संग्राम सिंह का जन्म .. जुलाई 1985 को दोपहर में 12 बजकर .. मिनट पर रोहतक, हरियाणा के निकट मोहना कस्बे में हुआ था। उनका जन्म लग्न तुला एवम जन्म राशि सिंह और जन्म नक्षत्र पूर्वाफाल्गुनी का प्रथम चरण हैं। लग्न में ही शनि के साथ केतु स्थित हैं। चतुर्थ भाव मे मकर राशि में देव गुरु वृहस्पति स्थित हैं। सप्तम भाव में राहु, मेष राशि मे स्थित हैं। शुक्र, अपनी ही राशि, वृषभ में अष्टम भावस्थ हैं। कर्म अर्थात दशम स्थान में सूर्य, बुध एवम मंगल स्थित हैं। बुधादित्य योग बन हुआ हैं। 11 भाव मे सिंह राशि का चन्द्रमा स्थित है, राहु से पीड़ित या दृष्ट हैं।ग्रहण योग बना हुआ हैं। वर्तमान में मंगल की विंशोत्तरी महादशा चल रही हैं जिसमे अभी बुध की अंतर्दशा चल रही हैं,14 मई 2021 तक। प्रत्यन्तर दशा केतु की 28 जुलाई 2020 तक हैं। उसके बाद शुक्र की प्रत्यन्तर दशा चलेगी। संग्राम सिंह को मंगल की दशा 2017 से 2024 तक चलेगी। मंगल कुंडली मे कारक का होके सूर्य बुध से युति बनाता है दसवे स्थान में। इस मंगल को सूर्य का बल और दिशा बल होने से दिग्बली बना हुआ है। यही मंगल नवमांश में सूर्य चंद्र के साथ लाभ भुवन में युति बनाता है। इस से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि 2024 तक का समय इनके लिए लाभकारी ही सिद्ध हो सकता है। यह बचपन मे बहुत बीमार रहें। इनकी माताजी की मेहनत ही है कि आज यह इतना नाम और शोहरत पहलवानी की फील्ड में अर्जित कर पाएं। आर्थिक परेशानी और खराब स्वास्थ्य पर विजय प्राप्त कर यह उपलब्धि मिल पाई।उनको लकवा ओर गठिया जैसी बीमारियों ने खाना पीना सब दुश्वार कर दिया था, मात्र 3 वर्ष की में। उनकी माताजी की हिम्मत और देशी मसाज की तकनीक ने उनको नया जीवन दिया। वर्ष 2012 उनके जीवन मे नई रोशनी ओर खुशियाँ लेकर आया जब उन्होंने कुश्ती में इनाम जितना शुरू किए।

संग्राम सिंह जी का चंद्र सिंह राशि स्थित है। पूर्व फाल्गुनी नैष्ट्र में। जिस का स्वमी शुक्र है। शुक्र स्वगृही वृषभ में होने से संग्राम सिंह जी मैन के बड़े मजबूत है। उछमनोबल होने के कारण ये किसी भी परिस्थिति को केसी भी चुनोती को स्वीकार कर लेते है। काठी से कठिन परिस्थिति से ऐसे लोग कभी दर के मोह नही मोड़ते। जो थान लेते है वो करके रहते है। संग्राम सिंह जी का सूर्य भी कारक राशि स्थित होने से। चंद्र एवम सूर्य का परिवर्तन योग बन हुआ है। जो बहोत सौभाग्य शैली की कुंडली मे ही ये योग बनता है। सूर्य याने की पिता और चंद्र याने की माता। इनको माता पिता के आशीर्वाद ओर दुआ मिलती रही है। ये योग इनको प्रसिद्धि देती है। भाग्यशाली बनाती है। नवमांश कुंडली मे गुरु उच्च का होने से इनको जीवन मे गुरु भी अच्छे मील। जिस कारण संग्राम सिंह उचाई की चोटी पर या उचाईयो के शिखर सैर कर सके।

आइए जानते हैं पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातक कैसे होते हैं?

