आइये जाने और समझें देवगुरु वृहस्पति का व्यवसाय और वास्तु से सम्बन्ध—-       
बृहस्पति सबसे बड़ा और शुभ ग्रह है। अगर बृहस्पति बलवान हो तो अन्य ग्रहों की स्थिति ठीक न रहने पर भी अहित नही होता। ग्रह निर्बल हो तो उसके प्रतीकों का उपयोग करना चाहिए। प्रतीकात्कामक वास्तुशास्त्र का भी यही सिद्धांत है।
जिसका बृहस्पति बलवान होता है उसका परिवार समाज एवं हर क्षेत्र में प्रभाव रहता है। बृहस्पति बलवान होने पर शत्रु भी सामना होते ही ठंडा हो जाता है। बृहस्पति प्रधान व्यक्ति को सामने देखकर हमारे हाथ अपने आप उन्हें नमस्कार करने के लिए उठ जाते हैं। बृहस्पति व्यक्ति कभी बोलने की शुरूआत पहले नही करते यह उसकी पहचान है। निर्बल बृहस्पति व्यक्ति का समाज एवं परिवार में प्रभाव नही रहता। बृहस्पति प्रधान व्यवसाय करने वाले को बृहस्पति के प्रतीक धारण करने चाहिए।
बृहस्पति के प्रतीक अन्य सभी ग्रहों के प्रतीकों से अधिक शक्तिशाली होते हैं। कर्मकांडी ब्राम्हण को लोग दादा कहते है। बाप का भी बाप बनाते है। उन्होने मस्तक पर बृहस्पति के प्रतीक तिलक, हाथों में भागवत तथा अन्य धाार्मिक पुस्तकें,मुख में मन्त्र –श्लोक एवं कंधें पर जनेऊ धारण की हुई रहती है। बृहस्पति के ऐसे प्रतीक धारण करने से ब्राम्हण का बृहस्पति अधिक बलवान होता हे, इसी कारण लोग उनका वंदन करते है।
बस में यात्रा करते समय यदि आप माथे पर तिलक लगाकर कोई धार्मिक किताब हाथ में रखें तो कंडक्टर भी धीमें स्वर में आपसे टिकट के लिए पूछेगा। ट्रेन या बस द्वारा यात्रा करते समय यदि आप कहें कि मैं हाथ देखता हूं या मैं हस्तरेखा विशेषज्ञ हूं तो आपकों अपने आप बैठने के लिए जगह मिल जाएगी। ज्योतिष विद्या बृहस्पति की प्रतीक है।
बृहस्पति के ऐसे प्रतीकों का प्रयोग करने से सब लोग आप से नम्रता के साथ पेश आएगे। पुखराज बुहस्पति के अनेक प्रतीकों में से एक है। जिसका बुहस्पति निर्बल है वे ही पुखराज धारण करें। असली पुखराज तो दुर्लभ एवं महंगा है, इसलिए बृहस्पति के अन्य प्रतीक धारण करने से भी बृहस्पति प्रबल बन जाता है। हाथ की कलाई पर पीले रंग का धागा बांधने से भी बृहस्पति बलवान बनेगा। पीला धागा व रत्न भी बृहस्पति के प्रतीक है, उन्हें धारण किया जा सकता है। पीला वस्त्र,पीला रंग, पीला तिलक, रूद्राक्ष की माला, ज्योतिष एवं धर्मशास्त्र के ग्रंथ,सब बृहस्पति के प्रतीक है। इनका उपयोग करने से बृहस्पति बलवान बनता है।
न्यायाधीश,वकील,तालुका,मजिस्ट्रेट,ज्योतिषी,ब्राम्हण,बृहस्पति,धर्मगुरू,शिक्षक,सन्यासी,पिता,चाचा,नाटा व्यक्ति इत्यादि बृहस्पति के प्रतीक हैं तो ज्योतिष,कर्मकांड, शेयर बाजार,शिक्षा,शिक्षा से संबंधित किताबों का व्यवसाय,धार्मिक किताबों और चित्रों का व्यवसाय,वकालत, शिक्षा संस्थाओं का संचालन इत्यादि बृहस्पति के प्रतीक रूप व्यवसाय है। इनमें सफलता प्राप्त करने के लिए बृहस्पति प्रतीकों का उपयोग करना चाहिए।
चना दाल, शक्कर,खांड,हल्दी,घी,नमक,बृहस्पति की प्रतीक रूप चीजें है। संस्कृत बृहस्पति की प्रतीक भाषा है। ईशान्य या उत्तर बृहस्पति की दिशाएं है। शरीर में जांघ बृहस्पति का प्रतीक है। मंदिर मस्जिद,गुरूद्वार,चर्च बृहस्पति के प्रतीक है। बृहस्पति का रंग पीला है।
घर की तिजोरी में बृहस्पति का वास है। बृहस्पति अर्थतंत्र का कारक है। ज्योतिषशास्त्र खजाने को बृहस्पति का प्रतीक मानता है। तिजोरी का स्थान,बैलेन्स देखकर कर्ता की कुंडली में स्थित बृहस्पति का आभास मिल जाता है। घर में रखे धर्मग्रंथ देखने से भी व्यक्ति के बृहस्पति का अंदाजा मिल जाता है।
**** ध्यान रखें, बैंक मैनेजर,कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर आदि बृहस्पति के प्रतीक है। फाइनेंस कंपनी, अर्थ मंत्रालय भी बृहस्पति के प्रतीक है।
**** फाइनेंस या वित्तीय संस्थाएं:—-
बैंक एवं फाइनेंस कंपनी पर बृहस्पति का आधिपत्य है। इसलिए प्रधान जगहों पर इन संस्थाओं का कार्यालय हो तो वह प्रतीक वास्तुशास्त्र के अनुसार उचित होगा।
वित्तीय सस्ंथाओं के साथ में मंदिर,धर्मस्थान,धर्मगुरू का आश्रम हो तो कंपनियों का लेन देन सुचारू रूप से चलता है। तिरूपति बालाजी के देव स्थान में आंध्र व विजया बैंक कार्यरत है। ये बैंक बालाजी का प्रसाद एवं दर्शन के प्रवेश पत्र बेचते हैं। इन दोनों बैकों का लेनदेन बहुत ही सुचारू रूप से चलता है।
**** वित्तीय कंपनियों को अपने ऑफिस की स्टेशनरी हमेशा उत्तर दिशा में रखनी चाहिए। स्टेशनरी बुध ग्रह का प्रतीक है। और बुध की प्रतीक दिशा उत्तर है।
**** वे सभी कंपनियां जो आर्थिक लेन देन करती हैं, उन्हें अपनेे कार्यालयों की दीवारों का रंग पीला या हरा होना चाहिए। हरा रंग बुध और पीला रंग बृहस्पति का प्रतीक है। बैंक भी बृहस्पति का प्रतीक है।।                  
**** वित्तीय कंपनियों के कार्यालयों में महान व्यक्तियों तथा धर्मगुरूओं के चित्र अवश्य लगाने चाहिए।
**** लॉकर्स बैंक के ईशान्य में लगवाए जाएं।
**** दुकान में कैश काउंटर उत्तर दिशा में या उत्तरोन्मुखी रखें।

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