for the selection of the right Site are described below along with the scientific explanation.


WHAT ARE THE VASTU GUIDELINES FOR THE SELECTION OF AN APARTMENT SITE ?


The Site should be a quadrangle with the N-E and S-W angles 90 degrees or less and the N-W and S-E corners 90 degrees or more. ie; the N-E to S-W axis should be more than the N-W to S-E axis. The explanation: Since the Sun is in the North-East direction in the morning, a lot of open space in the North-East corner of the Site will allow the useful morning sunlight to permeate the whole building. This is possible if the Site is elongated along the N-E to S-W axis.


The apartment blocks should be located towards the South-West corner and there should be more open spaces in the North and East corners: The Explanation: Since the Sun is in the North-East direction in the morning, a lot of open space in the North-East corner of the Site will allow the useful morning sunlight to permeate the whole building.


The gates to the Site can be on the North-North-East, East-North East, West-North West or South-South East corners. The Explanation: The gates in these corners will necessitate the internal roads to be on the East and North sides which will ensure that adjoining buildings will not block the useful morning light.


Rain water drainage should be directed to the North-East corner. The Explanation: This is a way of recharging the ground water in the North-east corner, since the bore well should ideally be located here.


Lawns and low height garden plants can be located in the North-East corner but big and tall trees should be positioned on the South and West sides only. The Explanation: The lawns and low height plants will not block out the useful morning sunlight from the North-east whereas the tall trees are a barrier to the hot afternoon sunlight Since the Sun is in South and the West in the latter part of the day.


The borewell, underground sump, well and any water bodies, swimming pool should ideally be located in the North-East corner: The Scientific Reason – The UV rays of the morning sunlight are germicidal and effective in purifying the water in the swimming pool and wells, before people start using it.


The Compound walls should be low on the Northern and Eastern sides and higher on the Southern and Western sides. The Explanation: For the same reason as above.


When the generator, transformer are located outside then, they should be placed in the open space in the South-East corner: The Scientific Reason –The South-East is the Agni (energy) corner and therefore energy gadgets, in this case, the generator and transformer can be located here.


The road to the Site can be in any direction though a road on the North and/or East is preferred. The Explanation: A road on the North or East will ensure that there will be no larger buildings abutting the Site on these sides which can overshadow the proposed apartment and block the useful morning sunlight.


It is ideal to have two roads on two sides of the Site. The Explanation: Two roads will allow for two gates which are a necessity in any apartment complex for easy flow of traffic in and out of the site.


The Site should slope from the South-West (highest corner) to the North-East (lowest corner). The Explanation: If the natural topography is sloping down towards the North-East corner, then the building profile will also be higher in the South-West and lower in the North-East. This allows the useful North-East light to engulf the building even in the South-west corner.


The water source and other water bodies should be located in the North-East corner. The Explanation: Early in the morning, the sunlight engulfs the site in the North-east corner and so this is the ideal place for water bodies and the water source, since the germicidal properties of the UV rays will ensure the water is fit for consumption and use.

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