 

‘ पूर्वा फाल्गुनी’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘पहले आने वाला लाल रंग’। आकाश मंडल में पूर्वा फाल्गुनी को 11वां नक्षत्र माना जाता है।
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र :
इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है और इसके चारों चरण सिंह में आते हैं। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्म होने पर जन्म राशि सिंह तथा राशि स्वामी सूर्य, वर्ण क्षत्रिय, वश्य चतुष्पद, योनि मूषक, महावैर योनि बिडाल, गण मानव तथा नाड़ी मध्य हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवनभर सूर्य और शुक्र का प्रभाव बना रहता है।
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के जातक का व्यक्तित्व
आप संगीत, कला और साहित्य के अच्छे जानकार हैं क्योंकि इन विषयों के प्रति आपकी बचपन से रुचि है। आपकी विचारधारा शांत है। नैतिकता और सच्चाई के रास्ते पर चलकर जीवन जीना आपको पसंद है। प्रेम का स्थान आपके जीवन में सर्वोपरि है क्योंकि प्रेम को आप अपने जीवन का आधार मानते हैं। मार-पीट, लड़ाई झगड़ों से दूर रहना आपको पसंद है क्योंकि आप शांतिप्रिय हैं। कोई कलह या विवाद होने पर आप बहुत शांतिपूर्ण तरीक़े से उसका समाधान निकालते हैं, परन्तु जब आपके मान-सम्मान पर कोई आँच आती है तो विरोधियों को परास्त करने में भी आप पीछे नहीं रहते हैं। दोस्तों और अच्छे लोगों का दिल से स्वागत करना भी आप बख़ूबी जानते हैं। अंतर्ज्ञान की शक्ति तो जैसे आपको विरासत में मिली हो, इसलिए लोगों की भावनाओं को आप पहले से ही भाँप जाते हैं। स्वभाव से आप परोपकारी हैं और घूमने-फिरने के शौक़ीन हैं। ईमानदारी से कार्य करना आपको पसंद है और जीवन में तरक़्क़ी के लिए और आगे बढ़ने के लिए आप सदैव अच्छे और सच्चे मार्ग को चुनते हैं। जीवन में किसी-न-किसी एक क्षेत्र में आप विशेष ख्याति प्राप्त करेंगे, फिर भी किसी कारण से आपका मन अशांत रह सकता है। दूसरों की मदद के लिए आप उनकी याचना करने से पहले ही हाज़िर हो जाते हैं क्योंकि आपमें जन्मजात सहानुभूति है। आप स्वतंत्रता-प्रिय हैं इसलिए किसी बंधन में फँसना आपको पसंद नहीं है। ऐसा कोई भी कार्य करना आपको पसंद नहीं है जिसमें दूसरों के अधीन होकर काम करना पड़े। आपमें एक ख़ासियत यह है कि नौकरी में होने पर भी अपने अधिकारी की चापलूसी नहीं करते, इसलिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों की कृपादृष्टि से आप वंचित रह जाते हैं। दूसरों के सहारे आप कोई लाभ नहीं लेना चाहेंगे क्योंकि आप त्यागी मनोवृत्ति के हैं। परिवार से आपका विशेष लगाव है और आप अपने परिवार के लिए सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार रहते हैं।
  • प्रतीक चिह्न : पलंग का प्रथम सिरा या झूले वाला बिस्तर
  • रंग : हल्का बादामी
  • अक्षर : म और ट
  • वृक्ष : पलाश का पेड़
  • राशि स्वामी : सूर्य
  • नक्षत्र स्वामी : शुक्र
  • देव : भग (धन व ऐश्वर्य के देवता)
  • शारीरिक गठन : पुष्ट शरीर लेकिन सिर पर चोट का निशान हो सकता है।
  • भौतिक सुख : स्त्री और धन-सं‍पत्ति का सुख।
सकारात्मक पक्ष : पूर्वा फाल्गुनी में जन्मा जातक चतुर और विलासी, प्रिय वक्ता, दाता, कांतिमान, गंभीर, जनमान्य, स्त्रियों का प्रिय, शूरवीर, त्यागी, साहसी, चतुर, उदार तथा भ्रमणशील होता है। इस नक्षत्र में जन्मे जातक संगीतकार, अभिनेता, यात्रा प्रबंधक, शादी-विवाह के प्रबंधक या यौन उपचारक हो सकते हैं।
नकारात्मक पक्ष : सूर्य और शुक्र की स्थिति ठीक नहीं है तो जातक धूर्त, कामुक, विलासी, आरामपसंद, उग्र और अभिमानी होगा। सट्टे अथवा जुए की प्रवृत्ति, सावधान चित्त, आत्मकेंद्रित होगा।

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