**** चादर द्वारा दूर करें पति-पत्नी के मतभेद !!!!
आइये जाने की कैसे ??
मित्रों, किसी भी घर की आंतरिक सज्जा घर के माहौल एवं रहन-सहन को प्रभावित करती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार गृहसज्जा करने से व्यक्ति को न सिर्फ सुकून ही मिलता है बल्कि सुख और शान्ति का भी अनुभव होता है। दैनिक दिनचर्या को सुचारू रूप से चलाने के लिए तथा निर्बाध गति से सुख-शान्ति को पाने के लिए वास्तु-शास्त्र के अनुरूप गृह सज्जा करना आवश्यक होता है।
अच्छी व्यवस्था न सिर्फ घर की शोभा को ही बढाती है बल्कि उस घर में रहने वाले सदस्यों के अच्छे आचार और आचरण को भी प्रभावित करती है। इसी कारण घर की अच्छी व्यवस्था व्यक्ति के जीवन के लिए अति आवश्यक है।
वास्तुविद पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार किसी भी घर की आंतरिक रूपरेखा एवं आंतरिक-सज्जा में फर्क होता है। आंतरिक रूप रेखा यूं तो कुछ सामान्य वास्तु तथ्यों पर आधारित होती है। किन्तु आन्तरिक सज्जा में यह देखना आवश्यक होता है कि घर में कौन-कौन एवं कितने लोग हैं? उनकी रूचियां एवं जरूरतें क्या-क्या हैं? तथा इसके लिए अपने पास बजट कितना है?
कोई भी वस्तु अपने गुण, प्रभाव एवं संरचना के आधार पर सात्विक, तामसिक तथा रजोगुणी होते हैं। इसके साथ ही सभी वस्तुओं पर भी ग्रहों का अलग-अलग प्रभाव रहता है। इसी आधार पर किस वस्तु को किस स्थान पर रखा जाए ताकि उस वस्तु की वादतुविद् पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा हमारे लिए कल्याणकारी हो, इसी से संबंधित वस्तुओं का विवेचन पंडित दयानन्द शास्त्री द्वारा इस लेख के माध्यम से किया जा रहा है ।।। शयनकक्ष से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत हैं —
**** किसी भी भवन में गृहस्वामी का शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा अर्थात् नैऋत्य कोण में होना चाहिए। इस दिशा में अच्छी नींद आती है। इस दिशा में शयनकक्ष होने पर मनोबल, धन एवं यश की वृद्घि होती है।
*** अपने शयनकक्ष में स्वर्गवासी पूर्वज, महाभारत-रामायण आदि से संबंधित चित्र तथा देवताओं की तस्वीरें भूलकर भी नहीं लगाई जानी चाहिए।
**** अपने शयनकक्ष में बेड इस तरह रखना चाहिए कि सोने वाले सिर दक्षिण दिशा में पडे। यूं तो पूर्व एवं पश्चिम दिशा में भी सिर रखा जा सकता है, लेकिन सर्वाधिक फायदा दक्षिण दिशा या पूर्व-पश्चिम दिशा में सिर रखकर सोने से होता है।
**** यदि आपको अपने शयनकक्ष में आईना रखने की आवश्यकता हो तो उसे इस प्रकार लगाना चाहिए कि सोते समय शरीर का प्रतिबिंब उसमें दिखाई न दे। अगर ऐसा होता है तो पति-पत्नी के सामंजस्य में बाधा पहुंचती है।
**** आपके शयनकक्ष में खिडकी के ठीक सामने ड्रेसिंग टेबल नहीं लगाना चाहिए। अगर कोई अलमारी शयनकक्ष में रखनी हो तो उसे नैत्रदत्य (दक्षिण-पश्चिम) दिशा में ही रखना चाहिए। इससे लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।
**** अपने शयनकक्ष में टेलीफोन के निकट किसी भी प्रकार का जलपात्र नहीं रखना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश घर में होता है तथा गृहस्वामी के ऊपर कोई न कोई चिन्ता बनी ही रहती है।
**** विशेष ध्यान देवें–यदि पति की उम्र अगर पत्नी की उम्र से लगभग पांच साल बडी हो तो आपके बिस्तर की चादर हरी, छह से दस साल बडी हो तो चादर पीली तथा बीस साल बडी हो तो चादर का रंग सफेद होना चाहिए। इससे पति-पत्नी के प्रेम के बीच कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती है।
***** आपके शयनकक्ष वाले कमरे में कोई महत्त्वपूर्ण कागजात रखने हो तो उसे उत्तर-पूर्व कोण (ईशान कोण) में ही रखना चाहिए। इससे जरूरत के समय कागजात बहुत जल्दी मिल जाते हैं। बिस्तर के गद्दे के नीचे किसी भी प्रकार का कागज नहीं रखना चाहिए। इससे यौन रोग होनेे की सभावना बनी रहती है।
**** आपके शयनकक्ष में जूते-चप्पल का प्रवेश एकदम वर्जित किया जाना चाहिए। जूते-चप्पल के प्रवेश से शयनकक्ष की सार्थक ऊर्जा दूर हो जाती है तथा अनिद्रा एवं तनाव में वृद्घि होने लगती है।
**** सावधानी रखें की पंखे के ठीक नीचे कभी भी बिस्तर नहीं लगाना चाहिए। इससे हमेशा मन में बुरी भावनाओं का प्रवेश होता रहता है।।।
**** वास्तुविद पण्डित दयानन्द शास्त्री द्वारा सुझाये गए उपरोक्त उपाय या सुझावों को अपनाकर आप आपने जीवनसाथी के साथ सुख और शान्ति से जीवन यापन कर सकते हैं।।
शुभम् भवतु।। कल्याण हो।।