पंचांगों की मानें तो इस वर्ष ..20 के नवम्बर महीने में मात्र दो शुभ मुहूर्त 25 व .0 नवम्बर के है। वहीं वर्ष के अंतिम माह दिसम्बर में तीन, सात दिसंबर, 9 और .1 दिसम्बर के शुभ मुहूर्त हैं। इस प्रकार वर्ष 2020 के शेष 85 दिनों में मात्र पांच ही दिन शहनाइयां बज सकेगी। विवाह योग्य युवक-युवतियों को आगामी अप्रैल 2021 तक इंतजार करना होगा।
आगामी 15 दिसंबर 2020 से 15 जनवरी 2020 के बीच में सूर्य धनु राशि में आ जाएंगे। इसे धनुर्मास कहा जाता है। इन 30 दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस दौरान 17 दिसंबर 2020 को भी गुरु अस्त हो जाएंगे, जो कि 11 जनवरी तक चलेगा।
हिन्दू धर्म में विवाह को सात जन्मों का बंधन माना जाता हैं।शास्त्रों के अनुसार, शादी को बेहद ही पवित्र और मांगलिक कार्य कहा गया हैं जिसे केवल शुभ मुहूर्त, शुभ तिथि और विशेष नक्षत्र में ही संपन्न किया जाना चाहिए।शुभ मुहूर्त और शुभ तिथि में किये गए हर कार्य में सफलता प्राप्त होती हैं।
प्रचलित मान्यता अनुसार , शुभ मुहूर्त में विवाह करने से दांपत्य जीवन सुखों से भरा रहता है। विवाह के लिए हस्त, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़, उत्तराभाद्रपद, स्वाति, मघा, मूल, अनुराधा, मृगशिरा, रेवती, रोहिणी नक्षत्र शुभ बताए गए हैं।
विवाह के लिए उत्तम माह
विवाह के लिए शुभ माह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, मार्गशीर्ष माने गए हैं। कहा जाता है कि इन महीनों में ब्याह करने से दांपत्य जीवन सुखी रहता है। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते वर्ष 2020 शादी करने वाले युवक-युवतियों के लिए चुनौतियां लेकर आया है। इस वर्ष शुभ मुहूर्तों का अभाव है। अभी चालू वर्ष में 85 दिन शेष हैं और विवाह के मात्र पांच शुभ मुहूर्त ही हैं।सनातन धर्म में शुभ मुहूर्त का होना बेहद जरूरी होता है। मुहूर्त, नक्षत्र को देखकर ही शादी विवाह तय किया जाता है। भारतीय संस्कृति में शादी को पवित्र बंधन माना जाता है। विवाह में जीवनसाथी सात जन्मों तक एक निभाने का वादा करता है। साल 2020 में जहां विवाह का पहला शुभ मुहूर्त 18 जनवरी 2020 को था, तो वहीं आखिरी शुभ मुहूर्त 11 दिसंबर 2020 को है।
पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि भारतीय वैदिक पंचांगों की मानें तो इस वर्ष नवंबर में मात्र दो शुभ मुहूर्त 25 व 30 नवम्बर 2020 के है। वहीं वर्ष 2020 के अंतिम माह दिसम्बर में तीन, सात दिसंबर, नौ और 11 दिसम्बर हैं। इस प्रकार वर्ष 2020 के शेष 85 दिनों में मात्र पांच ही दिन शहनाइयां बज सकेगी। विवाह योग्य युवक-युवतियों को आगामी अप्रैल 2021 तक इंतजार करना पड़ेगा।
शुद्ध विवाह के निर्धारण में अनेक ज्योतिषीय मुहूर्त निर्धारण मानकों पर विचार किया जाता है। गुरु शुक्रास्त व विविध समयशुद्धि विवेचना को ध्यान में रख पंचांगकार मुहूर्त की रचना करते हैं। शेष बचे दिनों में मात्र पांच दिन ही शुभमुहूर्त होने मुख्य कारण 25 नवम्बर 2020 तक देव शयनकाल, आश्विन अधिकमास, धनु संक्रांति आदि है।
इस समय शुद्धि के साथ ही शुभ मुहूर्त की गणना वर वधू के चन्द्र, सूर्य व गुरु बल के साथ शुद्ध विवाह की तिथि बनती है। शुद्ध विवाह की तिथि निर्धारण सामान्य कार्य नहीं है। योग्य ज्योतिषी के मार्गदर्शन में ही यह किया जाना चाहिए।
वर्ष 2020 के शेष बचे 85 दिनों में एक अबूझ मुहूर्त भी है, देवोत्थान एकादशी का। इस अबूझ संज्ञक मुहूर्त में सभी विवाह योग्य युवक-युवती विवाह कर सकते हैं। पण्डित। दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि वैसे पूरे 2020 में शुद्ध विवाह के बहुत कम ही मुहूर्त होने से विवाह योग्य युवक-युवतियों के साथ इससे जुड़े पंडित, हलवाई, बैंड बाजे (शहनाई वादक) होटल, धर्मशाला, टेंट, व्यवसाय भी शामिल हैं। पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि आगामी वर्ष 2021 भी विवाह योग्य युवक-युवतियों के लिए चुनौतियां लेकर आ रहा है। 20 अप्रैल तक पंचागकारों ने विवाह की तिथि निर्धारित नहीं की है। इसका प्रमुख कारण, धनु, मीन की संक्रांति, गुरु शुक्र का तारा अस्त होने व होलाष्टक बताए जाते है।
आचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार विवाह योग्य युवक युवतियों ने निराशा से बचने के लिए अबूझ मुहूर्त में विवाह करने का भी मन बनाया है। अबूझ मुहूर्त जैसे देव उठनी ग्यारस, वसन्त पंचमी आदि हैं।